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सऊदी अरब ने जारी कीं पैगंबर के पदचिन्हों वाली दुर्लभ तस्वीरें...मकाम-ए-इब्राहिम की नायाब तस्वीरों को देखिए

Rounak Dey
8 May 2021 1:09 AM GMT
सऊदी अरब ने जारी कीं पैगंबर के पदचिन्हों वाली दुर्लभ तस्वीरें...मकाम-ए-इब्राहिम की नायाब तस्वीरों को देखिए
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सऊदी अरब ने पहली बार मक्का की शाही मस्जिद में मौजूद मक़ाम-ए-इब्राहिम की कुछ नायाब तस्वीर जारी की हैं. सऊदी अरब के मक्का और मदीना के मामलों के लिए जनरल प्रेसीडेंसी ने मक़ाम-ए-इब्राही के मंज़र को एक नई तकनीक के साथ कैप्चर किया जिसमें स्टैक्ड पैनोरमिक फोकस का इस्तेमाल किया गया है.






इस्लाम की रिवायात के मुताबिक, मकाम-ए-इब्राहिम वह पत्थर है जिसका इस्तेमाल इब्राहिम (इस्लाम) ने मक्का में काबा की तामीर के दौरान दीवार बनाने के लिए किया था ताकि वह उस पर खड़े होकर दीवार बना सकें.
पैगंबर के पैरों के निशान को संरक्षित करने के लिए पत्थर को सोने, चांदी और कांच के एक फ्रेम से सजाया गया है. मुसलमानों का मानना है कि जिस पत्थर में पदचिह्न के छाप हैं, वह सीधे स्वर्ग से पवित्र काले पत्थर हज-ए-असवद के साथ आया था.
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक, मक़ाम-ए-इब्राहिम का आकार वर्गाकार है जिसमें बीच में दो अंडाकार गड्ढे हैं जिनमें पैगंबर इब्राहिम के पैरों के निशान हैं. मक़ाम-ए-इब्राहिम का रंग सफ़ेद, काला और पीला (छाया) के बीच है जबकि इसकी चौड़ाई, लंबाई और ऊंचाई 50 सेमी है.
मक़ाम-ए-इब्राहिम खान-ए-काबा के गेट के सामने स्थित है जो पूर्व में सफा और मारवाह की ओर जाने वाले हिस्से में लगभग 10-11 मीटर की दूरी पर है.
कुछ रोज़ पहले ही 4 मई को सऊदी अरब के अफसरों ने काबा के काले पत्थरों की इसी तरह की हाई रेजोल्यूशन वाली तस्वीर जारी की थीं. सऊदी अरब सरकार ने पाक शहर मक्का में मौजूद काबा में लगे काले पत्थर की हैरान कर देने वाली तस्वीरें जारी की थीं.
इस पत्थर को हजरे असवद (Hajre Aswad) भी कहा जाता है. यह अरबी भाषा के दो शब्दों से मिलकर बना है. अरबी में हजर का मतलब पत्थर होता है जबकि असवद का मतलब सियाह (काला) होता है.
शाही मस्जिद की जानिब से खींची जानी वाली इन तस्वीरों को खींचने में करीब 7 घंटे का वक्त लगा है. इस दौरान 1000 से भी ज्यादा तस्वीरें खींची गईं. सऊदी सूचना मंत्रालय के सलाहकार ने सोमवार को जारी बयान में बताया कि तस्वीरों को लेने में 7 घंटे लग गए जो 49,000 मेगापिक्सल तक की हैं.
AlArabiya News के मुताबिक यह पत्थर काबा के पूर्वी हिस्से में लगा है. हज या उमरा के सफर पर जाने वाले आजमीन काबा का तवाफ (परिक्रमा) करते हैं और इस पत्थर का बोसा (चूमते) लेते हैं. चारों जानिब से चांदी के फ्रेम में जड़े इस पत्थर की बहुत अहमियत बताई जाती है.
Rounak Dey

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