मिट्टी बचाओ अभियान पर निकले सद्गुरु का हुआ भव्य स्वागत, उमड़े लोग
दिल्ली। हड्डियां जमाने वाली यूरोप की ठंड और अरब के रेगिस्तान से गुजरने के बाद ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु की मिट्टी बचाओ अभियान के तहत मोटरसाइकिल यात्रा अब भारत पहुंच गई है. सद्गुरु की 'मिट्टी के लिए यात्रा' यूरोप, मध्य-एशिया और मध्य-पूर्व के बाद भारत के पश्चिमी तट पर पहुंची. सद्गुरु ओमान के सुल्तान काबूस बंदरगाह से तीन दिन में गुजरात में जामनगर बंदरगाह पहुंचे.
भारतीय नौसेना ने अपने बैंड पर 'सेव-सॉयल' एंथम बजाकर सद्गुरु का भव्य स्वागत किया. इस दौरान लोगों ने 'धरती की पुकार, धरती की ललकार, धरती की दहाड़, मिट्टी बचाओ पेड़ लगाओ' के नारे भी लगाए. सद्गुरु ने भारत में 'मिट्टी के लिए यात्रा' की शुरुआत एक पेड़ लगाकर की. नगाड़ों की धमक, लोक नृत्य के बीच सद्गुरु ने मिट्टी बचाओ का जोश बनाए रखने का संदेश दिया.
सद्गुरु ने कहा कि कम से कम अगले 30 दिन आप अपनी आवाज को तेज रखिए. बस एक दिन चिल्लाने से नहीं होगा. एक स्थायी तरीके से हर दिन 15-20 मिनट संदेश को आगे बढ़ाइए. जब तक कि हम यह न सुनें कि दुनिया में हर सरकार ने मिट्टी को पुनर्जीवित करने की नीति बना ली है. उन्होंने दोहराया कि हम सबके हाथ में फोन के रूप में पॉवरहाउस है और हर किसी को मिट्टी के लिए बोलने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करना चाहिए. बंदरगाह पर सद्गुरु का स्वागत करने के लिए जामनगर में जाम साहब की प्रतिनिधि एकताबा सोढ़ा के साथ ही कई राजनेता और भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना के कमांडिंग ऑफिसर भी मौजूद थे. उन्होंने कहा कि इस ऐतिहासिक कार्यक्रम का हिस्सा होना उनके लिए गौरव और सौभाग्य की बात है. वे नीतिगत बदलाव को प्रभावित कर रहे हैं, शिक्षित कर रहे हैं, मिट्टी बचाने के लिए जागरूक कर रहे हैं. एकताबा ने कहा कि आज जामनगर के इतिहास में दूसरी बार है कि शाही परिवार के निमंत्रण पर मालवाहक बंदरगाह पर एक विशेष अधिसूचना के साथ असैनिक उतर रहा है. सद्गुरु ने इस दौरान कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाले कलाकारों का भी अभिवादन किया. इस मार्च में मिट्टी के विलुप्त होने को रोकने के लिए वैश्विक अभियान शुरू करने के बाद सद्गुरु फिलहाल 30 हजार किलोमीटर की सौ दिन की 'मिट्टी के लिए यात्रा' पर हैं. उनकी यात्रा 21 मार्च को लंदन से शुरू हुई थी जो जून महीने के अंत में कावेरी नदी घाटी पहुंचकर समाप्त होगी.
सद्गुरु ने अपनी मोटरसाइकिल से बंदरगाह पर मिट्टी बचाओ स्वयंसेवियों की लंबी कतार के बीच से गुजरते हुए उनका अभिवादन किया और नेवी गेट की ओर बढ़ गए जहां नौसेना बैंड ने कमांडिंग ऑफिसर और वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में संगीतमय स्वागत किया. सद्गुरु इसके बाद बंदरगाह से बाहर आए और भारत में अपनी आगे की यात्रा पर बढ़ गए. मिट्टी बचाओ अभियान का मुख्य मकसद हर देश पर नीतिगत सुधार के जरिये कृषि भूमि में कम से कम 3 से 6 प्रतिशत जैविक तत्व का होना जरूरी बनाए जाने के लिए दबाव डालना है. मृदा वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि इस न्यूनतम जैविक तत्व के बिना मिट्टी की मृत्यु निश्चित है. इस घटना को 'मिट्टी का विलुप्त होना' कहा जा रहा है.