यूपी के महराजगंज जिले में 25.87 लाख रुपये के मनरेगा घोटाला सामने आने के बाद पुलिस ने मास्टरमाइंड एपीओ विनय मौर्य को गिरफ्तार कर लिया है. अब क्राइम ब्रांच की टीम उससे किसी गुप्त स्थान पर पूछताछ कर रही है. इस कार्रवाई से डीआरडीए से लेकर परतावल और घुघली ब्लाक कार्यालय में हड़कंप मच गया है. इस मामले की जांच में कई अफसरों के नाम घोटाले में आ सकते हैं.
प्रारम्भिक जांच में घोटाले का दायरा परतावल से बढ़कर घुघली ब्लाक तक पहुंच गया है. घुघली ब्लाक के चार गांव में परतावल की तरह ही मनरेगा में बिना काम कराए लाखों रुपये का भुगतान किए जाने का मामला सामने आ चुका है. एक काम में घुघली के बीडीओ के डोंगल से करीब 16 लाख रुपये का फर्जी भुगतान किया गया है. एसपी प्रदीप गुप्ता ने बताया कि मनरेगा घोटाले का मास्टरमाइंड एपीओ विनय मौर्य पकड़ा गया है. अब उससे पूछताछ की जा रही है. परतावल क्षेत्र के बरियरवा टोला में वित्तीय वर्ष 2018-19 में पोखरी सुन्दरीकरण के लिए मनरेगा से वर्क आईडी स्वीकृत हुई थी, लेकिन स्थानीय विवाद के चलते काम नहीं हो पाया था. वर्क आईडी निष्क्रिय पड़ी थी. आरोप है कि अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी (एपीओ) विनय मौर्य ने डीपीसी लॉगिन का दुरूपयोग कर सदर क्षेत्र के सतभरिया निवासी दिनेश मौर्य और एक कथित ठेकेदार के सहयोग से बरियरवा के मनरेगा वर्क आईडी को वन विभाग सोहगीबरवा को स्थानांतरित करा दिया.
वन विभाग के तीन कर्मचारियों के सहयोग उसे उस वर्क आईडी के बिना काम कराए श्रम और सामग्री मिलाकर 25 लाख 87 हजार 920 रुपये का भुगतान अवैध ढंग से कर दिया गया. इस मामले में परतावल के बीडीओ प्रवीण शुक्ला की तहरीर पर कोतवाली पुलिस ने 28 मई को अपराह्न ढाई बजे आरोपी दिनेश मौर्य निवासी सतभरिया थाना सदर कोतवाली, विनय कुमार मौर्य, कठित ठेकेदार नाम-पता अज्ञात और वन विभाग के तीन कर्मचारियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 419, 420, 409 और सूचना प्रोद्योगिकी (संशोधित) अधिनियम 2000 की धारा 66 के तहत केस दर्ज किया था. मनरेगा घोटाले में बीडीओ द्वारा केस दर्ज कराने के करीब ढाई घंटे बाद 28 मई को ही सायं 5 बज कर 9 मिनट पर वन विभाग के एसडीओ चंद्रेश्वर सिंह ने कोतवाली में तहरीर देकर सेवानिवृत्त सहायक वन संरक्षक घनश्याम राय, कम्प्यूटर आपरेटर अरविन्द श्रीवास्तव और लेखा लिपिक बिन्द्रेश कुमार सिंह के खिलाफ मनरेगा घोटाले में नामजद केस दर्ज कराया था.
उन्होंने तहरीर देकर बताया कि परतावल क्षेत्र में मनरेगा योजना के तहत वित्तीय अनियमितता की गई है. जिसे किसी भी रूप से अनदेखा नहीं किया जा सकता. इस मामले में प्रथम दृष्टया सेवानिवृत्त सहायक वन संरक्षक घनश्याम राय, कम्प्यूटर आपरेटर अरविन्द श्रीवास्तव और लेखा लिपिक बिन्द्रेश कुमार सिंह दोषी पाए गए हैं. ऐसे में इनके खिलाफ भी केस दर्ज किया जाए.
महराजगंज जिले के परतावल और घुघली ब्लाक में मनरेगा घोटाले के तहत छह सौ फर्जी मनरेगा मजदूरों से अभिलेखों में काम कराया गया. उनको भुगतान भी किया गया. खास बात यह है कि परतावल ब्लाक में मनरेगा में फर्जीवाड़े का केस दर्ज कराने वाले खंड विकास अधिकारी के ही डोंगल (डिजीटल सिग्नेचर) से घुघली ब्लाक के ग्रामसभा अहिरौली में 16 लाख 85 हजार 586 रुपये का भुगतान मिट्टी भराई के नाम पर हुआ है. अब फर्जीवाड़े में नाम आने के बाद बीडीओ का कहना है कि उनके डोंगल का क्लोन बनाकर फर्जी तरीके से भुगतान कराया गया है. इसकी जानकारी उन्हें है ही नहीं.
फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद अंदेशा जताया जा रहा है कि भ्रष्टाचार के इस खेल में कई विभागीय खिलाड़ी भी शामिल हो सकते हैं. क्योंकि मनरेगा में ठेकेदारी पर काम कराने की व्यवस्था है ही नहीं. ऐसे में वह कौन है जो विभागीय अधिकारियों के नाक के नीचे से ही उनका ही फर्जी डिजीटल सिग्नेचर इस्तेमाल करके मनरेगा में लाखों रुपये का भुगतान हड़प लिया. जिम्मेदार तंत्र उस समय कहां थे. निगरानी तंत्र कहां था. इन सभी सवालों का जवाब मिलने पर कई अधिकारी भी जांच के कटघरे में खड़ा मिलेंगे.