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हार का सदमा: महिला प्रत्याशी बोली - मुझे तो EVM ने हराया

Nilmani Pal
13 March 2022 1:19 AM
हार का सदमा: महिला प्रत्याशी बोली - मुझे तो EVM ने हराया
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यूपी। उत्तर प्रदेश में चुनाव हो चुका है और नतीजे भी आ चुके हैं. भारतीय जनता पार्टी (BJP) पूर्ण बहुमत हासिल कर सरकार बनाने जा रही है. इस चुनाव में राजधानी लखनऊ की उत्तर विधानसभा एक ऐसी भी सीट थी, जहां समाजवादी पार्टी ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी और शुरुआती राउंड से ही बढ़त बनाए रखी थी, लेकिन आखिरी राउंड में सपा उम्मीदवार पीछे हो जाती हैं और वहीं से बीजेपी के प्रत्याशी बाजी मारकर चुनाव जीत जाते हैं.

लखनऊ उत्तर विधानसभा से समाजवादी पार्टी ने पूजा शुक्ला को अपना उम्मीदवार बनाया था. यह वही पूजा शुक्ला हैं जिन्होंने साल 2017 में बीजेपी की सरकार यूपी में बनने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को काला झंडा दिखाया था. बीजेपी ने कांग्रेस से आए डीपी बोरा के पुत्र नीरज बोरा को अपना उम्मीदवार बनाया था. इन तमाम मुद्दों पर 'राष्ट्रीय न्यूज़ चैनल' ने सपा प्रत्याशी पूजा शुक्ला से बातचीत की. पूजा शुक्ला का आरोप है कि बीजेपी प्रत्याशी डॉ. नीरज बोरा के छक्के छुड़ा दिए लेकिन ईवीएम ने उन्हें हरा दिया.

पूजा शुक्ला ने आगे अपने आरोपों में कहा, लखनऊ डीएम ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को खुश करने के लिए मुझे हरा दिया और बीजेपी के उम्मीदवार को जिता दिया. पूजा शुक्ला ने बताया, मुझे खुशी है कि समाजवादी पार्टी ने एक गरीब की बेटी को धन से मजबूत और झूठे मक्कारों के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा और जनता ने मुझे अपना समर्थन दिया. मैं मानती हूं कि भारतीय जनता पार्टी को ईवीएम ने जीत दी है.

बकौल पूजा शुक्ला, 'मुझे याद है जब मतगणना हो रही थी तो मैंने रिटर्निंग ऑफिसर से पूछा कि आखिर ईवीएम 99% चार्ज कैसे है? मैंने उदाहरण देते हुए चुनावों के अधिकारियों को बताया कि अगर कोई मोबाइल है और थोड़ा-सा भी वह कार्य करता है तो उसकी बैटरी खत्म हो जाती है, तो आखिर यह ईवीएम कैसे 99% चार्ज है? जबकि 23 तारीख को मतदान हुआ था और उसके 10-15 दिन बाद मतगणना की गई. हमने शुरू से ही 22 राउंड तक लीड बनाई और 22 राउंड तक 18 हज़ार मतों से मैंआगे चली, लेकिन आखिरी राउंड में ऐसा क्या हो जाता है कि मैं हार जाती हूं?

पूजा ने बताया, शाम को सरकार के आला अधिकारी लखनऊ डीएम आते हैं और काउंटिंग आधे घंटे के लिए रोक दी जाती है. कहा जाता है कि यह लंच टाइम है. मुझे समझ में नहीं आता कि 4 बजे कौन-सा लंच होता है? सुबह के आए हुए अधिकारी आखिर 4 बजे कौन-सा लंच कर रहे थे? 22 राउंड तक मैं जीत रही थी, उसके बाद भाजपा के प्रत्याशी को ईवीएम के माध्यम से डीएम ने जिता दिया.

सपा उम्मीदवार कहती हैं, जिस भाजपा प्रत्याशी को क्षेत्र की जनता ने चप्पल लेकर दौड़ाया था, आखिर वह कैसे जीत सकते हैं? डीएम लखनऊ बताएं कि मुख्यमंत्री को खुश करने के लिए और क्या-क्या किया है? मुख्यमंत्री की इस सीट पर प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी. जब उनको पता चला कि समाजवादी पार्टी यहां से जीत रही है, तो आनन-फानन में उन्होंने मड़ियाहूं थाने के पास सड़क पर जनसभा की. एक मुख्यमंत्री सड़क पर मीटिंग कर रहा था और उनकी जनसभा में कोई भी नहीं आया था. बाहर से लोग बुलाए गए थे.''

पूजा शुक्ला ने कहा, 25 साल की लड़की को हराने के लिए देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आए. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और पीयूष गोयल आए. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के दोनों बेटे पंकज सिंह व नीरज सिंह आते हैं और बीजेपी नेत्री अपर्णा यादव यादव आती हैं. इतना ही नहीं, ब्राह्मण चेहरा जितिन प्रसाद और उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा को भी मुझे हराने के लिए उतारा जाता है. जब सब मिलकर नहीं हरा पाते हैं, तो बाद में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आते हैं और यहां जनसभा करते हैं. ब्राह्मण समाज का वोट यहां पर ज्यादा है तो फ़िज़ा बनाने के लिए बीजेपी ने ऐसा किया, लेकिन उल्टा ही हो गया. ब्राह्मणों ने पूरा मुझे वोट दिया. आप पोलिंग उठाकर देख लीजिए.

पूजा ने आरोप लगाते हुए कहा, मेरे साथ बेईमानी की गई है. जो क्षेत्र भाजपा के गढ़ कहे जाते थे, मैं वहां से फतह करके आई तो आखिर कुछ राउंड में मैं हार कैसे गई? वह भी उन एरिया के बेल्टों से जहां पर सपा का बोलबाला था. नीरज बोरा को उस क्षेत्र से वोट कैसे मिले होंगे जहां आखिरी समय में लोगों ने उन्हें चप्पल लेकर दौड़ाया था. नीरज बोरा की पत्नी को उस क्षेत्रों में घुसने नहीं दिया गया था.

ईवीएम और डीएम के माध्यम से मुझे रोकने के लिए यह सब किया गया ताकि जो विरोध का प्रतीक है वह विधानसभा ना पहुंच सके. आज बेइमानी ना होती तो मैं पुरजोर तरीके से यहां के विधानसभा की कमियों को योगी के समक्ष रखती, लेकिन मेरा हौसला टूटा नहीं है. मुझे 1 लाख 6 हज़ार जो वोट मिले हैं और जिन्होंने मुझे वोट दिया है, मैं उनका विश्वास नहीं टूटने दूंगी. मेरे पास आवाज उठाने के लिए सड़क तो है ही, भले ही यहां के प्रत्याशी बेईमानी से जीत गए हों, लेकिन वह जनता के दिलों में जगह नहीं बना पाए हैं. आज हारने के बाद भी लोग मुझे बधाई दे रहे हैं. आप इसी से समझ सकते हैं कि मेरी और नीरज बोरा की स्थिति में क्या फर्क है.


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