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कोरोना संकट पर वरिष्ठ अधिकारी ने कहा- आधिकांश देश में लाकडाउन लगे, कड़े कदम उठाने में हुई देरी

Khushboo Dhruw
12 May 2021 6:03 PM GMT
कोरोना संकट पर वरिष्ठ अधिकारी ने कहा- आधिकांश देश में लाकडाउन लगे, कड़े कदम उठाने में हुई देरी
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देश में जारी कोरोना संकट के समय पहली बार किसी वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा है कि कितने लंबे तक लाकडाउन लगना चाहिए।

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के महानिदेशक डा. बलराम भार्गव ने एक साक्षात्कार में कहा है कि कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण के लिए सबसे ज्यादा मामलों वाले जिलों में लाकडाउन अभी छह से आठ हफ्ते और बरकरार रहना चाहिए। जिन जिलों में पाजिटिविटी रेट 10 फीसद से ज्यादा है वहां तो लाकडाउन रहना ही चाहिए। वर्तमान में देश के 718 जिलों में से तीन चौथाई जिलों में पाजिटिविटी रेट 10 फीसद से अधिक है जिनमें दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु जैसे शहर शामिल हैं।

देश में जारी कोरोना संकट के समय पहली बार किसी वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा है कि कितने लंबे तक लाकडाउन लगना चाहिए। हालांकि देश के बड़े हिस्से में पहले से ही लाकडाउन है। भार्गव ने कहा, 'उच्च पाजिटिविटी वाले जिलों को बंद रहना चाहिए। अगर उनकी पाजिटिविटी दर 10 फीसद से घटकर पांच फीसद पर आ जाती है तो हम उन्हें खोल सकते हैं, लेकिन ऐसा होना चाहिए। स्पष्ट तौर पर छह से आठ हफ्तों में ऐसा नहीं होगा।'
सबसे ज्यादा प्रभावित शहरों में शुमार दिल्ली के बारे में उन्होंने कहा, 'अगर दिल्ली को कल खोल दिया जाए तो यह एक अनर्थ होगा।' दिल्ली में पाजिटिविटी दर करीब 35 फीसद तक पहुंच गई थी जो अब गिरकर 17 फीसद तक आ गई है। बता दें कि देश में कोरोना की वर्तमान लहर में रोजाना औसतन 3.5 लाख मामले और चार हजार मौतें दर्ज हो रही हैं, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि वास्तविक आंकड़े पांच से 10 गुना अधिक हैं।
भार्गव ने मोदी सरकार की आलोचना तो नहीं की, लेकिन उन्होंने माना कि संकट से निपटने में देर हुई। उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि हमें सिर्फ एक ही बात पर असंतोष था कि 10 फीसद (सिफारिश) को स्वीकार करने में थोड़ी देर हुई, लेकिन ऐसा हुआ।' उन्होंने बताया कि कोरोना पर राष्ट्रीय कार्यबल ने 15 अप्रैल की बैठक में सरकार को 10 फीसद या अधिक पाजिटिविटी दर वाले इलाकों में लाकडाउन की सिफारिश की थी। इसके बावजूद 20 अप्रैल को प्रधानमंत्री मोदी ने अपने टीवी संबोधन में राज्यों से कहा कि लाकडाउन अंतिम विकल्प होना चाहिए और उनका फोकस माइक्रो कंटेनमेंट जोनों पर रहना चाहिए। 26 अप्रैल को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यों को पत्र लिखकर कहा कि सर्वाधिक प्रभावित जिलों में बड़े कंटेनमेंट इलाकों में सख्त उपाय लागू किए जाएं, लेकिन सिर्फ 14 दिनों के लिए।
बिना मास्क लगाए मोदी की सभाएं
आइसीएमआर के दो अधिकारियों ने बताया कि बड़े राजनीतिक नेताओं द्वारा बड़ी रैलियों को संबोधित करने और धार्मिक आयोजनों की अनुमति देने से संस्थान हताश था। इन आयोजनों में जरूरी सुरक्षा मानकों का खुलेआम उल्लंघन किया गया और खुद मोदी ने बिना मास्क लगाए कई राजनीतिक सभाओं को संबोधित किया। सरकार का जिक्र करते हुए एक अधिकारी का कहना था, 'हमारे संदेश पूरी तरह गलत रहे हैं, जो हालात के मुताबिक नहीं थे। हम बुरी तरह विफल रहे।'
हालांकि भार्गव ने इससे इन्कार किया कि आइसीएमआर के भीतर किसी तरह का असंतोष था। आइसीएमआर नीति निर्धारकों के साथ मिलकर काम कर रहा था। हालांकि उन्होंने कहा कि कोरोना काल में भारत या कहीं भी भीड़ जुटाना पूरी तरह अस्वीकार्य है। भार्गव ने कहा, 'यह तो सामान्य समझ की बात है।'


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