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SC ने इसरो वैज्ञानिक नंबी नारायणन को फंसाने के मामले में आईबी व पुलिस अधिकारियों को अग्रिम जमानत के खिलाफ भेजा नोटिस

Gulabi
22 Nov 2021 1:56 PM GMT
SC ने इसरो वैज्ञानिक नंबी नारायणन को फंसाने के मामले में आईबी व पुलिस अधिकारियों को अग्रिम जमानत के खिलाफ भेजा नोटिस
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इसरो वैज्ञानिक नंबी नारायणन को फंसाने का मामला
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को 1994 जासूसी मामले में इसरो वैज्ञानिक नंबी नारायणन को कथित रूप से फंसाने के मामले में केरल हाईकोर्ट द्वारा चार पुलिस और खुफिया ब्यूरो के अधिकारियों को दी गई अग्रिम जमानत को चुनौती देने वाली सीबीआई की याचिका पर नोटिस जारी किया है। जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 29 नवंबर की है। सीबीआई की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू ने हाईकोर्ट के 13 अगस्त के आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध किया लेकिन पीठ ने इनकार कर दिया।
पीठ ने कहा, 'रोक लगाने का सवाल कहां है? हम मामले की सुनवाई 29 नवंबर को कर रहे हैं।' सीबीआई ने पुलिस अधिकारियों एस विजयन, थंपी एस दुर्गादत्त के साथ-साथ आरबी श्रीकुमार (जो बाद में गुजरात डीजीपी बने) और आईबी के पूर्व अधिकारी एस जयप्रकाश को दी गई अग्रिम जमानत के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की है।
सुनवाई के दौरान सीबीआई के लिए एएसजी एसवी राजू ने मामले के तथ्यों से पीठ को अवगत कराते हुए कहा कि आईबी के अधिकारियों ने चार वैज्ञानिकों को हिरासत में लिया और उन्हें प्रताड़ित किया, जबकि उनका जांच से कोई लेना-देना नहीं था। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों को हिरासत में लेने के कारण क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन परियोजना की तकनीक का आविष्कार 10-20 साल पीछे चला गया था।
एसएसजी राजू ने अधिकारियों की अग्रिम जमानत का विरोध करते हुए कहा, 'जांच की जानी है। अग्रिम जमानत देने से जांच पटरी से उतर जाएगी।
एएसजी ने कहा कि वैज्ञानिकों को इस मामले में गलत तरीके से शामिल किया गया था। न्यायमूर्ति डीके जैन समिति की रिपोर्ट और रिपोर्ट के आधार पर सीबीआई ने मामले को आगे बढ़ाया। यह पाया गया कि आईबी के इस अधिकारी का जांच से कोई लेना-देना नहीं था लेकिन उन्होंने चार लोगों को हिरासत में लिया और उन्हें प्रताड़ित किया।
वास्तव में वर्ष 1994 में कुछ गोपनीय दस्तावेज अन्य देश के लोगों को सौंपा गया था। इस मामले में वैज्ञानिक नारायणन व अन्य को गिरफ्तार किया गया था। बाद में सीबीआई ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा था कि नारायणन की गिरफ्तारी गैरकानूनी थी और केरल के तत्कालीन पुलिस अधिकारियों को इसका जिम्मेदार ठहराया गया था। यह मामले ने तब काफी तूल पकड़ लिया था और तत्कालीन मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना पड़ा था। वर्ष 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने गैरकानूनी गिरफ्तारी और हिरासत में हुई प्रताड़ना पर नारायणन को 50 लाख रुपए मुवावजा देने का आदेश दिया था।

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