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नाखूनों को काटने आरी का इस्तेमाल, बच्ची को मिली नई जिंदगी, ये स्टोरी रुला देगी

jantaserishta.com
1 March 2024 11:19 AM GMT
नाखूनों को काटने आरी का इस्तेमाल, बच्ची को मिली नई जिंदगी, ये स्टोरी रुला देगी
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नाखूनों को देखकर हर कोई स्तब्ध रह गया।
कोटा: आमतौर पर आपने सुना होगा कि पैरों या हाथों के नाखून को नेल कटर से काटा जाता है। लेकिन कभी आपने ये सुना है कि पैरों को नाखूनों को काटने के लिए आरी का सहारा लिया, लेकिन उसके बाद भी नाखून नहीं कटे। ऐसी ही आश्चर्य चकित कर देने वाली तस्वीर सामने आई है राजस्थान के कोटा जिले से, जहां पर एक 13 साल की बच्ची के पैरों के नाखून इस तरह बढ़े कि इन नाखूनों को देखकर हर कोई स्तब्ध रह गया। लेकिन बच्ची के दर्द को कम करने के लिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने अपनी जिम्मेदार समझते हुए बच्ची को इन नाखूनों से छुटकारा दिलाकर एक तरह से नई जिंदगी दे दी।
कोटा जिले के नयापुरा निवासी मनीष कुमार और नूतन की बेटी मनीषा जब पैदा हुई थी, तब हाथ और पैर की अंगुलियों के नाखून आधे लाल थे। तीन महीने बाद नाखून, काले और सख्त हो गए। नेल कटर से काटने की कोशिश की तो बात नहीं बनी। जिसके बाद परिजनों ने बेटी को कोटा में डॉक्टरों को दिखाया तो उन्हें भी समस्या समझ नहीं आई। डॉक्टरों ने जो दवा लिखी, उससे घाव पड़ गए। बच्ची की मां ने बताया कि चार साल की उम्र में बच्ची को अहमदाबाद दिखाया था। लेकिन वहां पर भी उसको फायदा नहीं मिला। जिसके बाद वो बच्ची को लेकर वापस कोटा वापस आ गए।
परिजनों का कहना है कि बच्ची के नाखूनों को काटने के लिए नेल कटर का इस्तेमाल किया लेकिन नाखून नहीं कटे। परिजनों का कहना है कि आरी मशीन से भी नाखून को काटने की कोशिश की गई लेकिन इसमें भी सफलता नहीं मिली। विशेषज्ञों से जानकारी लेने पर सामने आया कि शरीर में एक विशेष प्रकार का प्रोटीन अधिक मात्रा में बनने के कारण बच्ची के नाखून काले और सख्त हो गए। मां का कहना है कि इस बीच बेटी स्कूल जाने लगी। स्कूल में उससे कोई दोस्ती नहीं करता। उसे गलत शब्द कहकर पुकारा जाता।
बच्ची मनीषा की मां ने बताया कि कई अस्पतालों में उपचार करवाने के बाद भी बच्ची की सेहत में सुधार नहीं हुआ। जिसके बाद साल 2022 में परिजन बेटी को लेकर लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से मिले ताकि बेटी का दिव्यांग प्रमाण पत्र बन जाए और उसके इलाज में सहायता मिल जाए। बिरला ने बच्ची की स्थिति देखकर उसका इलाज करवाने का मन बना लिया। जिसके बाद बिरला के निर्देश पर बच्ची के इलाज की व्यवस्था दिल्ली एम्स में करवाई गई थी। एम्स के डॉक्टरों ने भी इस केस को प्रयोग के तौर पर लिया था।
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