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चर्चा में है श्रद्धा मर्डर केस, हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने कही ये बातें

jantaserishta.com
20 Nov 2022 5:48 AM GMT
चर्चा में है श्रद्धा मर्डर केस, हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने कही ये बातें
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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक

पुणे: श्रद्धा वॉल्कर मर्डर केस इन दिनों सुर्खियों में छाया हुआ है. इसी बीच बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता देशभर में बढ़ते साइबर अपराधों को लेकर चिंता जाहिर की है. उन्होंने श्रद्धा मर्डर केस का हवाला देते हुए कहा कि यह मामला आज के युग में लोगों की आसानी से इंटरनेट तक पहुंच और उस पर पड़ी सामग्री के दूसरे पहलू का एक उदाहरण है.
गौरतलब है कि श्रद्धा की हत्या करने के बाद लिव-इन पार्टनर आफताब पूनावाला ने उसके शरीर को 35 टुकड़ों में काट दिया था. फिर उन टुकड़ों को उसे दिल्ली के छतरपुर के जंगलों में फेंक दिया था.
पुणे में टेलीकॉम डिस्प्यूट स्टेटमेंट अपीलेट ट्रिब्यूनल (TDSAT) के 'टेलीकॉम, ब्रॉडकास्टिंग, आईटी और साइबर सेक्टर्स में डिस्प्यूट रिजॉल्यूशन मैकेनिज्म' सेमिनार को संबोधित करते हुए चीफ जस्टिस ने कहा, ''आपने अभी-अभी अखबारों में मुंबई में प्यार और दिल्ली में हत्या (श्रद्धा वॉकर कांड) के बारे में कुछ कहानियां पढ़ी हैं. इस तरह के अपराध इसलिए किए जा रहे हैं क्योंकि इंटरनेट पर ऐसी सामग्री भारी मात्रा में मौजूद हैं. अब मुझे यकीन है कि भारत सरकार सही दिशा में सोच रही है.''
उन्होंने कहा, ''भारतीय दूरसंचार विधेयक है, लेकिन अगर वास्तव में हमें अपनी सभी बिरादरी के नागरिकों के लिए न्याय पाने के अपने वादे को पूरा करने के लक्ष्य को हासिल करना है, ताकि प्रत्येक व्यक्ति की गरिमा को बनाए रखा जा सके, तो हमें ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए कुछ और मजबूत कानून बनाने की आवश्यकता है.''
चीफ जस्टिस दत्ता ने कहा कि नए युग में नए उपकरणों का आविष्कार किया जा रहा है. साल 1989 में हमारे पास कोई मोबाइल फोन नहीं था. दो या तीन साल बाद हमारे पास पेजर आ गए. तब हमारे पास मोटोरोला के बड़े मोबाइल हैंडसेट थे और अब वे छोटे फोन में संघनित हो गए हैं, जो हर उस चीज से लैस हैं जिसकी कोई कल्पना कर सकता है. हालांकि, उन्हें कोई हैक भी कर सकता है, जिससे यह हमारी निजता पर हमला हो सकता है.
चीफ जस्टिस दत्ता ने कहा हमें यह पता लगाना चाहिए कि क्या दिल्ली में एक प्रमुख पीठ (TDSAT) होने के बजाय छह अन्य स्थानों पर बैठने की अनुमति है, हमारे पास राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल अधिनियम के अनुरूप क्षेत्रीय बेंच होनी चाहिए, लेकिन पूरे भारत में एनजीटी की पांच बेंच हैं. उन्होंने कहा ये हमारे संस्थापकों द्वारा निर्धारित उच्च लक्ष्य हैं. उन्होंने हमारे संविधान को बहुत सावधानी से तैयार किया था, जिसे हम विफल न करें.
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