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सिद्धू ने अपने फैसले से चौंकाया: राजनीति की पिच पर बागी तेवर, पढ़े जब क्रिकेट के मैदान पर भी दिखाया था ऐसा रुख
jantaserishta.com
29 Sep 2021 3:24 AM GMT
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नई दिल्ली: क्रिकेट की पिच से लेकर टीवी स्क्रीन और फिर राजनीति की दुनिया में हर दम सुर्खियों में रहने वाले नवजोत सिंह सिद्धू पर एक बार फिर हर किसी का ध्यान है. पंजाब में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले नवजोत सिंह सिद्धू को कांग्रेस पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष बनाया, उनके चक्कर में कैप्टन अमरिंदर सिंह की कुर्सी चली गई लेकिन इस सबके बाद भी नवजोत सिंह सिद्धू बागी हो गए हैं.
खैर, नवजोत सिंह सिद्धू का ये बागी अंदाज पहली बार किसी के सामने नहीं आया है. राजनेता सिद्धू से पहले क्रिकेटर सिद्धू ने ऐसा ही तेवर दिखाया था, जब इंग्लैंड दौरे पर गई टीम इंडिया के सामने मुश्किल खड़ी हो गई थी. तब भी सिद्धू अपनी टीम के 'कैप्टन' से खफा होकर बीच में ही दौरा छोड़ आए और किसी से कुछ कहा तक नहीं था.
क्या हुआ था उस दौरे पर?
भारतीय टीम साल 1996 में इंग्लैंड दौरे पर गई थी, टीम को तीन टेस्ट मैच खेलने थे और बाकी कुछ बोर्ड टीम के साथ मैच खेले जाने थे. भारत की ओर से टीम इंडिया के कप्तान मोहम्मद अज़रूद्दीन थे और इंग्लैंड की ओर से माइकल एथरटन टीम की कमान संभाल रहे थे. नवजोत सिंह सिद्धू भी इसी दौरे पर टीम इंडिया के साथ गए थे और बतौर ओपनर टीम का हिस्सा थे.
पहला टेस्ट मैच एजबेस्टन मैदान में खेला गया था, इस मैच में नवजोत सिंह सिद्धू को प्लेइंग 11 में जगह नहीं मिली थी. टीम के कॉम्बिनेशन की वजह से ऐसा किया गया था, लेकिन इसी मैच के बाद नवजोत सिंह सिद्धू बिना किसी से कुछ कहे इंग्लैंड से वापस भारत आ गए थे. हर कोई हैरान था, ये क्या हुआ और सिद्धू ने ऐसा क्यों किया.
नवजोत सिंह सिद्धू ने किसी से कुछ नहीं बताया. लेकिन इस दौरे के बीच ही बीसीसीआई ने तब इसकी जांच के लिए एक कमेटी बैठाई थी, जिसमें कुछ बातों का पता चल पाया था.
क्यों खफा हुए थे सिद्धू?
बीसीसीआई के सचिव रहे जयवंत लेले ने अपनी किताब "I was There - Memoirs of a Cricket Administrator" में इस पूरे किस्से का जिक्र किया था, जिससे पता चला था कि नवजोत सिंह सिद्धू कप्तान मोहम्मद अजहरूद्दीन से खफा होकर इस दौरे को छोड़ आए थे.
किताब के मुताबिक, "नवजोत सिंह सिद्धू इस बात से खफा थे कि मोहम्मद अजहरूद्दीन हर किसी के सामने उनसे सही तरीके से बात नहीं करते और अपशब्दों का प्रयोग करते हैं. जब बात सिर से ऊपर चली गई थी तब नवजोत सिंह सिद्धू बिना किसी को कुछ कहे, दौरे से वापस आ गए थे.''
हालांकि, नवजोत सिंह सिद्धू से इस बात का पता लगाने के लिए भी काफी पापड़ बेलने पड़े थे. इसी किताब में लिखा गया है कि जब बीसीसीआई ने मामले की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया, तब उसमें राज सिंह डुंगरपुर, आईएस बिंद्रा, सुनील गावस्कर और खुद जयवंत लेले शामिल थे. इस कमेटी के सामने भी नवजोत सिंह सिद्धू ने कुछ नहीं कहा.
मोहिंदर अमरनाथ को बताया था कारण
इधर कमेटी ने इंग्लैंड से लौटी टीम के अन्य सदस्यों से बात की, तब कुछ वक्त बाद ही कोशिश की गई कि कमेटी में एक पंजाबी बोलने वाले बंदे को शामिल किया जाए जिससे सिद्धू घुलमिल सके. तब मोहिंदर अमरनाथ को कमेटी का हिस्सा बनाया गया और उसके बाद ही कुछ हो सका.
एक दिन कमेटी के सामने जब नवजोत सिंह सिद्धू ने फिर कुछ कहने से इनकार कर दिया, तब मोहिंदर अमरनाथ ने सिद्धू से अकेले में बात की. तब जाकर नवजोत सिंह सिद्धू ने बताया था कि टीम में उन्हें 'गाली' दी जाती थी, जिसे वो बर्दाश्त नहीं कर पाए थे. हालांकि, मोहिंदर अमरनाथ ने जब उनसे पूछा कि अजहर की किस गाली पर वो खफा हुए तो सिद्धू का जवाब सुन वो भी हंस पड़े.
मोहिंदर अमरनाथ ने नवजोत सिंह सिद्धू को समझाया कि उत्तर भारत में भले ही ये गाली हो, लेकिन हैदराबाद की लोकल भाषा में इसको लेकर इतना बुरा नहीं माना जाता है. मोहिंदर अमरनाथ ने इस पूरे किस्से को कमेटी से बताया और इस वाकये को भूल जाने को कहा.
हुआ भी कुछ ऐसा ही था, इंग्लैंड के उस दौरे के बाद सिद्धू कुछ टेस्ट मैच के लिए ही टीम इंडिया से बाहर रहे. लेकिन इसके बाद वेस्टइंडीज़ के दौरे पर उन्होंने धमाकेदार वापसी की थी और पोर्ट ऑफ स्पेन में दोहरा शतक जड़ दिया था.
2021 के बागी सिद्धू...
अब 1996 के उस किस्से के बाद साल 2021 में कुछ ऐसा ही हुआ है. क्रिकेटर से नेता बने सिद्धू पंजाब में पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह से खफा रहे, उनके खिलाफ बागी तेवर अपनाते रहे. कांग्रेस के आलाकमान ने उनकी बात मानकर कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटा दिया, लेकिन बाद में जब नई सरकार बनी तो उसमें भी नवजोत सिंह सिद्धू की नहीं चल सकी. ऐसे में सिद्धू ने यहां फिर बागी तेवर दिखाए और पंजाब कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष से इस्तीफा दे दिया.
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