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ओमिक्रोन वैरिएंट को बढ़ते देख कर, चुनाव आयोग ने समय से चुनाव कराने की तिथियों का किया घोषणा
Apurva Srivastav
8 Jan 2022 6:24 PM GMT
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कोरोना के ओमिक्रोन वैरिएंट के बढ़ते प्रसार के बीच ही चुनाव आयोग ने समय से चुनाव कराने की दिशा में तिथियों की घोषणा तो कर दी हैं,
कोरोना के ओमिक्रोन वैरिएंट के बढ़ते प्रसार के बीच ही चुनाव आयोग ने समय से चुनाव कराने की दिशा में तिथियों की घोषणा तो कर दी हैं, लेकिन पूरी सतर्कता और हिदायत के साथ। घोषणा के साथ ही चुनावी राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में हर दल की सभाओं व रैलियों पर रोक लग गई है। 15 जनवरी को आयोग फिर से तय करेगा कि चुनाव प्रचार का तौर तरीका क्या होगा। मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने घोषणा करते हुए कहा कि पहले चरण के मतदान की शुरुआत 10 फरवरी से होगी और सात मार्च को आखिरी यानी सातवें चरण में वोट पड़ेंगे। सभी राज्यों के परिणाम 10 मार्च को आएंगे।
पंजाब, उत्तराखंड और गोवा में 14 फरवरी को मतदान मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा ने बताया कि उत्तर प्रदेश में सात, मणिपुर में दो और पंजाब, उत्तराखंड और गोवा में एक चरण में मतदान होगा। पंजाब, उत्तराखंड और गोवा में 14 फरवरी को एक चरण में मतदान होगा जबकि मणिपुर में 27 फरवरी और तीन मार्च को दो चरणों में वोट डाले जाएंगे। 10 मार्च को पांचों राज्यों में मतगणना होगी।
10 फरवरी को यूपी से शुरुआत मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने कहा उत्तर प्रदेश में 10 फरवरी को पहले चरण के मतदान के साथ ही विधानसभा चुनावों की शुरुआत होगी। दूसरे चरण में 14 फरवरी को उत्तर प्रदेश के दूसरे चरण की वोटिंग होगी। इसी दिन पंजाब, उत्तराखंड और गोवा में एक चरण में मतदान पूरे होंगे। उत्तर प्रदेश में 20 फरवरी को तीसरे और 23 फरवरी को चौथे चरण के मतदान होंगे। 27 फरवरी को उत्तर प्रदेश में पांचवें चरण के तहत वोट डाले जाएंगे। इसी दिन मणिपुर के पहले चरण का मतदान होगा। तीन मार्च को उत्तर प्रदेश में छठे चरण और मणिपुर के दूसरे चरण के मतदान पूरे होंगे। उत्तर प्रदेश के 7वें और अंतिम चरण के मतदान सात मार्च को होगा।
चुनाव को टाला नहीं जा सकता
कुछ दिन पहले ही मुख्य चुनाव आयुक्त ने संकेत दिए थे कि चुनाव समय से होंगे और सभी दल यही चाहते हैं। शनिवार को घोषणा करते हुए उन्होंने कोरोना संकट के बीच चुनाव कराने को चुनौतीपूर्ण तो माना, लेकिन कहा कि संविधान के तहत इन राज्यों के चुनाव को टाला नहीं जा सकता है। ऐसे में कड़ी कोरोना गाइडलाइन और सतर्कता के बीच इन चुनावों को कराने का फैसला लिया गया है।
इनके पास घर बैठे पोस्टल बैलेट से मतदान का विकल्प
कोरोना संकटकाल में चुनाव कराने से जुडे़ एक सवाल पर मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि चुनावों के दौरान सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा गया है। यही वजह है कि 80 साल या उससे ज्यादा उम्र के मतदाताओं, विकलांग व कोरोना से पीडि़त मतदाताओं को घर बैठे ही पोस्टल बैलेट के जरिये मतदान का विकल्प दिया गया है। इसके साथ ही चुनाव के समय में एक घंटे की बढ़ोतरी की गई है। लोगों शारीरिक दूरी की ध्यान रखते हुए मतदान कर सकेंगे।
आगे स्थितियों को देखते हुए होंगे फैसले
इसके साथ ही स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी कोरोना प्रोटोकाल का भी कड़ाई से सभी मतदान केंद्रों पर पालन किया जाएगा। लोगों को भीड़भाड़ से बचाने के लिए सभी राज्यों में मतदान केंद्रों की संख्या भी बढ़ाई गई है। साथ ही कोरोना के संक्रमण पर विशेषज्ञों के साथ संपर्क में है। चंद्रा ने कहा कि आगे की स्थितियों को देखते हुए जो भी कड़े निर्णय लेने होंगे वे लिए जाएंगे। गौरतलब है कि वर्ष 2017 में इन पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव की घोषणा उस साल चार जनवरी को की गई थी।
वर्चुअल और डिजिटल माध्यम से चुनाव प्रचार
चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों से 15 जनवरी तक वर्चुअल और डिजिटल माध्यम से चुनाव प्रचार करने को कहा है। 15 जनवरी के बाद कोरोना संक्रमण की स्थिति की समीक्षा की जाएगी और तात्कालिक स्थितियों को देखते हुए निर्णय लिया जाएगा। घर-घर प्रचार के दौरान प्रत्याशी सहित सिर्फ पांच व्यक्तियों को ही शामिल होने की इजाजत होगी। सुरक्षाकर्मी इससे अलग होंगे।
चुनाव प्रचार से जुडे आयोग के अन्य दिशा-निर्देश
स्टार प्रचारकों की संख्या घटेगी। राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजनीतिक दल अब 40 की जगह सिर्फ 30 लोगों को ही स्टार प्रचारक बना सकेंगे, जबकि गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल भी 20 की जगह 15 लोगों को ही स्टार प्रचारक बना सकेंगे।
कोई विजय जुलूस नहीं निकलेगा। विजयी प्रत्याशी सिर्फ दो लोगों के साथ ही प्रमाण पत्र लेने के लिए आएंगे।
यदि कोई भी राजनीतिक दल या प्रत्याशी कोरोना से जुड़ी गाइडलाइन का उल्लघंन करता है, उसे आगे किसी और रैली या सभा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
मतदान केंद्रों पर सुरक्षा के कुछ इस तरह रहेंगे इतंजाम
मतदान केंद्रों पर चुनाव प्रक्रिया से जुड़े सभी के लिए मास्क पहनना अनिवार्य होगा।
बूथ पर शारीरिक दूरी को ध्यान में रखा जाएगा। इसके लिए वालंटियर तैनात किए जाएंगे।
बूथ के अंदर जो भी कर्मचारी और सुरक्षाकर्मी तैनात होंगे सभी वैक्सीन की दोनों डोज लेने वाले होंगे।
बूथ के अंदर एजेंट आदि को जाने की अनुमति नहीं होगी।
बूथ पर थर्मल स्की¨नग होगी और सैनिटाइजर अनिवार्य रूप से रखना होगा।
सभी चुनावकर्मियों के लिए दस्ताने अनिवार्य होंगे।
मतदान केंद्रों में जाने और आने का अलग-अलग रास्ता होगा।
सोशल मीडिया पोस्टों पर भी रहेगी नजर
मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा ने कहा कि यूपी में 10 जनवरी को नोटिफिकेशन जारी होगा जबकि 21 जनवरी नामांकन की लास्ट डेट रखी गई है। निर्वाचन आयुक्त ने यह भी कहा कि इस बार सोशल मीडिया पोस्टों पर भी कड़ी नजर रहेगी। नफरत वाले भाषणों यानी हेट स्पीच को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
राजनीति में बढ़ते आपराधीकरण को रोकने के लिए आयोग सख्त
मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि राजनीति में बढ़ते आपराधीकरण पर रोक लगाने के लिए अहम कदम उठाए गए हैं। इसके तहत राजनीतिक दलों को उम्मीदवार तय करने के 48 घंटे के भीतर उनके क्रिमिनल रिकार्ड को सार्वजनिक करना होगा। साथ ही यदि किसी दागी को उम्मीदवार बनाया है तो उसे यह भी बताना होगा कि क्यों उन्होंने इसे उम्मीदवार बनाने की फैसला लिया। राजनीतिक दलों को यह सारी जानकारी टीवी और समाचार पत्रों में प्रकाशित कराने के साथ ही पार्टी की अधिकृत वेबसाइट के मुख्य पृष्ठ पर अपराधिक छवि वाले उम्मीदवार के रूप में प्रदर्शित करनी होगी। आयोग का मानना है कि इस मुहिम से लोगों खुद ही तय करेंगे कि उन्हें किसे वोट देना या नहीं देना है।
विजय जुलूस की भी इजाजत नहीं
चुनाव प्रचार के दौरान कोरोना गाइडलाइंस का पूरी तरह अनुपालन सुनिश्चित करना होगा। इसमें शामिल होने वाले लोगों के लिए कोरोना से बचाव के लिए मास्क और सैनिटाइजर की व्यवस्था राजनीतिक दल ही करेंगे। मतगणना के बाद किसी भी तरह के विजय जुलूस की इजाजत नहीं होगी...
15 जनवरी तक रोड शो, रैली, जुलूस की इजाजत नहीं
कोरोना की चुनौतियों पर मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा- यकीन हो तो कोई रास्ता निकलता है, हवा की ओट लेकर भी चिराग जलता है। राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को हमारी सलाह है कि वे अपने चुनाव प्रचार कार्यक्रमों को डिजिटल मोड में ही चलाएं। 15 जनवरी तक कोई भी रोड शो, बाइक रैली, जुलूस या पद यात्रा की इजाजत नहीं होगी। यही नहीं 15 जनवरी तक कोई फीजिकल रैली भी नहीं आयोजित की जाएगी। बाद में डीटेल गाइडलाइंस जारी की जाएंगी।
राजनीतिक दलों के लिए दिशा-निर्देश
CEC सुशील चंद्र ने कहा कि राजनीतिक दलों के सभी चुनावी कार्यक्रमों की वीडियोग्राफी कराई जाएगी। पार्टियों को अपने उम्मीदवारों की आपराधिक रिकार्ड की घोषणा अनिवार्य रूप से करनी होगी। यूपी, पंजाब और उत्तराखंड में हर उम्मीदवार 40 लाख रुपए ही खर्च कर पाएगा। वहीं मणिपुर और गोवा में उम्मीदवार के लिए चुनावी खर्च सीमा 28 लाख रुपए तक ही सीमित रहेगी।
पारदर्शी चुनाव के लिए डिजिटल तकनीक की मदद
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि वोटरों को एक छोटी सी मतदाताओं को गाइड मुहैया कराई जाएगी। स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव के लिए डिजिटल तकनीक अपनाई गई है। इस बार सी-विजिल एप पर किसी भी तरह के चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन की जानकारी दी जा सकेगी। यही नहीं दिव्यांगों के लिए हर बूथ पर व्हील चेयर की भी व्यवस्था की जाएगी।
900 पर्यवेक्षक रखेंगे नजर, संवेदनशील बूथों की वीडियोग्राफी
CEC सुशील चंद्र ने कहा कि धन बल और सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग को लेकर हर बार की तरह इस बार भी जीरो टालरेंस की नीति रहेगी। इस बार कुल 900 पर्यवेक्षक चुनाव प्रक्रिया पर नजर रखेंगे। यदि जरूरी हुआ तो स्पेशल आब्जर्वर भी तैनात होंगे। संवेदनशील बूथों पर पूरे दिन वीडियोग्राफी कराई जाएगी। पांचों राज्यों में एक लाख से ज्यादा पोलिंग स्टेशनों का लाइव वेबकास्ट किया जाएगा।
अधिकतम मतदाताओं की संख्या 1500 से 1250 निर्धारित
CEC सुशील चंद्र ने कहा कि इस बार आयोग पर्याप्त संख्या में वीवीपैट की व्यवस्था करेगा। उम्मीदवारों को आनलाइन नामांकन का भी विकल्प मिलेगा। पोलिंग स्टेशन पर अधिकतम मतदाताओं की संख्या 1500 से 1250 निर्धारित की गई है। दिव्यांगों और 80 साल से ज्यादा उम्र वाले वरिष्ठ नागरिकों के साथ कोविड संक्रमितों को घर से मतदात करने की सुविधा मिलेगी।
चुनाव अधिकारियों को लगेगी प्रीकोशनरी डोज
मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने कहा कि सभी चुनाव अधिकारियों और कर्मचारियों को फ्रंटलाइन वर्कर माना। उन्होंने कहा कि सभी पात्र अधिकारियों को प्रीकोशनरी डोज लगाई जाएगी। कम वोटिंग प्रतिशत वाले पोलिंग बूथ पर जागरूकता अभियान चलाया जाएगा ताकि ज्यादा से ज्यादा संख्या में वोटर अपने मताधिकार का इस्तेमाल करें।
16 फीसद पोलिंग बूथ बढ़ाए गए
CEC सुशील चंद्र ने कहा कि इस बार 16 फीसद पोलिंग बूथ बढ़ाए गए हैं। 2.15 लाख से ज्यादा पोलिंग स्टेशन बने हैं। चुनाव कोविड प्रोटोकाल के साथ कराए जाएंगे। पोलिंग बूथ पर कोरोना से बचाव के लिए मास्क, सेनिटाइजर आदि उपलब्ध कराए जाएंगे। थर्मल स्कैनिंग की भी व्यवस्था की गई है।
18.34 करोड़ मतदाता इस चुनाव में हिस्सा लेंगे
CEC सुशील चंद्र ने कहा कि सर्विस मतदाता को मिलाकर 18.34 करोड़ मतदाता इस चुनाव में हिस्सा लेंगे जिनमें से 8.55 करोड़ महिला मतदाता हैं। 24.9 लाख वोटर पहली बार वोट डालेंगे। हर विधानसभा क्षेत्र में कम से कम एक पोलिंग स्टेशन ऐसा होगा जिसका संचालन पूरी तरह से महिलाओं के हाथ में होगा। यहां तक की इस पोलिंग स्टेशन पर सुरक्षाकर्मी भी महिलाएं ही होंगी।
#WATCH Live: Election Commission of India announces Assembly polls schedule for Goa, Punjab, Manipur, Uttarakhand & Uttar Pradesh https://t.co/c9oDf6AdJd
— ANI (@ANI) January 8, 2022
चुनावी राज्यों में टीकाकरण दर संतोषजनक
मुख्य चुनाव आयुक्त ने यह भी स्पष्ट किया कि चुनाव की घोषणा से पहले किन-किन चीजों को ध्यान में रखा गया है, खासकर चुनावी राज्यों में संक्रमण दर क्या है। इसके साथ ही चुनावी राज्यों की वैक्सीनेशन दर को ध्यान में रखा गया है। राज्यों से इसे तेज करने के लिए भी कहा गया था। यही वजह है कि चुनावी राज्यों में मौजूदा समय में वैक्सीनेशन की दर संतोषजनक है।
चुनावी राज्यों में टीकाकरण का आंकड़ा
गोवा में 95 प्रतिशत लोग वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके हैं, जबकि उत्तराखंड में 99 प्रतिशत से ज्यादा लोग वैक्सीन की पहली डोज और 83 प्रतिशत लोग दोनों डोज ले चुके हैं। इसी तरह उत्तर प्रदेश में भी 90 प्रतिशत लोग वैक्सीन की पहली डोज ले चुके हैं, जबकि 52 प्रतिशत लोग दोनों डोज ले चुके हैं। पंजाब में 82 प्रतिशत लोग वैक्सीन की पहली डोज ले चुके है, जबकि 46 प्रतिशत ने दूसरी डोज भी ले ली है। मणिपुर में भी 57 प्रतिशत लोग वैक्सीन की पहली और 43 प्रतिशत दूसरी डोज भी ले चुके हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त के साथ इस मौके पर सहयोगी चुनाव आयुक्त राजीव कुमार और अनूप चंद्र पांडेय भी मौजूद थे।
तीन लक्ष्यों पर काम, एक घंटे समय बढ़ाया
CEC सुशील चंद्र ने कहा कि इस बार पांचों राज्यों में वोटिंग के लिए अतिरिक्त एक घंटे का समय बढ़ाया गया है।आयोग ने तीन लक्ष्यों पर काम किया है। ये टारगेट हैं आसान और कोविड सेफ चुनाव के साथ साथ मतदाताओं की ज्यादा से ज्यादा से ज्यादा भागीदारी। कोरोना काल में पांच राज्यों की 690 विधानसभा क्षेत्रों कोविड सेफ चुनाव कराना बेहद चुनौती भरा काम है। इन चुनावों में 18 करोड़ से ज्यादा वोटर हिस्सा लेंगे!
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