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टोडाभीम में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन, महिलाओं ने निकाली कलश यात्रा

Shantanu Roy
7 Sep 2023 10:45 AM GMT
टोडाभीम में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन, महिलाओं ने निकाली कलश यात्रा
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करौली। करौली टोडाभीम के समीपवर्ती 132केवी पावर हाउस के पास स्थित भैरव बाबा मंदिर पर विशाल श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान महायज्ञ का आज कलश यात्रा के साथ शुभारंभ हुआ। सर्वप्रथम सभी भक्त बाबा के दरबार में एकत्रित हुए। उसके बाद पंडितों ने वैदिक मन्त्रोच्चार के साथ पूजा अर्चना करवाई और उसके बाद महिलाओं ने अपने सर पर मंगल कलश सजाये। मंदिर के महंत भोपा पाचू बाबा भी कलश यात्रा में साथ चले। वैदिक मंत्र उच्चारण के साथ सर्वप्रथम झंडे व कलश का पूजन किया गया और उसके बाद सभी महिलाओं ने सिर पर मंगल कलश रखें। कलश यात्रा सबसे पहले साकरबाडा से होती हुई, पाडला बगीची पहुंची।उसके बाद भूड़ा गांव में होती हुए भेरू बाबा मंदिर पर पहुंची। वही यात्रा के दौरान डीजे की धुन पर भक्ति गीतों पर महिला व पुरुष नाचते कूदते हुए नगर परिक्रमा की। जहां कलश यात्रा का जगह-जगह स्वागत किया गया। परिक्रमा के बाद कलश यात्रा भागवत पांडाल में पहुंची।
कलश यात्रा के उपरांत श्रीमद् भागवत कथा में भागवत आचार्य प्रदीप शास्त्री पाडला वालों ने कथा श्रवण करने आए श्रद्धालुओं को भागवत कथा के महत्व के बारे में विस्तार से बताया गया। वहीं उन्होंने कहा कि भागवत कथा सुनने से मनुष्य का उद्धार होता है। जहां भी भागवत कथा हो रही हो वह हमें अवश्य कथा सुनने जाना चाहिए। वही प्रतिदिन कथा प्रातः 11:00 बजे से 5:00 बजे तक आयोजित होगी। वही कलश यात्रा के दौरान सैकड़ों महिला व पुरुष इस यात्रा में शामिल हुए। कलश यात्रा के दौरान लगभग 800 मीटर लंबी महिला व पुरुषों की लाइन लग गई। जिससे आसपास के गांव का माहौल भक्तिमय हो गया। वही कलश यात्रा में शामिल लोगों ने भैरू बाबा के जोरदार जयकारे भी लगाए। बृज संस्कृति से ओतप्रोत करौली नगरी में गुरुवार को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का उल्लास छाएगा। इसके साथ ही जिलेभर में कृष्ण जन्माष्टमी हर्षोल्लास से मनाई जाएगी। करौली में जन्माष्टमी को लेकर मंदिरों में तैयारियां बुधवार से ही शुरू हो गईं। जन्माष्टमी के अवसर पर यहां के प्रसिद्ध मदनमोहनजी मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी। भीड़ के मद्देनजर मंदिर ट्रस्ट की ओर से व्यवस्थाएं की गई हैं। मंदिर में शाम को 5 से 6 बजे तक ढांड़ा-ढांड़ी नृत्य (नन्दबाबा बधाई उत्सव) का आयोजन होगा। मध्यरात्रि को भगवान का प्रतीकात्मक जन्म होगा। जन्माष्टमी पर धार्मिक परम्परा के अनुसार लोग व्रत-उपवास रखते हैं, जो भगवान के प्रसाद-चरणामृत लेने के बाद ही व्रत खोलते है।
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