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नर दिल्ली | शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया' के सदस्यों की मणिपुर यात्रा को ‘दिखावा' करार देने को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर रविवार को निशाना साधते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ना तो जातीय हिंसा से प्रभावित इस राज्य की यात्रा की है और ना ही संसद में इसके बारे में कुछ बोला है। विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया' के 21 सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल मणिपुर की स्थिति का आकलन करने तथा जातीय हिंसा से प्रभावित लोगों से मुलाकात करने के लिए शनिवार को इंफाल पहुंचा।
राज्य में तीन मई को जातीय संघर्ष शुरू हुआ था। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने शनिवार को आरोप लगाया कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस' (इंडिया) का मणिपुर दौरा ‘महज एक दिखावा' है। यह पूर्वोत्तर राज्य मई महीने की शुरुआत से जातीय हिंसा की चपेट में है। राज्य में बहुसंख्यक मेइती समुदाय और अल्पसंख्यक कुकी समुदाय के बीच संघर्ष चल रहा है। इस हिंसा में अब तक 160 से अधिक लोगों की जान चली गयी है।
राउत ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में दावा किया कि मणिपुर में 200 से अधिक लोगों की जान चली गयी है, मंत्रियों एवं विधायकों के घर जला दिये गए हैं तथा कुछ महिलाओं को निर्वस्त्र कर घूमाया गया है। उन्होंने सवाल किया, ‘‘ प्रधानमंत्री जी..... मणिपुर भारत का हिस्सा है और उसके नागरिक भारतीय नागरिक हैं..... उनकी (पीड़ा) सुनिए। यही कारण है कि इंडिया गठबंधन का प्रतिनिधिमंडल राज्य के दौरे पर है।
नागरिकों के दुख को समझने और उन्हें सांत्वना देने को कैसे दिखावा कहा जा सकता है?'' राज्यसभा सदस्य राउत ने कहा कि प्रधानमंत्री अब तक मणिपुर नहीं गये हैं और ना ही उन्होंने संसद में इस मुद्दे के बारे में अभी तक कुछ बोल है। उन्होंने आरोप लगाया,‘‘ विपक्षी गठबंधन के नेताओं ने प्रभावित नागरिकों से बातचीत की और उनकी शिकायतें सुनी-समझीं। यदि इसे दिखावा कहा जाता है तो हमने इससे अधिक क्रूर सरकार एवं राजनीति नहीं देखी है।'' शिवसेना (यूबीटी) के नेता अरविंद सामंत मणिपुर पहुंचे विपक्षी ‘इंडिया' गठबंधन के प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हैं।
कुछ संवाददाताओं ने राउत से शिवसेना नेता आनंद दिघे के अंतिम संस्कार में भाग नहीं लेने को लेकर शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे के परिवार एवं उनके गुट के अन्य नेताओं की महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे धड़े के सदस्यों द्वारा आलोचना किये जाने के बारे में भी पूछा। इस पर राउत ने कहा, ‘‘ दिघे साहब का नाम गद्दारों के साथ मत जोड़िए। दिवंगत नेता निष्ठावान शिवसैनिक थे। दिघे को गद्दारों के साथ जोड़ना उनका अपमान है। यदि उस समय का वीडियो देखेंगे तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि कौन-कौन अंतिम संस्कार में पहुंचा था।'' दिघे का 2001 में देहावसान हो गया था। शिंदे उन्हें अपना राजनीतिक गुरु मानते हैं।
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