भारत
भूमि संसाधन विभाग के सचिव अजय तिर्की ने विश्व बैंक टीम के साथ रिवॉर्ड कार्यक्रम की समीक्षा की
jantaserishta.com
27 May 2023 12:20 PM GMT
x
नई दिल्ली: भारत सरकार के भूमि संसाधन विभाग (डीओएलआर) के सचिव अजय तिर्की ने नवोन्मेषी विकास कार्यक्रम के माध्यम से कृषि अनुकूलता के लिए विश्व बैंक से सहायता प्राप्त कायाकल्प जल-संभर (रिवार्ड) के कार्यान्वयन सहायता मिशन की समीक्षा की।
रिवार्ड विश्व बैंक से सहायता प्राप्त एक जल-संभर विकास कार्यक्रम है, जिसे 2021 से 2026 तक कार्यान्वित किया जा रहा है। रिवार्ड कार्यक्रम का विकास उद्देश्य "किसानों की अनुकूलता बढ़ाने और सहभागी राज्यों के चयनित जल-संभरों में मूल्य श्रृंखलाओं की सहायता करने के लिए उन्नत जल-संभर प्रबंधन को अपनाने के लिए राष्ट्रीय और राज्य संस्थानों की क्षमताओं को सुदृढ़ बनाना है।" इस कार्यक्रम का कार्यान्वयन ग्रामीण विकास मंत्रालय के भूमि संसाधन विभाग और कर्नाटक तथा ओडिशा राज्यों में आधुनिक जल-संभर प्रथाओं को लागू करने के लिए किया जा रहा है। रिवार्ड कार्यक्रम का कुल बजट परिव्यय 4.5 वर्ष की कार्यक्रम अवधि में 167.71 मिलियन डॉलर है। इसमें विश्व बैंक से 115 मिलियन डॉलर [कर्नाटक (60 मिलियन डॉलर), ओडिशा (49 मिलियन डॉलर) और भूमि संसाधन विभाग (6 मिलियन डॉलर)], दो भाग लेने वाले राज्यों [कर्नाटक (25.71 डॉलर) और ओडिशा (21.0 मिलियन डॉलर) से 46.71 मिलियन डॉलर और भूमि संसाधन विभाग से 6 मिलियन डॉलर)] शामिल हैं। विश्व बैंक और राज्यों के बीच वित्तपोषण पैटर्न 70:30 है, जबकि विश्व बैंक और भूमि संसाधन विभाग के बीच यह 50:50 है।
केंद्रीय स्तर पर, रिवार्ड कार्यक्रम के दायरे में भूमि संसाधन विभाग द्वारा प्रबंधन, निगरानी, संचार और ज्ञान साझा करने के कार्य शामिल हैं। राज्य स्तर पर रिवार्ड कार्यक्रम डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई 2.0 के दायरे में सन्निहित होगा और प्रमुख विज्ञान-आधारित कार्यकलापों और प्रदर्शनों के कार्यान्वयन की सहायता करेगा, जिसका उद्देश्य अंततोगत्वा भारत के अन्य राज्यों में डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई 2.0 के व्यापक परिप्रेक्ष्य को समन्वित करना है।
तृतीय कार्यान्वयन सहायता मिशन (आईएसएम) के एक हिस्से के रूप में श्रीमती प्रीति कुमार की अध्यक्षता में विश्व बैंक की टीम ने प्रगति की समीक्षा करने और अगले 6 महीनों की कार्य योजना के बारे में चर्चा करने के लिए तीसरे आईएसएम के लिए डीओएलआर और रिवार्ड राज्यों का दौरा किया। मिशन पूरा करने के बाद कल टीम ने भारत सरकार के भूमि संसाधन विभाग का दौरा किया और डीओएलआर के सचिव को आईएसएम के परिणामों की जानकारी दी। डीब्रीफिंग के दौरान टीम ने महसूस किया कि रिवार्ड की प्रगति पटरी पर है और उसने वर्तमान प्रगति के लिए डीओएलआर के प्रयासों की सराहना की तथा डीओएलआर के सचिव से कार्यक्रम के संवितरण से जुड़े संकेतकों के अनुसार प्रगति अर्जित करने के लिए उनसे निरंतर सहायता का अनुरोध किया।
डीब्रीफिंग बैठक के दौरान जिन अन्य बिंदुओं पर चर्चा की गई उनमें जल-संभर घटक पर उत्कृष्टता केंद्र, जिसे रिवार्ड कार्यक्रम के तहत बेंगलुरु में स्थापित किया गया था, को सुदृढ़ करना, विज्ञान आधारित जल-संभर प्रबंधन पर राष्ट्रीय स्तर की कार्यशाला का आयोजन करना, प्रायोगिक आधार पर देश भर के भूमि संसाधन सूची (एलआरआई) के विस्तार के लिए प्रोटोकॉल का विकास, किसानों को एलआरआई आधारित डिजिटल परामर्शी सेवाएं प्रदान करना और रिवार्ड अधिकारियों का ज्ञानवर्धक दौरा आदि शामिल है।
संयुक्त सचिव (डब्ल्यूएम) नितिन खाड़े, विश्व बैंक के आईएसएम सदस्यों के वरिष्ठ अपर आयुक्त डॉ. सी.पी. रेड्डी, रिवार्ड कार्यक्रम के एनपीएमयू के विशेषज्ञ और डीओएलआर के अन्य अधिकारियों ने बैठक में हिस्सा लिया।
Next Story