झारखंड के पूर्व मंत्री योगेंद्र साव और तत्कालीन बड़कागांव विधायक निर्मला देवी के मामले में पुलिस के जांच अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज करने के मामले को लेकर विवाद हो गया है। राज्य पुलिस मुख्यालय के द्वारा पूरे मामले में चतरा के एसपी ऋषभ झा को शोकॉज किया गया है। पुलिस मुख्यालय ने पाया है कि मामले में राज्य पुलिस मुख्यालय की कार्मिक डीआईजी ए विजयालक्ष्मी को पूरे मामले में चतरा के टंडवा थाना में पदस्थापित रहे केस के अनुसंधानकर्ता रहे गौरीशकंर तिवारी और सत्येंद्र कुमार सिंह के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई का आदेश दिया था। लेकिन चतरा एसपी ऋषभ झा ने अनुशासनात्मक कार्रवाई के बजाय पुलिस के दोनों अनुसंधानकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा दिया। इस मामले में सत्यता की जानकारी मिलने के बाद पुलिस मुख्यालय ने चतरा एसपी को शोकॉज कर पूरे मामले में रिपोर्ट तलब की है।
जानकारी के मुताबिक, टंडवा थाना के कांड संख्या 90 और 91/15 के मामले में डीजीपी कार्यालय के निर्देश पर डीआईजी कार्मिक ए विजयालक्ष्मी ने चतरा एसपी को एक पत्र चार मई को लिखा था। इस पत्र में डीआईजी कार्मिक ने चतरा एसपी को लिखा था कि दो अनुसंधानकों गौरीशंकर तिवारी और सत्येंद्र कुमार सिंह के खिलाफ एक जांच प्रतिवेदन समर्पित किया गया है,जिसमें बताया गया है कि जांच प्रतिवेदन में प्रथमदृष्टया दोनों पुलिस को अफसरों को कांड दैनिकी में फेरबदल कर कुछ लोगों को गलत तरीके से अभियुक्त बनाने की जानकारी दी गई है।
कार्मिक डीआईजी ने एसपी से पूरे जांच प्रतिवेदन को पुलिस मुख्यालय को भेजने के प्रसंग की जानकारी मांगी थी, डीआईजी कार्मिक ने चतरा एसपी को लिखा था कि दोनों पुलिस अफसरों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए। साथ ही यह भी कहा गया था कि सुस्पष्ट तरीके से विस्तृत जांच प्रतिवेदन अपने मंतव्य के साथ एक सप्ताह के भीतर पुलिस मुख्यालय को उपलब्ध कराया जाए।
कार्मिक डीआईजी के आदेश के उलट चतरा एसपी ने अनुशासनात्मक कार्रवाई के बजाय दोनों पुलिसकर्मियों पर एफआईआर दर्ज करवा दिया। साथ ही टंडवा थाने में दर्ज एफआईआर में कार्मिक डीआईजी के आदेश का भी जिक्र कर दिया गया। जबकि आदेश एफआईआर का नहीं था। मामला वरीय अधिकारियों के संज्ञान में आने के बाद चतरा एसपी से पूरे मामले में शोकॉज किया गया। वहीं एसपी ऋषभ झा का कहना है कि पूरा मामला विभागीय है। ऐसे में मैं इस विषय पर कुछ नहीं कहूंगा। विभागीय मामलों में मेरा कुछ भी कहना उचित नहीं। केस की डायरी में फेरबदल को लेकर जिन पुलिस अफसरों गौरीशंकर तिवारी और सुरेंद्र कुमार सिंह के खिलाफ एफआइआर दर्ज की गई है, वह सेवानिवृत हो चुके हैं। पुलिस मुख्यालय के अधिकारियों के मुताबिक, सेवानिवृति के बावजूद पुलिसकर्मियों पर विभागीय कार्रवाई हो सकती है, यहां तक की पेंशन बाधित किया जा सकता है।