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ऐसा शिव मंदिर जहां शिवलिंग के साथ होती है मजार की पूजा, सांप्रदायिक एकता की मिसाल

jantaserishta.com
23 July 2023 5:45 AM GMT
ऐसा शिव मंदिर जहां शिवलिंग के साथ होती है मजार की पूजा, सांप्रदायिक एकता की मिसाल
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अनोखे धाम में आने वाले लोगों की भगवान महादेव सारी मनोकामना पूरी करते हैं।
समस्तीपुर: भगवान शंकर के अतिप्रिय माने जाने वाले श्रावण माह में सभी शिव मंदिरों में शिव भक्तों का तांता लगा हुआ है। हर-हर महादेव के जयकारे गूंज रहे हैं। ऐसे में बिहार के समस्तीपुर जिले में ऐसा भी एक शिव मंदिर है जहां पहुंचने वाले भगवान शिव के भक्त भगवान महादेव की तो पूजा करते ही हैं, वहां स्थित शिवलिंग के दो गज दूर स्थित मजार की भी पूजा करना नहीं भूलते।
दरअसल, यह प्राचीन खुदनेश्वर धाम मंदिर समस्तीपुर जिला मुख्यलय से करीब 17 किलोमीटर दूर मैरवा में स्थित है। कहा जाता है कि खुदनेश्वरधाम सिर्फ बिहार ही नहीं बल्कि पूरे देश का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां शिवलिंग के साथ मजार की पूजा-अर्जना की जाती है और दोनों एक ही छत के नीचे है। लोगों की मान्यता है कि यहां सच्चे मन से पूजा करने वालों की सारी मन्नतें पूरी होती हैं। स्थानीय लोग इसे बाबा खुदनेश्वर धाम, खुदनेश्वर स्थान, खुदनेश्वर महादेव मंदिर सहित कई नामों से पुकारते हैं। मान्यता है कि इस मंदिर का नाम खुदनी बीबी नाम की एक मुस्लिम महिला के नाम से रखा गया है।
मंदिर के मुख्य पुजारी अमित झा बताते हैं कि पहले यह मंदिर छोटा था लेकिन आज यहां भव्य मंदिर है, जहां सावन के अलावा बसंत पंचमी और शिवरात्रि में मेले का आयोजन होता है। मैरवा सहित आसपास के लोग यहां मांगलिक कार्यों के लिए भी पहुंचते है, जिसके लिए सारी व्यवस्था की गई है। उन्होंने बताया कि यहां आने वाले सभी लोग शिवलिंग की पूजा करने के बाद उसी नियम से मजार की भी पूजा करते हैं।
खुदनेश्ववर धाम की सेवा में जुटे प्रियरंजन झा बताते है कि इस अनोखे धाम में आने वाले लोगों की भगवान महादेव सारी मनोकामना पूरी करते हैं। उन्होंने बताया कि ब्रिटिश काल के दौरान, 1858 में नरहन एस्टेट ने इस मंदिर की नींव रखी थी। तब से अब तक यह मंदिर काफी बदल गया है। इसका विकास धार्मिक न्यास बोर्ड की देखरेख में किया गया है।
जनश्रुतियों के मुताबिक, 14वीं सदी में इस इलाके में घनघोर जंगल हुआ करता था। यहां पर मवेशियों को चराने लेकर आते थे। खुदनी बीबी नाम की एक मुस्लिम महिला भी अपनी गाय लेकर इस क्षेत्र में आती थी। खुदनी बीबी गाय चराकर घर लौटती थी, तब गाय से दूध निकालने के समय दूध नहीं निकलने लगा। गाय के दूध नहीं देने से खुदनी बीबी परेशान हो गई और परिवार वाले भी इस पर कई आरोप लगाने लगे। एक दिन गाय चराने के क्रम में उसने देखा कि उसकी गाय एक निश्चित जगह पर खड़ी होकर अपने थन से दूध गिरा रही है। उस रात उसके सपने में खुद महादेव आए। भगवान ने खुदनी बीबी से कहा कि उसने जंगल में जो भी देखा, वह किसी को न बताए।
खुदनी बीबी ने अपने परिवार को ये बात बता दी। संयोगवश उसी रात खुदनी बीबी का निधन हो गया। परिवार के लोग दफनाने के लिए उसी जगह पर जंगल में गए, जहां गाय हर रोज अपना दूध गिराया करती थी। कब्र खोदने के दौरान कुदाल शिवलिंग से टकराई। इसके बाद उस जगह से दक्षिण की ओर दूसरी कब्र खोदकर खुदनी बीबी को दफन कर दिया। तब से यह स्थान खुदनेश्वर धाम के रूप में प्रसिद्ध होने लगा। सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल खुदनेश्वर स्थान आकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा इसे पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने की घोषणा भी की गई, लेकिन अब तक उस घोषणा को मूर्त रूप नहीं दिया गया, जिससे इस धाम को जितनी प्रसिद्धि मिलनी चाहिए थी, नहीं मिल पाई है । फिर भी स्थानीय इलाके सहित आसपास के जिले के लोगों के लिए यह बड़ा आस्था का केंद्र है।
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