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स्कॉलरशिप घोटाला: केंद्र ने सीबीआई को सौंपा जांच का जिम्मा, इस सरकार ने फाइल देने से इनकार किया

jantaserishta.com
30 July 2021 3:03 AM GMT
स्कॉलरशिप घोटाला: केंद्र ने सीबीआई को सौंपा जांच का जिम्मा, इस सरकार ने फाइल देने से इनकार किया
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पंजाब के बहुचर्चित पोस्ट मैट्रिक दलित वजीफा फंड वितरण घोटाले की जांच सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) ने शुरू कर दी है. केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की एक शिकायत के आधार पर सीबीआई के चंडीगढ़ कार्यालय ने पंजाब के सामाजिक न्याय विभाग के प्रिंसिपल सचिव से तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव कृपा शंकर सरोज द्वारा 24 अगस्त 2020 को मुख्य सचिव को सौंपी गई रिपोर्ट की सत्यापित कॉपी मांगी है जिसे लेकर पंजाब सरकार (Punjab Government) आनाकानी कर रही है.

सीबीआई से जुड़े सूत्रों के मुताबिक ब्यूरो ने दलित छात्रवृत्ति घोटाले (Scholarship Scam) की प्रारंभिक जांच शुरू कर दी है. सीबीआई ने इस घोटाले से जुड़े सभी दस्तावेजों की सत्यापित प्रतियां पंजाब सरकार से मांगी हैं. उन शिक्षण संस्थानों की सूची भी मांगी गई है जिनके जरिए छात्रवृत्ति की धनराशि आवंटित की गई थी.
आईएएस अधिकारी की रिपोर्ट के बाद उजागर हुआ था घोटाला
गौरतलब है कि पंजाब सरकार के तत्कालीन सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव कृपा शंकर सरोज ने 24 अगस्त 2020 को पंजाब के मुख्य सचिव को एक जांच रिपोर्ट सौंपी थी जिसमें 55.71 करोड़ रुपये का घोटाला उजागर हुआ था. भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से घोटाले की कुल राशि से 39 करोड़ रुपये कथित तौर पर फर्जी शिक्षण संस्थानों के खातों में ट्रांसफर किए गए.
रिपोर्ट में कहा गया था कि 16.71 करोड रुपये ऐसे शिक्षण संस्थानों को दे दिए गए जिन पर पहले से ही वित्तीय अनियमितताएं बरतने का आरोप था. आठ करोड रुपये गैरकानूनी तरीके से ट्रांसफर किए गए थे जिसका खुलासा खुद पंजाब सरकार की दूसरी जांच में भी हुआ था.
कृपाशंकर सरोज ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री साधु सिंह धर्मसोत विभाग के एक उपनिदेशक को बचाने में लगे हुए थे जिस पर घोटाले को अंजाम देने का आरोप है.
उधर पंजाब सरकार के मुख्य सचिव के आदेश पर इस घोटाले की दोबारा से जांच की गई तो मंत्री साधू सिंह धरमसोत को क्लीन चिट दे दी गई. इस रिपोर्ट में 39 करोड़ रुपये के भुगतान को सही बताया गया था.
पंजाब ने सीबीआई को दस्तावेज देने से इनकार किया
पंजाब में हुए कथित दलित वजीफा घोटाले के मामले की जांच को लेकर पंजाब और केंद्र सरकार एक बार फिर आमने-सामने है. केंद्र सरकार ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है क्योंकि घोटाले का पैसा केंद्र सरकार ने जारी किया गया था. सीबीआई से पहले केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय भी दो बार राज्य सरकार से घोटाले से जुड़े दस्तावेज और जांच रिपोर्ट तलब कर चुका है लेकिन राज्य सरकार ने ना तो मंत्रालय को ही दस्तावेज सौंपे और ना ही सीबीआई को.
राज्य सरकार का मानना है कि उसने नवंबर 2020 में सीबीआई को जांच के लिए दी गई सहमति वापस ले ली है. इसलिए सीबीआई को पंजाब में जांच करने का अधिकार नहीं है. पंजाब सरकार इस बाबत बाकायदा एक नोटिफिकेशन भी जारी कर चुकी है.
कैप्टन अमरिंदर सरकार विपक्ष के निशाने पर
विपक्षी भारतीय जनता पार्टी, आम आदमी पार्टी और शिरोमणि अकाली दल ने पंजाब सरकार पर दलित छात्रवृत्ति घोटाला दबाने के आरोप लगाए हैं. बीजेपी के नेता कह रहे हैं कि अगर मंत्री साधु सिंह धर्मसोत की इसमें भागीदारी नहीं हैं तो राज्य सरकार आखिर इस घोटाले की जांच से जुड़े दस्तावेज सीबीआई को देने से क्यों घबरा रही है?
अकाली दल ने कहा है कि पंजाब की कांग्रेस सरकार पूरी तरह से भ्रष्टाचार में लिप्त है और भ्रष्ट अधिकारियों और मंत्रियों को बचाने में जुटी हुई है.
आम आदमी पार्टी के नेता और नेता प्रतिपक्ष हरपाल सिंह चीमा ने कांग्रेस और अकाली दल दोनों पर दलित छात्रों के वजीफे का पैसा हड़पने का आरोप लगाया है. आम आदमी पार्टी के नेता कह रहे हैं कि जब उनकी सरकार आएगी तो दोनों सरकारों के कार्यकाल के दौरान हुए घोटालों में शामिल अधिकारियों और मंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई होगी.
गौरतलब है कि पंजाब में अन्य राज्यों की तुलना में दलितों की आबादी सबसे ज्यादा है. पंजाब की कुल आबादी का 32 फ़ीसदी हिस्सा होने के बावजूद भी दलित हाशिए पर हैं. राज्य में हुए दलित छात्रवृत्ति घोटाले से सैकड़ों दलित छात्रों का भविष्य दांव पर लगा हुआ है. छात्रवृत्ति न मिलने के कारण एक तरफ जहां दर्जनों दलित छात्र शिक्षा से वंचित रहे वहीं कई बिना छात्रवृत्ति के ही डिग्री कोर्स पूरा करने पर मजबूर हुए.


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