हाल के महीनों में कई देशों के साथ सेमीकंडक्टर उद्योग को स्थापित करने में सहयोग को लेकर वार्ता की अगुआई कर चुके विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत का भावी सेमीकंडक्टर उद्योग सिर्फ घरेलू मांग के लिए नहीं बल्कि पूरी दुनिया की मांग को पूरा करने के लिए होगा। भारत इस सेक्टर में एक संपूर्ण सप्लाई चेन स्थापित करेगा, जो वैश्विक सप्लाई चेन का अभिन्न हिस्सा होगा।
जयशंकर रविवार को गांधीनगर में चल रहे सेमीकान इंडिया कॉन्फ्रेंस के एक सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा,
भारत की कोशिश सेमीकंडक्टर क्षेत्र में गुणवत्ता के साथ ही आपूर्ति को साधने की है। विदेश मंत्री को दुनिया की कई दिग्गज प्रौद्योगिकी कंपनियों के प्रमुखों ने सुना।
क्या कुछ बोले जयशंकर?
जयशंकर ने सबसे पहले भारत और अमेरिका के बीच सेमीकंडक्टर क्षेत्र में चल रहे सहयोग की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मार्च, 2023 में जब अमेरिका की वाणिज्य सचिव राजमोंडो भारत आई थीं तब सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन को लेकर विस्तार से बात हुई थी। इस दौरान दोनों देशों में जो समझौता हुआ है, उससे अमेरिका की चिप और साइंस एक्ट और भारत के सेमीकंडक्टर मिशन के बीच सहयोग की राह खुल गई है।
इन अमेरिकी कंपनियों ने किया निवेश का एलान
इसके बाद जब पीएम नरेन्द्र मोदी अमेरिका पर यात्रा पर गए थे तब उनकी राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ हुई वार्ता में सेमीकंडक्टर एक प्रमुख मुद्दा था। दोनों नेताओं ने एक साथ इस उद्योग से जुड़े उद्यमियों की एक बैठक की साझे तौर पर अध्यक्षता भी की थी। अमेरिका की तीन कंपनियों माइक्रोन, लैम रिसर्च और एप्लायड मैटेरियल्स ने भारत में निवेश का एलान भी किया है।
जयशंकर ने कहा,
भारत और अमेरिका भविष्य को देखते हुए अपनी तकनीकी साझेदारी को ज्यादा विस्तार देने पर काम कर रहे हैं। भारत अमेरिका और क्वाड के दूसरे देशों के साथ मिलकर भी अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी व सेमीकंडक्टर पर काम कर रहा है।
डाटा सुरक्षा का मुद्दा भी उठाया
जयशंकर ने इस संदर्भ में डाटा की सुरक्षा का मुद्दा भी उठाया और कहा कि आर्टिफिशिएयल इंटेलीजेंस के क्षेत्र में यह बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा होगा। हमारा डाटा किसके हाथ में है, यह बहुत ही बड़ा प्रश्न होने जा रहा है। अब जीवन के आधारभूत उत्पादों का निर्माण और उससे जुड़े जाटा को हम ज्यादा दिनों तक अलग नहीं रख सकते।
उन्होंने कहा कि एक लोकतांत्रिक और बहुलवादी देश होने की वजह से डाटा की सुरक्षा हमारे लिए एक बड़ी चिंता का कारण है। इसके बाद विदेश मंत्री ने प्रौद्योगिकी क्षेत्र में सकुशल श्रमिकों की कमी का मुद्दा भी उठाया और कहा कि यहां भारत की भूमिका वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण होगी।