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सैंड आर्टिस्ट सुदर्शन पटनायक ने भारत रत्न लता मंगेशकर को किया याद, 500 किलो रेत से बनाई आकृति

jantaserishta.com
28 Sep 2024 11:07 AM GMT
सैंड आर्टिस्ट सुदर्शन पटनायक ने भारत रत्न लता मंगेशकर को किया याद, 500 किलो रेत से बनाई आकृति
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पुरी: देश में स्वर कोकिला लता मंगेशकर की 95वीं जयंती मनाई जा रही है। इस अवसर पर मशहूर रेत चित्रकार सुदर्शन पटनायक ने ओडिशा के पुरी में समुद्र के किनारे रेत से एक विशाल आकृति बना कर, उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। लता मंगेशकर की जयंती को समर्पित इस रेत की आकृति में उन्होंने एक तरफ उनके चेहरे की आकृति बनाई तथा दूसरी तरफ इसमें लिखा, “हमारे दिलों पर हमेशा राज करने वाली लता दीदी को याद करते हुए।”
इस आकृति में उन्हें हरी रंग की साड़ी, जिसमें सुनहरे रंग की डिजाइन बनी हुई है, पहने दिखाया गया है। पटनायक की इस अनोखी कलाकृति में लता जी के चेहरे की सुंदरता और उनके संगीत के जादू को बड़ी ही संजीदगी से उकेरा है। यह उनके प्रति सम्मान और स्नेह का प्रतीक है।
इस आकृति के बारे में चित्रकार सुदर्शन पटनायक ने आईएएनएस को बताया, “मैंने भारत रत्न लता मंगेशकर के जन्मदिन के अवसर पर यह चित्रकारी की है। मैंने यह उनके विशेष सम्मान में श्रद्धांजलि अर्पि‍त करने के लिए बनाया है। मैंने करीब 500 किलोग्राम रेत से यह चित्र बनाया है। लता दीदी को पूरा देश प्यार करता है। वह सभी देशवासियों के दिल में रहती हैं।” बता दें कि लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 में हुआ था। उनकी आज 95वीं जयंती है। उन्होंने अपने करियर में 50 हजार से ज्यादा गीत 36 भाषाओं में गाए हैं। महज 13 साल की उम्र में ही उन्होंने अपने सिंगिंग करियर की शुरुआत कर दी थी। लता जी ने तो खुद ही कहा था कि वह अपने गाए गाने नहीं सुनती थीं, क्योंकि उनको अपने गाए गानों में सैकड़ों कमियां नजर आती थी। वह अपने सबसे पसंदीदा संगीत निर्देशक के तौर पर मदन मोहन का नाम लेती रहीं।
लता मंगेशकर को उनकी बेहतरीन गायकी के लिए तीन बार नेशनल अवॉर्ड मिला। अपने 80 साल के लंबे करियर में उन्होंने 36 भाषाओं में 50 हजार से ज्यादा गाने गाए थे। उन्हें भारत रत्न, पद्म विभूषण जैसे सम्मान से भी नवाजा गया था। यही वजह है कि उनका नाम 'गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड' में दर्ज है। लता मंगेशकर को 'सुरों की मल्लिका' और 'कोकिला कंठी' के नाम से भी सारी दुनिया जानती है, लेकिन कम लोग जानते हैं कि उन्हें फोटोग्राफी का भी बहुत शौक था।
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