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न्यूज़ क्रेडिट: हिंदुस्तान
तीन पूर्व थानेदारों समेत पांच पुलिसवालों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया है।
गोरखपुर: गोरखपुर में साल 2015 में हुए कसरवल कांड में एसीजेएम सेकेंड सीनियर डिवीजन की अदालत ने तीन पूर्व थानेदारों समेत पांच पुलिसवालों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया है। मुकदमे की कई तारीखों पर कोर्ट में हाजिर नहीं होने पर न्यायालय ने सख्त रुख अपनाते हुए सभी को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने 10 अक्टूबर को सभी को पेश करने का आदेश दिया है। 2015 में कसरवल आंदोलन निषाद पार्टी के अध्यक्ष डा.संजय निषाद (मौजूदा कैबिनेट मंत्री) की अगुवाई में हुआ था। उन्होंने कहा है कि कसरवल कांड में तत्कालीन सपा सरकार का चरित्र उजागर हो गया है। हमें भरोसा है कि जल्द हमारे लोगों के साथ न्याय होगा।
बता दें कि निषाद आरक्षण की मांग को लेकर निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. संजय निषाद की अगुवाई में चक्का जाम आंदोलन और ट्रेन रोकी गई थी। 2015 में हुए इस आंदोलन के दौरान कसरवल में काफी बवाल हुआ था। इस घटना में इटावा जिले से आए 21 वर्षीय अखिलेश निषाद की गोली लगने से मौत हो गई थी।
आंदोलन में शामिल रहे और पुलिस की गोली से घायल सुजीत कुमार ने दुर्व्यवहार और गाड़ियां फूंकने के आरोप में सहजनवा के तत्कालीन थानाध्यक्ष श्यामलाल यादव और अन्य के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया था। इस मामले में पुलिसवालों के कोर्ट में हाजिर नहीं होने पर कोर्ट ने श्यामलाल, खोराबार के तत्कालीन थानाध्यक्ष रामपाल यादव, राजघाट के तत्कालीन थानाध्यक्ष राजीव सिंह, सहजनवा थाने के सिपाही रहे पूर्णवासी और जनार्दन यादव के विरुद्ध गैर जमानती वारंट जारी किया है।
कसरवल कांड में डा. संजय निषाद और उनके कई समर्थकों को जेल जाना पड़ा था। आंदोलन कर रहे लोगों पर गोली किसने चलाई यह उत्तर आज भी अनुत्तरित है। इस मामले में आंदोलनकारी पुलिस पर आरोप लगाते हैं और पुलिस आंदोलनकारियों पर।
jantaserishta.com
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