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नईदिल्ली | जवाहरलाल नेहरू यूनिर्विटी (JNU) की पूर्व छात्र नेता शेहला राशिद ने मोदी सरकार की तारीफ की है। शेहला ने कहा है कि कश्मीर में मानवाधिकार का रिकॉर्ड सुधरा है। वह इस बात को स्वीकार करने के लिए मजबूर हैं। राज्य में जिंदगियां बच रही हैं। सरकार के स्पष्ट रुख ने लोगों के जीवन बचाने में मदद की है। शेहला राशिद की यह प्रतिक्रिया कई लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है। वह जम्मू-कश्मीर से ताल्लुक रखती हैं। जेएनयू छात्र संघ की शेहला उपाध्यक्ष रह चुकी हैं। फरवरी 2016 में जब जेएनयू के तत्कालीन छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार और उमर खालिद की राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तारी हुई थी, उसके बाद शेहला ने जोरदार प्रदर्शन किए थे। जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने का शेहला ने तीखा विरोध किया था।
लेकिन 4 साल गुजरते गुजरते शहला रशीद के विचारों में व्यापक बदलाव आया है. शहला ने 15 अगस्त को एक ट्वीट कर कहा है कि कश्मीर में मानवाधिकार रिकॉर्ड लगातार सुधर रहे हैं. उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार ने एक ही कोशिश में कश्मीरियों की पहचान के संकट को खत्म कर दिया है. शहला ने ऊर्जा और प्रदूषण जैसे मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों की तारीफ की है. उन्होंने कहा कि अब कश्मीर की नई पीढ़ी को संघर्ष के माहौल में बड़ा नहीं होना पड़ेगा.
मोदी सरकार और बीजेपी की कट्टर आलोचकों में थीं शहला
बता दें कि जएनयू में पीएचडी करते हुए शहला रशीद उन आवाजों में गिनी जाती थी जो नरेंद्र मोदी सरकार और बीजेपी की नीतियों की कट्टर आलोचक थीं. शहला जम्मू-कश्मीर, साम्प्रदायिकता, असहिष्णुता, हिन्दुत्व, इकोनॉमी जैसे मुद्दे पर सरकार की घनघोर आलोचना करती थीं. उनके भाषणों के वीडियो से सोशल मीडिया भरा हुआ है.
JNU में टुकड़े टुकड़े के नारे और चर्चा में आई शहला
2016 में जेएनयू में जब कथित तौर पर कुछ छात्रों ने भारत तेरे टुकड़े होंगे के नारे लगाए गए थे तो जेएनयूएसयू के अध्यक्ष कन्हैया कुमार और उमर खालिद की गिरफ्तारी हुई थी. तब ये मामला काफी सुर्खियों में रहा था. बाद में इस नारेबाजी से टुकड़े-टुकड़े गैंग निकला और इसका राजनीतिक इस्तेमाल होने लगा. छात्रों की ओर से नारेबाजी से इनकार किया गया था. इस दौरान शहला रशीद ने केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. शहला रशीद छात्रों के राजनीतिक प्रदर्शन के अधिकार को सख्ती से डिफेंड करती हुई नजर आती थीं. तब शहला कई न्यूज चैनलों और कार्यक्रमों के प्लेटफॉर्म पर आईं और अभिव्यक्ति की आजादी के समर्थन में खड़ी हुईं.
शहला के विवादित ट्वीट और राजद्रोह का मुकदमा
इसके बाद 5 अगस्त 2019 को जब केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटा दिया तो शहला ने केंद्र के इस फैसले का तीखा विरोध किया. शहला ने तब लगातार ट्वीट कर सेना और केंद्र पर आरोप लगाए थे. शहला ने ट्वीट कर कहा था कि लोगों को आतंकित और प्रताड़ित किया जा रहा है, जम्मू-कश्मीर पुलिस के पास कोई अधिकार नहीं है. सेना रात के अंधेरे में लोगों के घर घुस में रही है और लोगों को उठा रही है. सेना ने शहला के इन आरोपों को बेबुनियाद बताया था. शहला के इस ट्वीट पर उनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने ''देश में हिंसा भड़काने के इरादे से जानबूझकर फर्जी खबरें फैलाना" का आरोप लगाते हुए केस दर्ज कराया था. इस मामले में शहला पर राजद्रोह का केस दर्ज किया गया था.
370 हटाने को सु्प्रीम कोर्ट में दी चुनौती, फिर याचिका ली वापस
बाद में शहला रशीद ने जम्मू-कश्मीर के आईएएस शाह फैसल के साथ सुप्रीम कोर्ट में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाये जाने के फैसले को चुनौती दी थी. लेकिन इसी साल जुलाई में आईएएस अधिकारी शाह फैसल और एक्टिविस्ट शहला राशिद ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी याचिकाएं वापस ले ली थी.
बदलाव भरे ट्वीट से शहला ने चौंकाया
जम्मू-कश्मीर पर मोदी सरकार की नीतियों से शहला की सहमति भरे ट्वीट ने सोशल मीडिया पर लाखों लोगों को चौंकाया. शहला ने 14 अगस्त 2023 को जम्मू-कश्मीर में मनाए जा रहे तिरंगा रैली पर अपनी प्रतिक्रिया दी. शहला ने कई अखबारों की रिपोर्ट पर ट्वीट करते हुए कहा कि इस सरकार ने एक ही फैसले में कश्मीरियों के लिए पहचान का संकट खत्म कर दिया. शहला ने लिखा, "वर्तमान सरकार एक कोशिश में ही कश्मीरियों के लिए दशकों से चले आ रहे पहचान के संकट को खत्म करने में कामयाब रही है. क्या ये अनुच्छेद 370 को खत्म करने का सकारात्मक नतीजा है? शायद अगली पीढ़ी संघर्ष भरे आईडेंटिटी के साथ बड़ी नहीं होगी. शायद अब और खून-खराबा नहीं होगा."
जलवायु संरक्षण पर पीएम मोदी की तारीफ
15 अगस्त को शहला ने पीएम मोदी की जलवायु संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता को लेकर उनकी तारीफ की. शहला ने एक रिसर्च पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया और कहा कि 'जैसा कि प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कहा, भारत वास्तव में ऊर्जा परिवर्तन में अग्रणी भूमिका निभा रहा है'. शहला ने कहा कि इस तथ्य को देखते हुए कि भारत ऐतिहासिक रूप से प्रदूषण फैलाने वाला देश नहीं है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सक्रिय दृष्टिकोण सराहनीय है." इसके साथ ही उन्होंने स्वतंत्रता दिवस की भी शुभकामनाएं दी.
स्वीकार करना भले ही असुविधाजनक हो लेकिन…
15 अगस्त को एक और ट्वीट में शहला ने माना कि कश्मीर में मानवाधिकार का रिकॉर्ड नरेंद्र मोदी सरकार में सुधरा है. शहला ने ट्वीट किया, "इस बात को स्वीकार करना भले ही असुविधाजनक हो, लेकिन कश्मीर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एलजी मनोज सिन्हा के शासन में मानवाधिकार रिकॉर्ड में सुधार हुआ है. अगर एक नजरिये से देखें तो सरकार के स्पष्ट रुख ने कुल मिलाकर जीवन बचाने में मदद की है. यही मेरा दृष्टिकोण है."
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Harrison
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