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ब्रेकिंग: 10 साल की सजा मिली...रेप केस में फैसला आया, जानें पूरा मामला
jantaserishta.com
4 Dec 2022 8:48 AM GMT
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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक | DEMO PIC
जज ने आदेश दिया कि जुर्माने की राशि वसूलने के बाद पीड़िता को मुआवजे के तौर पर 5 हजार रुपये की राशि दी जाए.
पालघर: महाराष्ट्र के पालघर जिले की एक अदालत ने एक नाबालिग लड़की से बलात्कार के मामले में 47 साल के दोषी को 10 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है. इस मामले की सुनवाई कर रहे स्पेशल जज संजय कुमार वी खोंगल की अदालत ने शुक्रवार को यह फैसला सुनाया. साथ दोषी पर 6 हजार रुपये का सामूहिक जुर्माना भी लगाया. वहीं, जज ने आदेश दिया कि जुर्माने की राशि वसूलने के बाद पीड़िता को मुआवजे के तौर पर 5 हजार रुपये की राशि दी जाए.
विशेष लोक अभियोजक जयप्रकाश पाटिल ने अदालत को बताया कि साल 2016 में सुरक्षा गार्ड ने 7 साल की बच्ची का रेप किया था. आरोपी और पीड़िता एक ही इलाके में रहते थे. पीड़िता के पिता भी सुरक्षा गार्ड का काम करते थे.
दरअसल, 3 फरवरी 2016 को जब बच्ची की मां पानी लाने बाहर गई तो आरोपी किसी बहाने से पीड़िता को अपने घर ले गया और फिर उसके साथ रेप की घिनौनी वारदात को अंजाम दिया.
जब लड़की की मां वापस लौटी तो उसने अपनी बेटी को आरोपी के घर पर पाया.
अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया कि लड़की ने बाद में पेट दर्द की शिकायत की और घटना के बारे में अपनी मां को बताया, जिसके बाद पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया.
इस मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि पीड़ित पक्ष ने संदेह से परे आरोपी के खिलाफ सभी आरोप साबित कर दिए हैं. अब आरोपी दोषी ठहराए जाने और सजा दिए जाने की जरूरत है. इसके बाद दोषी को 10 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई और उस पर 6 हजार रुपए का जुर्माना ठोका गया. साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार से पीड़िता को मुआवजा देने और उसका पुनर्वास करने के लिए भी कहा.
इस मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि पीड़ित पक्ष ने संदेह से परे आरोपी के खिलाफ सभी आरोप साबित कर दिए हैं. अब आरोपी दोषी ठहराए जाने और सजा दिए जाने की जरूरत है. इसके बाद दोषी को 10 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई और उस पर 6 हजार रुपए का जुर्माना ठोका गया. साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार से पीड़िता को मुआवजा देने और उसका पुनर्वास करने के लिए भी कहा.
जज ने अपने आदेश में कहा, पीड़िता एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखती है. उसके साथ जो कुछ हुआ, उसकी भरपाई नहीं की जा सकती है, लेकिन फिर मुआवजा कम से कम कुछ सांत्वना जरूर देगा. पीड़िता और उसके परिवार ने बहुत कुछ झेला है. इसलिए अदालत का मत है कि पीड़िता को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से मुआवजा दिया जाना चाहिए.
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