कोरोना संकट में दवाइयों की कालाबाजारी करने वाले सभी हदें पार करने में लगे हैं. राजस्थान के कोटा में एक ऐसा ही सनसनीखेज मामला सामने आया है. यहां कोरोना में मरीज के लिए जीवनरक्षक माने जाने वाले रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करते हुए पकड़े गए दो सगे भाइयों से हुई पूछतात में बड़ा खुलासा हुआ है. इनमें एक भाई ने दो मरीजों के रेमडेसिविर इंजेक्शन चुरा लिये. बाद में मरीजों को पानी का इंजेक्शन लगा दिया. चुराए गए ऊंचे दामों में बेचने के लिए अपने पास रख लिए. मामले का खुलासा होने के बाद पुलिस के भी पैरों तले से जमीन खिसक गई. पुलिस ने दोनों भाइयों से दो इंजेक्शन बरामद कर लिए हैं. पकड़े गए दोनों आरोपी बूंदी जिले के निमोदा के रहने वाले हैं और सगे भाई हैं. दोनों वर्तमान में महावीर नगर में रहते हैं. इन्हें 15 मई को पकड़ा गया था. इनमें से मनोज अभी पुलिस रिमांड पर है, जबकि आरोपी राकेश को जेल भेज दिया गया है.
मामले की जांच कर रहे सहायक पुलिस उप निरीक्षक विष्णु कुमार ने बताया कि मुख्य आरोपी मनोज रेगर कोटा हार्ट हॉस्पिटल के कोविड वार्ड में ड्यूटी करता था. पूछताछ में मनोज ने स्वीकार किया है कि उसने अस्पताल में भर्ती रतनलाल और माया नाम के दो मरीजों के रेमडेसीविर इंजेक्शन चुरा लिए. बाद में उनकी जगह मरीजों को पानी का इंजेक्शन लगा दिया. मनोज का भाई राकेश अस्पताल के पास एक लैब में काम करता है. वह कोविड वार्ड में सैम्पल लेने के लिए अस्पताल जाता था.
कोटा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. विजय सरदाना के पास इस संबंध में शिकायत आई थी. डॉ. सरदाना को सूचना मिली थी कि कुछ प्राइवेट हॉस्पिटल का स्टाफ धांधलेबाजी कर रेमडेसिविर इंजेक्शन बेच रहे हैं. इस पर डॉ. विजय सरदाना ने पहले खुद अटेंडेंट बनकर उनसे बात की. बाद में स्थानीय पुलिस की मदद से डिकाय ऑपरेशन कर रेमडेसिविर की कालाबाजारी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया.