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जल्दी कांग्रेस पार्टी को छोड़ सकते है सचिन पायलट, जानिए क्या है रणनीति

Shantanu Roy
10 Jun 2023 2:23 PM GMT
जल्दी कांग्रेस पार्टी को छोड़ सकते है सचिन पायलट, जानिए क्या है रणनीति
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नई दिल्ली। राजस्थान की राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले हर एक शख्स के मन में ये सवाल उठने शुरू हो गए हैं। दरअसल, राजनीतिक जानकारों का यह कहना है कि कल (रविवार को) अपने पिता राजेश पायलट की पुण्यतिथि पर पायलट कोई बड़ा ऐलान करने वाले हैं। ऐसे में जानकारों ने यह भी बताया कि अगर पायलट कांग्रेस छोड़ते हैं या नई पार्टी बनाते हैं तो इससे कांग्रेस का तो नुकसान होगा ही लेकिन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का भी गणित बिगड़ सकता है। दरअसल, नवंबर-दिसंबर में सूबे में विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनावी समर में मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच माना जा रहा है। पायलट अपने ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से खासा नाराज चल रहे हैं। नाराजगी इस कदर बढ़ी हुई है कि पायलट बीते दिनों अनशन पर बैठ गए, पदयात्रा भी निकाले। ऐसे में अगर पायलट अपने पिता की पुण्यतिथि पर नई पार्टी बनाते हैं तो कांग्रेस को बड़ा झटका लगने वाला है। सचिन पायलट सूबे के एक कद्दावर नेता हैं। युवाओं के बीच उनकी अच्छी पकड़ है। युवाओं के मुद्दों को लेकर वह मुखर भी रहते हैं। राज्य के पूर्वी हिस्सों में पायलट की पकड़ मजबूत मानी जाती है। ऐसे में अगर पायलट कांग्रेस छोड़ते हैं तो कई सीटों पर कांग्रेस की पकड़ कमजोर हो सकती है। वहीं वोटरों की एक बड़ी आबादी कांग्रेस से हटकर पायलट की पार्टी की ओर शिफ्ट हो सकती है। बता दें कि पायलट के पास करीब दो दर्जन विधायकों का सपोर्ट भी है।
राजनीतिक जानकारों का यह कहना है कि अगर पायलट कांग्रेस छोड़ते हैं तब वह अपनी एक अलग पार्टी बनाएंगे, वो भाजपा में शामिल नहीं होंगे क्योंकि पायलट लगातार भाजपा को लेकर हमलावर रहे हैं। वहीं जानकारों का कहना है कि पायलट की नाराजगी कांग्रेस से नहीं है, वह केवल सीएम गहलोत से नाराज हैं। ऐसे में नई पार्टी बनाने से अभी तक जो मुख्य मुकाबला भाजपा-कांग्रेस के बीच चल रहा है उसमें एक और दल की एंट्री हो जाएगी। ऐसा माना जा रहा है कि पायलट के नई पार्टी बनाने के बाद भाजपा और कांग्रेस के वोट कट सकते हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों से नाराज चल रहे वोटर पायलट पर अपना भरोसा जता सकते हैं। राजनीतिक जानकारों का यह कहना है कि राजस्थान में थर्ड फ्रंट का प्रयोग कभी भी सफल नहीं हो सका है। किरोड़ीलाल मीणा, घनश्याम तिवाड़ी, हनुमान बेनीवाल, आदि कई नेताओं ने इससे पहले अपनी पार्टी से अलग होकर नई पार्टी बनाई। लेकिन कोई भी मजबूत रूप से स्थापित नहीं हो सका। ऐसे में सचिन पायलट नई पार्टी बनाएंगे या नहीं यह सवाल बरकरार है। हालांकि पायलट खुद को कांग्रेसी सिपाही बताते हैं। शुक्रवार को केसी वेणुगोपाल से जब पायलट वाला सवाल पूछा गया तब उन्होंने कहा कि नई पार्टी वाली बात एक अफवाह है। सूबे के सीएम अशोक गहलोत ने सचिन पायलट पर कोई भी बयान देने से इनकार कर दिया है। एक टीवी इंटरव्यू में गहलोत ने कहा कि 'मैं उस (गहलोत-पायलट विवाद) मुद्दे पर कोई भी बात नहीं करूंगा। उस टॉपिक को अब समाप्त कर दीजिए।' ऐसे में राजनीतिक जानकारों ने इसे गहलोत की नई रणनीति बताई है। गौरतलब है कि साल के अंत में होने जा रहे चुनाव से पहले गहलोत-पायलट विवाद को सॉल्व करने के लिए कांग्रेस आलाकमान ने दिल्ली में एक अहम बैठक भी बुलाई थी। हालांकि दोनों नेताओं के बीच की दीवार जस की तस बनी हुई है।
कल सचिन पायलट क्या निर्णय लेने वाले हैं इसपर सबकी नजर है. क्या सचिन पायलट कल 11 जून को नई पार्टी का एलान करेंगे? इस तरह की चर्चा तेज है. लेकिन, विश्वनीय सूत्रों ने बताया कि कल किसी भी पार्टी की घोषणा नहीं होगी. कल हमेशा की तरह पूर्व केंद्रीय मंत्री राजेश पायलट की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा होगी जिसमें पायलट के परिवार के लोग रहेंगे. यहां पर दौसा से भी बड़ी संख्या में लोग आ सकते हैं. इसकी पूरी तैयारी चल रही है. वहीं जयपुर से भी कल कई विधायक और बड़े नेता इस कार्यक्रम में जाएंगे. इस कार्यक्रम को बेहद सरल तरीके से किया जाएगा. हर बार की तरह ही इस बार यहां पर आयोजन हो रहा है. सचिन पायलट कल सुबह 9 बजे अपने घर से निकलेंगे और दौसा में 10 बजे सुबह कार्यक्रम शुरू होगा. पिछली बार की तरह कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. अशोक गहलोत सरकार में मंत्री मुरारीलाल मीणा ने कल बताया था कि दौसा-भंडाना में श्रद्धांजलि कार्यक्रम होगा. इसके साथ ही प्रतिमा का अनावरण, नए भवन का लोकार्पण और श्रद्धांजलि का आयोजन किया जायेगा. इसके साथ ही दौसा से बड़ी संख्या में लोग वहां पर आएंगे. जानकारी के अनुसार, पिछले दो साल से राजेश पायलट की प्रतिमा बनकर तैयार है, जिसका अनावरण सचिन पायलट अपने हाथों से करेंगे. साल 2020 से ही इस काम की चर्चा चल रही थी. इस कार्यक्रम के बाद सचिन पायलट हर वर्ष की तरह यहां सभा करने के बाद उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में पैतृक गांव जायेंगे. वहीं, सूत्रों का कहना है कि जयपुर से कई विधायक उस कार्यक्रम में शामिल होंगे. इस बार इस कार्यक्रम पर प्रदेश की सभी लोगों की नजर बनी हुई है. कांग्रेस के कार्यकर्ता इस कार्यक्रम को लेकर ज्यादा एक्टिव हैं।
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