जज हैरान: IT एक्ट की धारा 66A को लेकर SC ने केंद्र को जारी किया नोटिस, पूछा- अभी भी क्यों हो रहा है इसका इस्तेमाल?
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नई दिल्ली. सोशल मीडिया (Social Media) पर टिप्पणी करने वालों के खिलाफ होने वाली कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने चिंता जताई है. कोर्ट ने कहा कि हालात हैरान करने वाले हैं. इस मुद्दे पर कोर्ट ने सरकार से दो हफ्तों में जवाब मांगा है. दरअसल, एक गैर सरकारी संस्था पीयूसीएल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा है कि जो लोग सोशल मीडिया पर टिप्पणी करके अपनी बात कह रहे हैं उनके खिलाफ पुलिस कार्रवाई हो रही है. खास तौर पर उत्तर प्रदेश में कई मुकदमे दर्ज किए गए हैं और लोगों को जेल भेजा जा रहा है. जबकि साल 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने आई.टी. एक्ट के सेक्शन 66 ए को रद्द कर दिया था. इस फैसले का मतलब है कि हर व्यक्ति को अपनी बात सोशल मीडिया में कहने का अधिकार है. टिप्पणी करने को अपराध नही कहा जा सकता.
इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट की धारा 66A के आधार पर देश में अब तक FIR दर्ज होने पर SC ने हैरानी जताई। 2015 में SC ने धारा को निरस्त करार दिया था।
— Nipun Sehgal (@Sehgal_Nipun) July 5, 2021
एटॉर्नी जनरल ने बताया- एक्ट में धारा अब तक लिखी है। बस फुटनोट में SC के फैसले का ज़िक्र है। गलती सुधारी जाएगी।
2 हफ्ते बाद अगली सुनवाई