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फाइल फोटो
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नई दिल्ली: तीन फरवरी को भारतीय दवा नियामक ने फाइजर की एमआरएनए वैक्सीन को भारत में इस्तेमाल की मंजूरी से इनकार कर दिया था. इसके बाद फाइजर ने अपनी एप्लिकेशन वापस ले ली. लेकिन जब अप्रैल में कोरोना की दूसरी लहर भारत पर कहर बनकर टूटी और यह साफ हो गया कि भारत में वैक्सीन की कमी होने वाली है तब भारत सरकार ने वैक्सीन पर यूटर्न ले लिया.
13 अप्रैल को सरकार ने घोषणा की कि जिन वैक्सीन को अमेरिका, यूके, ईयू, जापान और डब्ल्यूएचओ से मंजूरी मिल चुकी है, उन्हें भारत में दूसरी और तीसरे फेज़ के ट्रायल की बाध्यता नहीं होगा. सरकार की घोषणा की को करीब डेढ़ महीने हो गए हैं लेकिन अभी तक फाइजर या मॉडर्ना जैसी किसी विदेशी वैक्सीन कंपनी के साथ भारत का करार नहीं हुआ है.
तीन मई से 24 मई के बीच भारत में कोरोना से 1,49,017 मौतें (सरकारी आंकड़ा) हुईं. वैक्सीन की कमी से देशभर में टीकाकरण की रफ्तार या तो धीमी हुई या फिर टीकाकरण बंद करना पड़ा. वैक्सीन की कमी से राज्यों की ओर से लगाए गए लॉकडाउन का भी सही फायदा नहीं मिलने का डर बन गया.
देश में कोरोना का इतना ज्यादा कोहराम और वैक्सीन पर बवाल के बीच अभी ऐसा लगता नहीं है कि भारत को जल्द फाइजर या मॉडर्ना की वैक्सीन जल्द मिलेगी. अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक भारत से पहले कुछ देशों ने इन कंपनियों को बड़े बड़े ऑर्डर दिए हैं. दिसंबर 2020 में सप्लाई शुरू करने वाली दोनों अमेरिकी कंपनियां इन देशों को 2023 तक लाखों डोज़ सप्लाई करने के लिए बाध्य हैं.
सोमवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी इस पर हामी जतायी. ज्वाइंट सेक्रेट्री लव अग्रवाल ने कहा, ''फाइजर हो या मॉडर्ना, हम केंद्र के स्तर पर बातचीत कर रहे हैं. दोनों कंपनियों के पास पहले से ही ऑर्डर फुल हैं. यह उनके सरप्लस पर निर्भर करता है कि वो भारत को कैसे वैक्सीन सप्लाई करेंगी. वे भारत सरकार के पास वापस आएंगी और यह सुनिश्चित करेंगे कि कैसे वे राज्यों को वैक्सीन सप्लाई कर सकती हैं.''
अधिकारियों का यह बयान ऐसे वक्त में आया है जब विदेश मंत्री एस जयशंकर भारत में वैक्सीन सप्लाई को लेकर अमेरिकी अधिकारियों से मुलाकात करने वाले हैं. बता कें सोमवार को ही दिल्ली के मु्ख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने घोषणा की थी कि फाइजर और मॉडर्ना ने बताया है कि वे सीधे राज्यों को वैक्सीन नहीं देंगी. इसके साथ ही पंजाब ने कहा कि फाइजर और मॉर्डना ने सीधे राज्य को वैक्सीन देने से मना कर दिया है
फाइजर के पास वैक्सीन के कितने ऑर्डर?
अमेरिका- पिछले साल जून में अमेरिका ने शुरुआती तौर पर 10 करोड़ डोज़ का ऑर्डर दिया था, इसके साथ ही 50 करोड़ जोड़ के लिए भी अनुरोध किया था. अमेरिका ने पिछले साल दिसंबर और इस साल फरवरी में भी 10-10 करोड़ वैक्सीन का ऑर्डर दिया.
यूरोपीय यूनियन- सभी करारों को मिला दों को फाइजर यूरोपीय यूनियन को 240 करोड़ वैक्सीन डोज़ देने के लिए बाध्य है. नवंबर 2020 में ईयू ने फआइजर के साथ 20 करोड़ डोज़ का करार किया. इसके साथ ही पिछले साल दिसंबर में और 10 करोड़ डोज़ का ऑर्डर किया.
इसके अलावा पिछले साल जून में यूके ने फाइजर के सााथ तीन करोड़ डोज़ का करार किया. इसी महीने जापान ने भी फाइजर के साथ एक करोड़ बीस लाख डोज़ का करार किया. अगस्त में कनाडा ने फाइजर के साथ करार किया लेकिन इसे लेकर जानकारी सार्वजनिक नहीं की गयी. जनवरी 2021 में फाइजर चा करोड़ डोज़ कोवैक्स प्रोग्राम के लिए देने को तैयार हुआ.
मॉडर्ना के पास किसके कितने ऑर्डर?
अमेरिका- अगस्त 2020 में अमेरिका ने दस करोड़ वैक्सीन का शुरुआती ऑर्डर दिया, इसके साथ ही चालीस करोड़ डोज़ और खरीदने का विकल्प भी रखा. इसके बाद अमेरिका ने दिसंबर 2020 और फरवरी 2021 में 10-10 करोड़ वैक्सीन के ऑर्डर दिए
यूरोपीय यूनियन- पिछले साल नवंबर में ईयू ने ऑडर्ना को आठ करोड़ वैक्सीन का ऑर्डर दिया. ईयू और मॉडर्ना के बीच जो करार हुआ उसके मुताबिक ईयू आट करोड़ वैक्सीन और खरीद सकता था. ईयू ने पिछले साल दिसंबर में ही इस आठ करोड़ वैक्सीन का ऑर्डर दिया. इस साल 17 फरवरी को ईयू ने और डेढ़ करोड़ वैक्सीन का ऑर्डर दिया, इसके साथ ही आगे डेढ़ करोड़ वैक्सीन और खरीदने की बात हुई.
इसके अलावा ब्रिटेन ने 70 लाख, जापान ने पांच करोड़, कनाडा ने चार करोड़ चालीस लाख, साउथ कोरिया ने चार करोड़ और ऑस्ट्रेलिया ने ढाई करोड़ वैक्सीन का ऑर्डर दिया. इसके साथ ही मॉर्डना 20221 की चौथी तिमाही तक कोवैक्स प्रोग्राम के लिए भी तीन करोड़ चालीस लाख डोज़ देगी.
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