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स्कूल को लीगल नोटिस भेजा, जानें बच्चों ने क्यों किया ऐसा?

jantaserishta.com
21 Jun 2022 12:40 PM GMT
स्कूल को लीगल नोटिस भेजा, जानें बच्चों ने क्यों किया ऐसा?
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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक

जानें पूरा मामला।

नई दिल्ली: दिल्ली में सीताराम बाजार के गली अखाड़े वाली में रहने वाले अनिल यादव के बेटे सार्थक को ईडब्ल्यूएस कैटेगरी के तहत दिल्ली के नामी प्राइवेट स्कूल में एडमिशन मिला तो बहुत खुश हुए, लेकिन उनकी खुशी ज्यादा समय तक टिकी नहीं. उन्हें एक नामी प्राइवेट स्कूल ने जोर का झटका दे दिया और 67,835 रुपये जमा कराने को कहा.

अनिल यादव अभी कुछ समझ पाते, इससे पहले उन्हें पता चला कि ईडब्ल्यूएस कोटे के करीब 14 छात्र-छात्राओं को स्कूल ने 67,835 रुपये जमा करने को कहा है. लिहाजा स्कूल प्रशासन के इस फैसले से परेशान सिद्धार्थनगर जंगपुरा के अक्षत मुकेश, कृष्णा गली कोटला मुबारकपुर के कमलप्रीत सिंह, गगन विहार एक्सटेंशन की श्रेया गुप्ता समेत तकरीबन 14 छात्र-छात्राओं की तरफ से बाराखंबा के एक नामी स्कूल को लीगल नोटिस भेजा गया.
लीगल नोटिस भेजने वाले बच्चों की तरफ से वकील अशोक अग्रवाल ने बताया कि इकॉनामिक वीकर सेक्शन (ईडब्ल्यूएस) कोटे से पढ़ने इन बच्चों ने हाल ही में दसवीं बोर्ड का पेपर दिया है और रिजल्ट इंतजार कर ही रहे थे कि स्कूल प्रशासन ने करीब 68 हज़ार रुपये की मांग कर डाली.
अशोक अग्रवाल के मुताबिक, स्कूल सरकारी जमीन पर बना हुआ है. कानून के मुताबिक ऐसे स्कूलों में ईडब्ल्यूएस कैटेगरी के बच्चों की 12वीं तक की शिक्षा में फीस नहीं ली जाती है. अगर यूं ही चलता रहा तो आठवीं में पढ़ने वाले बच्चे जब 10वीं और 12वीं में पहुंचेंगे तो उनसे फीस की वसूली होगी.
नोटिस में साफ तौर पर बच्चों को 12वीं तक की शिक्षा फ्री देने और किसी भी तरह के फीस वसूली न करने की बात कही गई है. मुख्यमंत्री और डायरेक्टर ऑफ एजुकेशन को भी इसकी कॉपी भेजी गई है. वकील अशोक अग्रवाल का कहना है कि अगर स्कूल प्राशसन अनुमति नहीं देता है तो हम हाई कोर्ट का रुख करेंगे
एनजीओ मिशन तालीम के फाउंडर इकरामुल हक का दावा है कि EWS ड्रॉ में नाम आने के बावजूद गरीब बच्चे और अभिभावक पिछले 2 महीनों से शिक्षा विभाग और स्कूल के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन एडमिशन नहीं हो रहा. कई सालों का ट्रेंड ये कहता है कि EWS की 50 हज़ार सीटों में सिर्फ आधी यानि 25 हजार के ही एडमिशन हो पा रहे हैं.
इस साल भी पहले ड्रॉ में 30 हजार बच्चों का नाम आया, जिसमें सैकड़ों बच्चों का अभी भी एडमिशन नहीं हुआ हुआ. इकरामुल हक ने आरोप लगाया कि अधिकारी जानबूझकर गलतियां निकालकर एडमिशन मना कर रहे हैं और गरीब बच्चों को परेशान कर रहे हैं, जबकि हाई कोर्ट का सख्त आदेश है कि खाली सीटें भरी जाएं.
दिल्ली में 1700 के करीब प्राइवेट स्कूल हैं. शिक्षा निदेशालय के डिप्टी एजुकेशन डायरेक्टर (प्राइवेट स्कूल ब्रांच) योगेश पाल सिंह से संपर्क की कोशिश करने पर उनका फोन स्विच ऑफ मिला.


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