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फाइल फोटो
ओरछा (निवाड़ी) (आईएएनएस)| बुंदेलखंड की अयोध्या है ओरछा। यह ऐसा स्थान है जहां राम भगवान नहीं बल्कि राजा हैं। यही कारण है कि यहां रामराजा सरकार की जय बोला जाता है, इतना ही नहीं यहां सिर्फ उन्हें ही सलामी दी जाती है। ओरछा कभी बुंदेला शासकों की नगरी के तौर पर पहचाना जाता था। यहां 16वीं शताब्दी में राम की प्रतिमा स्थापित की गई थी। जब से यह प्रतिमा स्थापित की गई है तब से उन्हें राजा माना गया है और नियमित तौर पर सलामी भी दी जाती है। दिन में चार बार आरती होती है और चारों बार ही रामराजा को सलामी दी जाती है।
स्थानीय लोगों की मानें तो तत्कालीन राजा मधुकर शाह की पत्नी कुंवर गणेश राम जी की प्रतिमा को लेकर अयोध्या से ओरछा पहुंची थी। भगवान राम ने तब कुंवर गणेश के सामने कुछ शर्तें रखी थी। उनमें से एक शर्त थी कि उन्हें ओरछा का राजा माना जाएगा। उसके बाद से ही यहां सलामी की परंपरा चली आ रही है। पहले विशेष अवसरों पर खासकर राम विवाह, राम नवमी आदि मौकों पर तोप से सलामी दी जाती थी मगर अब सिर्फ बंदूकों से सलामी दी जाती है। कोई फायर तो नहीं होता, मगर गार्ड ऑफ ऑनर पूरी परंपरा के मुताबिक दिया जाता है।
स्थानीय निवासी और वरिष्ठ पत्रकार जगदीश तिवारी बताते हैं कि ओरछा की चारदीवारी के भीतर सिर्फ राम ही राजा हैं। यहां सिर्फ उन्हें सलामी दी जाती है। यहां कोई भी सरकार का मंत्री आए या प्रधानमंत्री से ही क्यों न हो, उन्हें सलामी नहीं दी जाती। वास्तव में यहां की सत्ता के प्रमुख रामराजा ही हैं।
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