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ड‍िप्रेशन में स्कूली छात्र ने किया सुसाइड, पंखे की सीलिंग से झूलता मिला शव

Nilmani Pal
13 Sep 2021 12:12 PM GMT
ड‍िप्रेशन में स्कूली छात्र ने किया सुसाइड, पंखे की सीलिंग से झूलता मिला शव
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परिजन सदमे में

मोबाइल ऑनलाइन वीडियो गेम 'फ्री फायर' के जानलेवा जुनून का शिकार होकर हुगली के हायर सेकेंडरी के एक छात्र ने अपनी जान दे दी. मृतक छात्र का नाम सुभदीप घोषाल (21) है. यह घटना पश्च‍िम बंगाल के हुगली ज‍िले की है. मृतक छात्र के पिता ने बताया कि 2 साल पहले जब उसने अच्छे नंबरों से माध्यमिक परीक्षा पास की थी तो उन्होंने अपने बेटे को पुरस्कार स्वरूप एक एंड्रॉयड मोबाइल फोन गिफ्ट में दिया था. पिछले 2 वर्षों से कोरोना की मार के कारण बच्चों और छात्रों के एकमात्र मनोरंजन का जरिया मोबाइल फोन बनकर रह गया.

उसके पिता और परिवार वालों ने बताया कि मोबाइल खरीदने के बाद से सुभदीप ने धीरे धीरे अपने दोस्तों सगे-संबंधियों और परिवारों से मिलना-जुलना एकदम बंद कर दिया. मोबाइल गेम 'फ्री फायर' की दीवानगी उस पर इस कदर चढ़ती गई कि वह देर रात तक जागकर मोबाइल गेम खेलता था और दिन के समय दोपहर तक सोया रहता था.

गेम के चक्कर में ड‍िप्रेशन का हो गया था श‍िकार

इस जानलेवा गेम के चक्कर में वह धीरे-धीरे मानसिक रूप से अवसादग्रस्त भी होता चला गया. परिवार वालों के लाख मना करने पर उसने एक न सुनी. रात में वह समय पर माता-पिता के साथ डिनर करके अपने कमरे में चला गया लेकिन सुबह होने पर उसके कमरे का दरवाजा बार-बार खटखटाने और उसे पुकारने पर भी जब उसने रिस्पांस नहीं किया तो परिवार के लोग दरवाजा तोड़कर घर में दाखिल हुए. अंदर देखा तो सुभदीप पंखे की सीलिंग से झूलता हुआ पाया गया. सुभदीप के परिवार में दो भाई-बहन और माता-पिता हैं. पिता पेशे से किसान हैं.

मृतक छात्र के चचेरे भाई सुजय और सुभदीप के भाई निमाई घोषाल ने बताया कि उनका भाई मोबाइल का दीवाना हो गया. अक्सर अपने माता-पिता से पैसे की भी मांग करने लगा. कई बार उसकी मांग पूरी कर दी जाती थी लेकिन जब मांग पूरी नहीं होती थी तो वह माता-पिता से लड़ाई करने लगता था. यहां तक कि एक पारंपरिक बंगाली परिवार में जन्म लेने के बावजूद भी वह मोबाइल गेम खेलते-खेलते फर्राटेदार हिंदी बोलने लगा था. छात्र की मौत के घटना की खबर तत्काल पुलिस को दी गई. पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंचकर मृतक के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए आरामबाग के महकमा अस्पताल भेज दिया.

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