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सऊदी अरब की मिलिट्री कमांडर पहली बार आए भारत दौरे पर, थलसेना प्रमुख एमएम नरवणे से की मुलाकात

Kunti Dhruw
15 Feb 2022 6:29 PM GMT
सऊदी अरब की मिलिट्री कमांडर पहली बार आए भारत दौरे पर, थलसेना प्रमुख एमएम नरवणे से की मुलाकात
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सऊदी अरब की मिलिट्री कमांडर पहली बार आए भारत दौरे पर, थलसेना प्रमुख एमएम नरवणे से की मुलाकात

भारत के साथ सैन्य संबंध मजबूत करने के इरादे से सऊदी अरब के मिलिट्री कमांडर तीन दिवसीय (14 से 16 फरवरी) दौरे पर दिल्ली पहुंचे हैं. ये पहला मौका है कि सऊदी अरब का कोई सैन्य कमांडर भारत के दौरे पर आया है. इस दौरान उन्होनें थलसेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे (MM Naravane) से मुलाकात की और दोनों देशों के रक्षा संबंधों को मजबूत करने की दिशा में बातचीत की. खास बात ये है कि भारत ने सऊदी अरब को अपनी स्वदेशी तोप, ड्रोन और मिसाइल तक देने का ऑफर दिया है.


मंगलवार को सऊदी अरब के लैंड फोर्सेज़ कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल फहद बिन अब्दुलाह मोहम्मद अल-मुतिएर के दिल्ली आगमन पर साउथ ब्लॉक स्थित लॉन में गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. इसके बाद लेफ्टिनेंट जनरल फहद बिन अब्दुलाह ने थलसेना प्रमुख, जनरल एम एम नरवणे से मुलाकात की. इस दौरान दोनों देशों के सेना प्रमुखों ने आपसी संबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया. इसके लिए दोनों देशों ने एक स्कोपिंग-डेलीगेशन बनाने का फैसला किया है जो दोनों देशों के बीच मिलिट्री-इंग्जेमेंट को बढ़ाने पर काम करेगा.

सेना मुख्यालय में दौरे के दौरान सऊदी अरब के कमांडर को भारतीय सेना के आर्मी डिजाइन ब्यूरो ने एक प्रेजेंटेशन दिया, जिसमें भारत की डिफेंस इंडस्ट्री द्वारा तैयार किए गए हथियार और सैन्य साजो सामान के बारे में जानकारी दी गई. इस दौरान बताया गया कि भारतीय रक्षा उद्योग कितना सक्षम है और उनके द्वारा तैयार गए उन हथियारों और मिसाइलों के बारे में जानकारी दी गई जिन्हें भारतीय सेना इस्तेमाल भी कर रही है. ये भी बताया गया कि भारत रक्षा उद्योग में निवेश के अवसर भी तलाश रहा है.

दिल्ली दौरे के दौरान सऊदी अरब के सैन्य प्रमुख ने नेशनल डिफेंस कॉलेज (एनडीसी) का दौरा भी किया, जहां उनके देश के सैन्य अफसर भी कोर्स कर रहे हैं. आपको बता दें कि पिछले साल यानि दिसंबर 2020 में थलसेना प्रमुख जनरल नरवणे भी सऊदी अरब के दौरे पर गए थे. ये भी किसी भारतीय सेना प्रमुख का पहला सऊदी दौरा था. पिछले कुछ सालों में भारत और सऊदी अरब के बीच काफी मजबूत हुए हैं. इनमें आर्थिक-संपन्नता, आतंकवाद के खात्में, मिलिट्री-डिप्लोमेसी और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर दोनों देशों के बीच बनती आम सहमति काफी प्रमुख हैं.


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