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कृषि कानूनों पर शरद पवार बोले, किसानों को जहां आपत्ति वहां बदलाव करना चाहिए...

Neha Dani
2 July 2021 2:19 AM GMT
कृषि कानूनों पर शरद पवार बोले, किसानों को जहां आपत्ति वहां बदलाव करना चाहिए...
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छोटे किसानों की मदद के लिए अलग से इंतजाम किया जाएगा.

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) चीफ शरद पवार (Sharad Pawar) ने बुधवार को कहा कि किसान 7 महीनों से प्रदर्शन (Farmers Protest) कर रहे हैं और अब इस मसले का हल निकाला जाना चाहिए. पवार ने कहा कि कृषि कानूनों (New agricultural laws) को पूरी तरह से खारिज नहीं किया जा सकता लेकिन इसके जिन हिस्सों पर किसानों को ऐतराज है उनमें संशोधन बेहद जरूरी है. उन्होंने मोदी सरकार से अपील की कि किसानों के साथ बातचीत की प्रक्रिया को एक बार फिर से शुरू किया जाना चाहिए.

मुंबई में एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी के कार्यक्रम में शामिल हुए शरद पवार ने कहा कि महाराष्ट्र में कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना का गठबंधन महाविकास अघाड़ी (MVA) भी इस बात पर सहमत है कि 'पूरे बिल को खारिज कर देने के बजाय हम उस भाग में संशोधन की मांग कर सकते हैं जिसे लेकर किसानों को आपत्ति है, उन्होंने कहा कि इस कानून से संबंधित सभी पक्षों पर विचार करने के बाद ही प्रस्ताव को विधानसभा के पटल पर लाया जाएगा. इसी के बाद इस कानून को महाराष्ट्र में लागू किया जा सकता है.' पवार ने आगे कहा कि किसान पिछले 7 महीने से देश के अलग-अलग हिस्सों में प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों और केंद्र के बीच डेडलॉक की स्थिति बन गई है. केंद्र को पहल करके किसानों से बातचीत करनी चाहिए.
मंत्रियों का समूह इस पर चर्चा कर रहा
शरद पवार ने आगे कहा कि महाविकास अघाड़ी (MVA) सरकार के मंत्रियों का एक समूह इस कानून से होने वाले फायदे और नुकसान को लेकर चर्चा कर रहा है. उन्होंने आगे कहा कि राज्यों को अपने यहां इस कानून को लागू करने से पहले इसके विवादित पहलुओं पर विचार करना बेहद जरूरी है. शरद पवार ने कहा कि उन्हें नहीं लगता है कि महाराष्ट्र के दो दिनों के सत्र में ये बिल बहस के लिए आ पाएगा. बता दें कि केंद्र द्वारा पास किए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली में पिछले साल 26 नवंबर से किसानों का प्रदर्शन चल रहा है. किसान गाजीपुर बॉर्डर, सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं.
क्या है विवाद?
कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020 को लेकर किसान सबसे ज्यादा आशंकित हैं. किसानों को डर है कि इससे MSP का सिस्टम खत्म हो जाएगा और किसान अगर मंडियों के बाहर उपज बेचेंगे तो मंडियां खत्म हो जाएंगी. उधर सर्कार का इस बारे में कहना है कि इससे मंडियां ख़त्म नहीं होंगी बल्कि किसान के पास उपज को बेचने के लिए मंडी के अलावा और भी विकल्प होंगे. किसानों का कहना है कि कॉन्ट्रैक्ट या एग्रीमेंट करने से किसानों का पक्ष कमजोर होगा और इसका सीधा फायदा बड़ी कंपनियों को होगा. हालांकि सरकार ने इससे इनकार किया है और कहा है कि छोटे किसानों की मदद के लिए अलग से इंतजाम किया जाएगा.


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