दिल्ली : देश में पिछले महीने की तुलना में पेट्रोल-डीजल की बिक्री कम हुई है। उद्योग के प्रारंभिक आंकड़ों से पता चलता है कि जून में मानसून के आगमन से कृषि क्षेत्र में मांग में कमी और वाहनों की आवाजाही कम हुई है। इस वजह से पेट्रोल-डीजल की खपत कम हो गई है। देश में सबसे ज्यादा डीजल की मांग है। इसकी खपत सबसे ज्यादा होती है। सबसे अधिक खपत वाले ईंधन में डीजल का दो-पांचवां हिस्सा है। एक साल पहले की तुलना में जून में 3.7 फीसदी गिरकर 7.1 मिलियन टन हो गई।
पिछले महीने कितनी हुई थी खपत
अप्रैल में 6.7 प्रतिशत और मई में 9.3 प्रतिशत बढ़ गया था। इन महीनों में खेती की मांग बढ़ी थी। इसी के साथ कारों में गर्मी से बचने के लिए एयर कंडीशनिंग का सहारा लिया था। आपको बता दें कि मई में 7.09 मिलियन टन डीजल की खपत की तुलना में महीने-दर-महीने बिक्री लगभग स्थिर रही।
जून 2023 में पेट्रोल की बिक्री एक साल पहले की तुलना में 3.4 फीसदी बढ़कर 2.9 मिलियन टन हो गई। आंकड़ों से पता चलता है कि पेट्रोल-डीजल की बिक्री महीने-दर-महीने अपरिवर्तित रही।
इस महीने बढ़ गई खपत
औद्योगिक और कृषि गतिविधियों में तेजी के कारण मार्च के बाद पेट्रोल और डीजल की बिक्री बढ़ गई है। मानसून के आने के बाद तापमान में गिरावट आई है। इसकी वजह से खेतों की सिंचाई के लिए डीजल जेनसेट चलाने की मांग में भी कमी आई है। इसी के साथ ट्रैक्टरों और ट्रकों की खपत में भी कमी हो गई है।
वहीं, डीजल की खपत जून 2021 की तुलना में 30 फीसदी और जून 2019 की तुलना में 6.5 प्रतिशत ज्यादा थी।
एटीएफ की खपत में वृद्धि
गर्मी के मौसम में एयरलाइन सेक्टर में तेजी देखने को मिली है। इससे जून में जेट ईंधन (एटीएफ) की मांग में भी बढ़ोतरी हुई है। पिछले साल की समान अवधि की तुलना में जून में 6 फीसदी बढ़कर 587,300 टन हो गई। वहीं, जून 2021 में एटीएफ की खपत 140 प्रतिशत थी जो जून 2019 की तुलना में 4.6 प्रतिशत कम थी। आपको बता दें कि मई 2023 में 6,02,000 टन के मुकाबले महीने-दर-महीने की बिक्री 2.4 प्रतिशत गिर गई है।
एलपीजी की बिक्री में गिरावट
रसोई गैस एलपीजी की बिक्री सालाना आधार पर जून महीने में गिर गई है। इस महीने एलपीजी की बिक्री 0.8 प्रतिशत घटकर 2.27 मिलियन टन रही। ये आंकड़े जून की तुलना में लगभग स्थिर है। वहीं, प्री-कोविड जून 2019 की तुलना में 28.5 प्रतिशत से ज्यादा है। इन्हीं आंकड़ों से पता चलता है कि मई के दौरान एलपीजी की खपत 3.4 प्रतिशत की गिरावट यानी 2.36 मिलियन टन आई है।