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सम्मेद शिखर विवाद: केंद्र और झारखंड सरकार ने कहा, नोटिफिकेशन में संशोधन होना चाहिए
jantaserishta.com
5 Jan 2023 12:44 PM GMT
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जवाबदेही एक-दूसरे के पाले में डाल दी है।
रांची (आईएएनएस)| जैनियों के सर्वोच्च तीर्थस्थल सम्मेद शिखर (पारसनाथ) को लेकर जारी विवाद के बीच केंद्र और झारखंड की राज्य सरकार दोनों ने इस मुद्दे पर निर्णय की जवाबदेही एक-दूसरे के पाले में डाल दी है। दोनों सरकारों ने जैन धर्मावलंबियों की भावना का ध्यान रखते हुए इस स्थान को पर्यटन स्थल घोषित करने के नोटिफिकेशन में संशोधन की जरूरत तो बताई है, लेकिन इस पर निर्णय लेने की जिम्मेदारी एक-दूसरे पर छोड़ दी है। केंद्र और राज्य सरकार ने एक-दूसरे को लिखा पत्र :
केंद्र सरकार की ओर से केंद्रीय वन महानिदेशक एवं केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के विशेष सचिव चंद्रप्रकाश गोयल ने झारखंड सरकार को पत्र लिखा है। इसमें राज्य सरकार से सम्मेद शिखर को इको सेंसेटिव जोन (ईएसजे) घोषित करने के नोटिफिकेशन पर विचार कर इसमें आवश्यक संशोधन की अनुशंसा करने को कहा गया है।
दूसरी तरफ, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गुरुवार को केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के मंत्री भूपेंद्र यादव को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने केंद्र सरकार से जैन अनुयायियों की धार्मिक भावनाओं का ध्यान रखते हुए सम्मेद शिखर से संबंधित नोटिफिकेशन में संशोधन का आग्रह किया है।
नोटिफिकेशन में क्या है :
सनद रहे कि झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास के कार्यकाल में राज्य सरकार की ओर से की गई अनुशंसा के आधार पर भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने दो अगस्त 2019 में कार्यालय आदेश संख्या 2795 (अ) के तहत नोटिफिकेशन जारी किया था। इसमें झारखंड के गिरिडीह जिला अंतर्गत स्थित पारसनाथ अभयारण्य को इको सेंसेटिव जोन (इएसजे) घोषित किया गया है। इस नोटिफिकेशन में पारसनाथ को इको टूरिज्म क्षेत्र बताया गया है। पारसनाथ जैन धर्मावलंबियों के बीच श्री शिखर जी और सम्मेद शिखर के रूप में प्रसिद्ध है।
इधर, झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार ने वर्ष 2021 में नई पर्यटन नीति घोषित की और इसका गजट नोटिफिकेशन 17 फरवरी 2022 को जारी किया गया। इसमें पारसनाथ को धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में चिन्हित किया गया है। इस नोटिफिकेशन में धर्मस्थल की पवित्रता बरकरार रखते हुए इसके विकास की बात कही गई है।
केंद्र और राज्य सरकारों की अपनी-अपनी राय :
केंद्रीय वन महानिदेशक चंद्रप्रकाश गोयल और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दोनों ने अपने-अपने पत्रों में जैन समुदाय से प्राप्त आवेदनों और ज्ञापनों का जिक्र किया है। गोयल ने लिखा है कि यहां इको टूरिज्म की गतिविधियों से जुड़े विकास कार्य किए गए हैं। इससे जैन समुदाय की भावनाएं आहत हुई हैं। मंत्रालय को इससे संबंधित कई ज्ञापन मिले हैं, जिन्हें राज्य सरकार के पास भेजा जा रहा है। राज्य सरकार इन ज्ञापनों के आलोक में प्राथमिकता के आधार पर इको सेंसेटिव जोन के नोटिफिकेशन पर विचार कर आवश्यक संशोधन की अनुशंसा करे।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्रीय मंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि पारसनाथ सम्मेद शिखर जैन समुदाय का विश्व प्रसिद्ध पवित्र एवं पूजनीय तीर्थ स्थल है। मान्यता के अनुसार इस स्थान पर जैन धर्म के कुल 24 तीर्थकरों में से 20 तीर्थकरों ने निर्वाण प्राप्त किया है। इस स्थल के जैन धार्मिक महत्व के कारण भारत एवं विश्व के कोने-कोने से जैन धर्मावलंबी इस स्थान का तीर्थ करने आते हैं। झारखंड पर्यटन नीति 2021 में पारसनाथ को तीर्थ स्थल मानते हुए इस स्थल को धार्मिक तीर्थ क्षेत्र के रूप में विकसित करने का उल्लेख है। इस स्थल की पवित्रता बनाए रखने के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध है।
मुख्यमंत्री ने कहा है कि इस स्थल पर इको सेंसेटिव टूरिज्म के विकास के लिए अभी तक राज्य सरकार की ओर से कोई कदम नहीं उठाया गया है। उन्होंने जैन अनुयायियों की मांगों और भावनाओं को ध्यान में रखते हुए इस नोटिफिकेशन में संशोधन के लिए केंद्र की ओर से आवश्यक निर्णय लेने का आग्रह किया है।
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