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सोनागाछी की बदनाम गलियों में खुलेआम होता सेक्स कारोबार, जानिए क्या है वजह

Shantanu Roy
5 April 2023 5:13 PM GMT
सोनागाछी की बदनाम गलियों में खुलेआम होता सेक्स कारोबार, जानिए क्या है वजह
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न्यूज़ क्रेडिट: आज तक

सेक्स वर्कर करती है गलत काम
कोलकाता। एक महिला का सपना होता है कि वो इज्जत भरी जिंदगी जिए. भला किसे अच्छा लगता है किसी की गंदी गलियां सुनना, खासकर एक महिला को. लेकिन हर महिला की किस्मत इतनी अच्छी नहीं होती. दुनिया में कई महिलाएं देह व्यापार में धकेल दी जाती है. इसमें से अधिकांश को उनके जान-पहचान वाले ही इस दलदल में फंसा देते हैं. घर की गरीबी या किसी तरह की मज़बूरी के कारण ये महिलाएं जिस्म फरोशी के इस दलदल में फंसती चली जाती है. भारत में सोनागाछी ऐसी ही महिलाओं के दर्दभरे किस्सों से भरा हुआ है.

बंगाल के सोनागाछी को एशिया का सबसे बड़ा रेड लाइट एरिया कहा जाता है. सोनागाछी यानी सोने का पेड़. सालों से यहां देह व्यापार चल रहा है. पहले इसे नामी बंगाली परिवार चलाते थे. लेकिन अब यहां ज्यादातर टूटे जर्जर कोठे हैं, जहां कई महिलाएं अपनी जिंदगी के काले अध्याय को काट रही है. हमारे रिपोर्टर ने सोनागाछी के इन्हीं बदनाम गलियों की एक सेक्स वर्कर से बातचीत की. महिला ने बताया कि इन गलियों में आने वाले अच्छे घरों के मर्द उनके साथ कैसे बर्ताव करते हैं?

जानकारी के दोहराव का खतरा उठाते हुए भी हम आपको बताना चाहते हैं कि सोनागाछी कोलकाता का एक इलाका है. 300 साल से भी पुराने हुगली नदी के तट पर बसे कोलकाता शहर की कई चीजें खास हैं मसलन रसगुल्ला ही कह लें, हिल्सा मछली, गीत संगीत, फिल्म, क्रांति, हस्तियां बहुतेरी बातें हैं. लेकिन कोलकाता से जुड़ी एक और भी चीज फेमस है. जिसका नाम भद्रलोक दबी जुबान से लेता है. कोने में, यार दोस्तों की महफिल में, ये नाम है सोनागाछी.

दबी जुबान से इसलिए क्योंकि सोनागाछी रेडलाइट एरिया है. लाल रंग में बहुत उष्मा होती है, हमारे सामान्य जीवन में यह खतरे का संकेत होता है, हमें रुकने और सुस्ताने का इशारा करता है. लेकिन इसके आकर्षण का संवरण उतना ही मुश्किल है. सोनागाछी में एशिया का सबसे बड़ा देह व्यापार का केंद्र है. एक कच्चे अनुमान के अनुसार 10000 से ज्यादा सेक्स वर्कर यहां काम करती हैं. हर उम्र...हर क्षेत्र और धर्म की लड़कियां यहां उस धंधे से जुड़ी हैं, जिसकी चर्चा करते हुए हमारा समाज मुंह बिचकाता है, अच्छा नहीं कहता है. लेकिन फिर भी इस इलाके की मौजूदगी को लेकर सरकारों और शासन में एक तरह की स्वीकारोक्ति है. इन्हें यहां से कोई हटा नहीं सकता.
कभी सोनागाछी के देह व्यापार को नामी बंगाली परिवार चलाते थे. आज इन जर्जर कोठों को किराए पर दिया जाता है. यहां सनाउल्लाह की दरगाह आज भी है. ये कई बार टूटी और कई बार इसकी मरम्मत की गई. दुर्भाग्यवश इस दरगाह पर सनाउल्लाह की मौत की तारीख नहीं लिखी हुई है. सोनागाछी में अभी चुनाव का शोर है. ये इलाका कोलकाता जिले के श्यामपुकुर विधानसभा सीट में आता है. हालांकि साल भर से चल रहे कोरोना के कहर ने सोनागाछी की रंगत फीकी कर दी है. चुनाव में यहां थोड़ी हलचल बढ़ी है. इस क्षेत्र में इस बार 29 अप्रैल को चुनाव है. 2016 के चुनाव में यहां टीएमसी की डॉ शशि पांजा ने जीत हासिल की थी. दूसरे स्थान पर ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक रही थी और तीसरा नंबर बीजेपी का था. इस सीट से इस बार भी टीएमसी ने शशि पांजा को टिकट दिया है. जबकि बीजेपी की ओर से संदीपन विस्वास और ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक की ओर से जीवन प्रकाश साहा चुनाव लड़ रहे हैं. सोनागाछी की बस्ती चुनाव और देश-दुनिया के दूसरे घटनाक्रम से इतर अपनी लय में चलती जा रही है. यहां हर शाम रौशन होती रही है...सालों साल से.
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