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कोरोना का दूसरी लहर: देश में संक्रमण फैला रहा नए वायरस, डॉक्टर भी हो गए हैरान

Deepa Sahu
13 April 2021 5:53 PM GMT
कोरोना का दूसरी लहर:  देश में संक्रमण फैला रहा नए वायरस,  डॉक्टर भी हो गए हैरान
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देश में दूसरी कोरोना लहर

जनता से रिश्ता वेबडेस्क: देश में दूसरी कोरोना लहर की बड़ी वजह बना कोविड-19 का नया वैरिएंट न केवल बेहद घातक है बल्कि वह छिपकर वार कर रहा है। ऐसे में बार-बार कोरोना टेस्ट में भी वह पकड़ में नहीं आ रहा है। डॉक्टर भी यह देखकर हैरान हो गए हैं।

दिल्ली के अस्पतालों में कई ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जिनमें मरीजों में कोरोना के खास लक्षण मौजूद हैं, लेकिन उनकी जांच रिपोर्ट निगेटिव आ रही है। कई बार तो मरीजों की दो-दो, तीन-तीन बार जांचें कराई जा रही हैं और यहां तक की आरटी-पीसीआर टेस्ट भी हो रही है, फिर भी जांच रिपोर्ट में यह छिपा वायरस पकड़ में नहीं आ रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि पिछले कुछ दिनों में ऐसे कोरोना पीड़ितों के कई मामले सामने आए हैं।

पूरे लक्षण मौजूद, पर रिपोर्ट निगेटिव
डॉ. आशीष चौधरी के अनुसार नए मरीजों में कोरोना वायरस के पूरे लक्षण दिख रहे हैं, लेकिन जब टेस्ट कराया जाता है तो उसमें कोरोना नहीं आ रहा। इन मरीजों में बुखार, कफ, धीमी सांस, फेफड़ों के सीटी स्कैन में कफ जमाव के संकेत सब मिल रहे हैं, लेकिन कोरोना का यह नया वैरिएंट कहां घुसकर बैठा है कि वह पकड़ में नहीं आ पा रहा।
रिपोर्ट निगेटिव आना असामान्य नहीं
बेंगलुरु के डॉ. प्रदीप रंगप्पा का कहना है कि तमाम लक्षणों के बावजूद कोरोना जांच रिपोर्ट निगेटिव आना कोई असामान्य बात नहीं है। आरटी-पीसीआर टेस्ट के सही होने की दर भी 70 फीसदी है। इसीलिए डॉक्टर सीटी स्कैन, एलडीएच, सी-आरपी और रक्त में संक्रमण का पता लगाने के लिए लिम्फोपेनिया टेस्ट कराते हैं।
डॉ. चौधरी का कहना है कि कुछ मरीजों का ब्रोकोलवेओलार टेस्ट कराया जाता है। इसमें मुंह या नाक से एक नली डालकर फेफड़ों में जमा कफ निकालकर उसका परीक्षण किया जाता है, उसमें जाकर कोरोना की पुष्टि होती है। यह टेस्ट करने पर पता चला कि जिन रोगियों की रिपोर्ट निगेटिव आ रही थी, वे सब कोरोना पॉजिटिव थे।
सीधे फेफड़े में पहुंच रहा वायरस
इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बाइलरी साइंसेज में क्लिनिकल माइक्रोबायोलॉजी की एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर प्रतिभा काले ने एक अखबार से चर्चा में कहा कि 'संभव है कि इन मरीजों में वायरस नाक या गले के रास्ते से फेफड़ों में नहीं पहुंचा हो, इसलिए वह यहां से लिए जाने वाले सैंपल की जांच में पकड़ में नहीं आया।


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