भारत

बिल्डर को उपभोक्ता अदालत से झटका, खरीदार के पक्ष में सुनाया फैसला

Nilmani Pal
23 July 2022 1:12 AM GMT
बिल्डर को उपभोक्ता अदालत से झटका, खरीदार के पक्ष में सुनाया फैसला
x

दिल्ली। परियोजना चाहे आवासीय हो या व्यवसायिक अगर बिल्डर निर्माण शुरू करने या पूरा करने में देरी कर रहा हो तो घर, दुकान या ऑफिस के स्थान का खरीददार भुगतान करने को मजबूर नहीं होगा. इसके लिए जिम्मेदार बिल्डर ही होगा. यानी वो उपभोक्ता खरीदार पर बिल नहीं फाड़ सकेगा. उपभोक्ता आयोग ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि बिल्डर की लेटलतीफी की वजह से निर्माण में अगर अनिश्चित देरी हो तो फ्लैट खरीददार को पैसे का भुगतान करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है. उपभोक्ता आयोग ने बिल्डर की उदासीनता की वजह से निर्माण में हुई देरी पर खरीदार को पैसे का भुगतान ना करने से राहत देते हुए उल्टे बिल्डर से मुआवजा भी दिलवाया है.

बिल्डर ने फ्लैट खरीदार की बुकिंग भी रद्द कर दी थी. आयोग ने इसे मनमाना और गैर वाजिब माना है. उपभोक्ता आयोग की अध्यक्ष जस्टिस संगीता धींगरा सहगल और सदस्य राजन शर्मा की पीठ ने फ्लैट खरीदार के पक्ष में फैसला सुनाते हुए बिल्डर कंपनी की उन दलीलों को सिरे से खारिज कर दिया, जिसमें यह कहा गया था कि शिकायतकर्ता फ्लैट खरीदार ने समय से बकाया राशि का भुगतान नहीं किया. इसलिए फ्लैट का पजेशन देने में देरी हुई है. उपभोक्ता आयोग के सामने आए मामले के मुताबिक गाजियाबाद निवासी अंजू अग्रवाल ने लैंडक्राफ्ट डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड नामक बिल्डर से गोल्फ लिंक परियोजना में एक फ्लैट बुक कराया था. लगभग 8 साल पहले 2014 में उन्होंने 37 लाख 2224 रुपए में फ्लैट की बुकिंग की थी. तब बिल्डर और खरीदार के बीच हुए करार के तहत बुकिंग के 3 साल बाद यानी 2017 में उन्हें अपने घर का कब्जा मिलना था.

इसके बाद बिल्डर को डिमांड के मुताबिक समय-समय पर धनराशि का भुगतान किया गया. लेकिन निर्माण कार्य आगे नहीं बढ़ता देख घर खरीदार ने बकाया रकम का भुगतान बंद कर दिया. इसके बाद 2019 में बिल्डर ने जमा रकम जब्त कर अंजू अग्रवाल की फ्लैट बुकिंग भी रद्द कर दी. इस पर अंजू ने बिल्डर के खिलाफ उपभोक्ता आयोग में गुहार लगाई. आयोग ने अपने फैसले में लैंड क्राफ्ट प्राइवेट लिमिटेड को आदेश दिया की वो शिकायतकर्ता 29 लाख 39 हजार 738 रुपए छह फीसद ब्याज के साथ अदा करे.

अगले 8 सितंबर तक अगर सारी रकम खरीदार को वापस नहीं मिली तो बिल्डर को पूरी रकम पर नौ फीसदी की दर से ब्याज का भुगतान करना पड़ेगा. आयोग ने बिल्डर कंपनी को पीड़ित शिकायतकर्ता यानी घर खरीदार अंजू अग्रवाल को हुई मानसिक परेशानी होने के एवज में दो लाख मुआवजा और मुकदमा खर्च के रूप में 50,000 का और भुगतान करने का आदेश दिया है.

आयोग ने अपने फैसले में कहा है कि बिल्डर तय समय सीमा यानी किए गए वायदे के मुताबिक 2017 तक फ्लैट का पजेशन देने की स्थिति में नहीं था. यानी पजेशन देने की निर्धारित समय सीमा गुजरने के बाद घर खरीदार ने भुगतान बंद किया. उसके भी 2 साल बाद यानी 2019 में फ्लैट की बुकिंग रद्द करना गैर कानूनी, गैर वाजिब और वादाखिलाफी है. उपभोक्ता आयोग की पीठ ने कहा कि उनके सामने लाए गए तथ्यों से साफ है कि जून 2016 तक 29 लाख 39 हजार 738 रुपए का भुगतान कर दिया गया था. ये फ्लैट के मूल दाम से बहुत ज्यादा है. आयोग ने यह भी कहा है शिकायतकर्ता को जब पता चला कि निर्माण में नाहक देरी हो रही है और बिल्डर समय से पजेशन नहीं देगा तभी उसने बकाया भुगतान ना देने की ठान ली.


Next Story