कोरोना काल में मानवीय और सामाजिक रिश्तों के दम तोड़ने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। ताजा मामला अररिया जिले के फारबिसगंज से सामने आया है। यहां स्टेशन चौक निवासी अशोक भगत कोरोना संक्रमित होने के बाद अस्पताल में भर्ती हो गया। बेटे के अस्पताल में भर्ती होने के बाद सदमे में मां ने दम तोड़ दिया।वृद्धा की मौत के बाद एक दिन तक उनका शव घर में ही पड़ा रहा। समाज के लोगों के साथ परिजनों ने कोरोना के डर से अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया। बाद में नगर परिषद प्रशासन की पहल पर मौत के दूसरे दिन सुभाष चौक श्मशान घाट पर महिला के शव का अंतिम संस्कार किया गया। आपदा को अवसर मान रहे नगर परिषद के कर्मचारियों ने अंतिम संस्कार का सौदा कर दिया।
अंतिम संस्कार करने के लिए मांगे 30 हजार
मृतका के एक रिश्तेदार के अनुसार, अंतिम संस्कार करने आए नगर परिषद के कर्मचारियों ने 15 हजार रुपये लिए। परिजन के अनुसार कर्मचारियों ने शव का अंतिम संस्कार करने के बदले 30 हजार रुपये मांगे थे। लेकिन बाद में 15 हजार रुपये में शव का अंतिम संस्कार किया गया। 85 साल की मृतका के इकलौते बेटा का नाम अशोक भगत है। वह कोरोना से संक्रमित हो गया है। उसे सांस लेने में तकलीफ और कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद अनुमंडल अस्पताल के डेडीकेटेड कोविड अस्पताल में भर्ती कराया गया। घर में दो छोटे पोते और बहू ने वृद्ध मां को बेटे के संक्रमित होने की जानकारी दी। वृद्धा ने बेटे के वियोग में दम तोड़ दिया।