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इस राज्य में प्रतिदिन मिल रहे हैं 7 एचआईवी संक्रमित, 7 महीने में 1542 मरीजों की पहचान
jantaserishta.com
1 Dec 2024 7:25 AM GMT
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नवजात भी शामिल.
रांची (एजेंसी): झारखंड में एचआईवी संक्रमितों की संख्या हर रोज बढ़ रही है। विश्व एड्स दिवस (एक दिसंबर) के पहले झारखंड एड्स कंट्रोल सोसाइटी की ओर से जारी आंकड़ा बताता है कि राज्य में हर रोज औसतन सात एचआईवी संक्रमितों की पहचान हो रही है। इस साल एक अप्रैल से अक्टूबर के अंत तक यानी सात महीने में राज्य में 1542 नए एचआईवी पॉजिटिव मरीजों की पहचान हुई है। इनमें आठ नवजात भी शामिल हैं।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, सात महीने में राज्य में कुल 6 लाख 56 हजार लोगों की स्क्रीनिंग से यह आंकड़ा सामने आया है। सबसे ज्यादा 203 एचआईवी संक्रमितों की पहचान रांची में की गई है, जबकि पूर्वी सिंहभूम में 194, हजारीबाग में 149 और धनबाद जिले में 124 एचआईवी मरीज पाए गए हैं। गढ़वा जिले में एक भी एचआईवी संक्रमित नहीं पाया गया, जबकि लोहरदगा में चार और सिमडेगा एवं चतरा जिले में आठ-आठ मरीजों की पहचान हुई है। पिछले साल राज्य में कुल 12 लाख से भी अधिक लोगों की स्क्रीनिंग के बाद 2074 एचआईवी संक्रमितों की पहचान हुई थी।
एचआईवी संक्रमितों के इलाज के लिए राज्य में कुल 14 एआरटी (एंटी रेट्रो वायरल ट्रीटमेंट) सेंटर बनाए गए हैं। इन केंद्रों पर उन्हें निःशुल्क दवाइयां भी उपलब्ध कराई जाती हैं। रांची के रिम्स स्थित एआरटी सेंटर में सबसे ज्यादा करीब 1600 एचआईवी मरीज हर माह दवा लेते हैं। राज्य में एचआईवी संक्रमण के 90 प्रतिशत से भी ज्यादा मामलों में यह पाया गया है कि रोजगार के सिलसिले में बाहर के प्रदेशों में लंबे समय तक रहने वाले लोग संक्रमण लेकर लौट रहे हैं। इनमें निम्न आय वर्ग के लोगों की संख्या ज्यादा है। ऐसे सैकड़ों केस हैं जिसमें ट्रक ड्राइवर और प्रवासी मजदूर बाहर से संक्रमण लेकर आए।
झारखंड एड्स कंट्रोल सोसाइटी का दावा है कि मरीजों की लगातार मॉनिटरिंग और काउंसलिंग की जा रही है। गर्भवती महिलाओं की एचआईवी जांच अनिवार्य तौर पर कराई जा रही है, ताकि गर्भावस्था के दौरान महिलाओं से बच्चों में एड्स के संक्रमण को रोका जा सके। पिछले एक साल में जिन एचआईवी पॉजिटिव मरीजों की पहचान हुई है, उनमें 198 गर्भवती महिलाएं भी हैं। सोसाइटी उन लोगों को ही एक्टिव संक्रमित मानता है, जो एआरटी सेंटरों में पहुंचकर जांच कराते हैं। एड्स और एचआईवी संक्रमितों को विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है। उन्हें अंत्योदय अन्न योजना, आयुष्मान भारत, जनधन योजना, इंटीग्रेटेड चाइल्ड प्रोटेक्शन से भी जोड़ा गया है।
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