सामना में लिखा, रसोईघर में प्रतिदिन इस्तेमाल की जानेवाली दही, छाछ, पनीर, पैकेट बंद आटा, चीनी, चावल, गेहूं, सरसों, जौ आदि वस्तुओं पर पहली बार ही पांच फीसदी जीएसटी लगाई गई है. इससे पहले जीएसटी के ऐलान के वक्त पीएम मोदी ने कहा था कि जीवनावश्यक वस्तुओं पर जीएसटी नहीं लगेगी. लेकिन अब उनकी सरकार ने ही इन पर टैक्स लगा दिया. शिवसेना ने कहा, 'अच्छे दिन' का गाजर तो सरकार ने पहले ही तोड़कर खा लिया है, किंतु यह सपना दिखाकर सत्ता में आनेवालों को कम-से-कम जीवनावश्यक वस्तुओं की दर बढ़ाने के दौरान 'जन' की नहीं, बल्कि 'मन' की तो सुननी चाहिए थी.
सामना में आगे लिखा गया, इतना ही नहीं बल्कि श्मशान में लगने वाले अंतिम संस्कार की सामग्री पर भी अब 12 फीसदी की बजाय 18 फीसदी जीएसटी वसूली जाएगी. यह मौत की चौखट पर मोदी सरकार द्वारा की जानेवाली 'कर वसूली' ही है. इसके अलावा आपकी मृत्यु के बाद प्रवास शुरू ही नहीं होगा. मोदी सरकार के दौर में आम जनता का. जीना तो महंगा हो ही गया है लेकिन अब जीएसटी की कृपा से मरना भी महंगा कर दिया है.