आजमगढ़. कोरोना के प्रभाव ने लोगों को इतना डरा दिया है कि एक व्यक्ति को पौराणिक कथा समुद्र मंथन के समय हुई एक घटना की तरह की भेष बदलकर कोरोना का टीका लगवाना पड़ा. उस समय एक राक्षस देवताओं के पीछे उन उनका भेष रखकर बैठ गया था. उस समय भगवान विष्णु देवताओं को अमृतपान करा रहे थे. उस समय अमृत देवता बनकर बैठे राक्षस ने पीकर अमरता प्राप्त कर ली थी. उसे तो विष्णु के सुदर्शन चक्र ने फौरन सजा भी दे दी थी, लेकिन आजमगढ़ में जो हुआ उससे स्वास्थ्य महकमे में हडक़म्प मचा है ऐसा इसलिए क्योंकि कोरोना वैक्सीन इस समय लोगों को अमरता की दवा जैसी ही लग रही है. तभी तो एक व्यक्ति सरकार की गाइडलाइन को ही चकमा देकर डाक्टरों के दल में शामिल हो गया और कोरोना टीका लगवाने के बाद सर्टिफिकेट लेकर चला आया और उसे वायरल भी कर दिया. इसके बाद अब हंगामा मचा है.
दरअसल, कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर सरकार की गाइड लाइन सबसे पहले स्वास्थ्य कर्मियों को टीका लगाने की है. इसलिए किसी भी आम आदमी को कोरोना टीका नहीं लगाया जा रहा है. प्रथम चरण में टीका सिर्फ स्वास्थ्य कर्मियों को ही लगता था, लेकिन यहां महिला अस्पताल में पहुंच कर एक आम आदमी ने न केवल टीका लगवा लिया बल्कि सोशल मीडिया पर प्रमाण पत्र भी वायरल कर दिया. खुलासा होने के बाद से स्वास्थ्य विभाग में हडक़ंप मचा हुआ है। अब विभाग के लोग सफाई दे रहे हैं कि वह व्यक्ति एक अस्पताल के चिकित्सक के साथ पहुंचा और खुद को कर्मचारी बताकर टीका लगवा लिया. इस मामले में कार्रवाई का दावा भी किया जा रहा है.
शासन ने कोरोना टीकाकरण के प्रथम चरण में सिर्फ फ्रंट लाइन हेल्थ वर्करों को टीका लगाने की योजना बनाई थी. इन्हीं फ्रंट लाइन हेल्थ वर्करों का नाम कविड-19 पोर्टल पर दर्ज भी किया गया था. विभाग का दावा है कि पहले चरण के लिए कुल 16089 हेल्थ वर्कर पंजीकृत किए गए थे. इसमें सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों के स्टाफ शामिल थे. अन्य फ्रंट लाइन वर्करों के लिए अब तक टीकाकरण की कोई डेट निर्धारित नहीं है. इसके बाद भी जिले के एक व्यक्ति ने सोशल मीडिया पर टीकाकरण का दावा करते हुए प्रमाण पत्र पोस्ट किया है. उसने यह मैसेज भी डाला है कि मैने कोरोना का टीका लगवा लिया है. टीकाकरण अस्पताल बूथ पर करवाए जाने का दावा किया गया है.