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लखनऊ। 6 दिसम्बर बाबा साहब डॉ0 आंबेडकर के परिनिर्वाण दिवस के अवसर पर सरोजिनी नगर के रनियापुर में ” वर्तमान परिस्थिति और डॉ0 अम्बेडकर के विचार ” विषय पर गोष्ठी आयोजित की गई। गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए लेखक और इतिहासकार सुभाषचंद्र कुशवाहा ने कहा कि अंबेडकर के विचार मानवमात्र की समानता, उसके स्वाभिमान की सुरक्षा के साथ थे तो अश्पृष्यता, गैर बराबरी, ऊंच नीच का निषेध थे। अंबेडकर ने दलितों और स्त्रियों, वंचितों के प्रति बरती जा रही भेदभाव वाली आर्थिक, सामाजिक और सत्तातत्मक नीतियों का विरोध किया, उनसे मुक्ति का संघर्ष किया। वंचितों को आर्थिक समानता, शिक्षा और संपत्ति के अधिकार प्राप्त करने पर बल दिया। प्रत्येक व्यक्ति को विकास के समान अवसर उपलब्ध कराना किसी भी समाज की प्रथम और अंतिम नैतिक जिम्मेदारी होनी चाहिए। अगर समाज इस दायित्व का निर्वहन नहीं कर सके तो उसे बदल देना चाहिए।
वरिष्ठ पत्रकार व समालोचक दया शंकर राय ने कहा कि पत्रकार दया शंकर राय ने कहा कि अम्बेडकर को याद करने का मतलब सिर्फ फूल-माला चढ़ाना नहीं बल्कि उनके उन विचारों को आगे बढ़ाना है जिसका मकसद वर्णव्यवस्था से मुक्त एक समतामूलक और मानवीय समाज बनाना है। और इसके लिए उन्होंने अनिवार्यतः शिक्षित होने पर जोर दिया ताकि लोग अपने नागरिक अधिकारों को समझ सकें और किसी का कृपापात्र बनने की बजाय एक गरिमामय और सम्मानजनक जीवन के लिए लड़ने की चेतना हासिल कर सकें।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष लाल बहादुर सिंह ने कहा कि डॉ0 आंबेडकर ने चेतावनी दिया था कि अगर देश में सामाजिक लोकतन्त्र स्थापित नहीं हुआ तो राजनीतिक लोकतन्त्र भी खतरे में पड़ जाएगा। आज वह चुनौती देश के सामने खड़ी है। उन्होंने कहा कि बाबा साहब ने जाति उन्मूलन के लिए तो संघर्ष किया ही, महिलाओं के समानता के अधिकार के लिए भी हिन्दू कोड बिल के सवाल पर कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था। डॉ0 आंबेडकर केवल दलित समुदाय के नायक नहीं थे, बल्कि वे एक आधुनिक लोकतान्त्रिक राष्ट्रनिर्माण के योद्धा थे। उन्होंने कहा कि आज शिक्षा, रोजगार, जमीन, आज़ादी और लोकतन्त्र के लिए लड़ाई तेज कर ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दी जा सकती है।
कार्यक्रम के आरम्भ में ऐपवा नेता मीना सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मीना रावत जी तथा संचालन ओम प्रकाश राज ने किया। कार्यक्रम में उपस्थित लोगों में प्रमुख थे आर बी सिंह, उबैद सिद्दीकी जी, राजेश अम्बेडकर, अमर नाथ सिंह , संगीता जी , सपना जी , अनीता जी व राम बख्स जी आदि लोग शामिल थे।