x
न्यूज़ क्रेडिट: आज तक
पढ़े पूरी खबर
महाराष्ट्र में कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने तत्कालीन सचिव, संयुक्त सचिव समेत 4 आरोपियों को दोषी करार दिया है. शुक्रवार को नई दिल्ली में सीबीआई कोर्ट के विशेष न्यायाधीश ने मामले में सुनवाई पूरी की और चारों आरोपियों पर दोष सिद्ध पाया.
महाराष्ट्र में लोहारा ईस्ट कोल ब्लॉक के आवंटन मामले में जिन आरोपियों को दोषी पाया गया है, उनमें कोयला मंत्रालय के पूर्व सचिव एचसी गुप्ता, कोयला मंत्रालय के पूर्व संयुक्त सचिव केएस क्रोफा, मेसर्स ग्रेस इंडस्ट्रीज लिमिटेड नागपुर और उसके निदेशक मुकेश गुप्ता का नाम शामिल है.
सीबीआई ने इस मामले में 20 सितंबर 2012 को केस दर्ज किया था. कोयला ब्लॉक 3.5 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला था और लगभग 57 मिलियन टन अनुमानित भूवैज्ञानिक भंडार था. मेसर्स ग्रेस इंडस्ट्रीज को मेसर्स मुरली इंडस्ट्रीज लिमिटेड के साथ संयुक्त रूप से कोयला ब्लॉक आवंटित किया गया था.
जांच के दौरान पता चला कि मैसर्स ग्रेस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने गलत जानकारी के आधार पर लोहारा पूर्वी कोयला ब्लॉक में 16.14 मिलियन टन कोयला भंडार का आवंटन हासिल किया था. यह पाया गया कि उक्त निजी कंपनी ने अपने आवेदन में 120 करोड़ रुपये मूल्य का दावा किया, जबकि इसकी अपनी नेटवर्थ 3.3 करोड़ थी और 30,000 TPA की वास्तविक परियोजना क्षमता के मुकाबले 1,20,000 TPA के रूप में अपनी मौजूदा क्षमता को गलत बताया.
फीडबैक फॉर्म में निजी कंपनी ने उत्पादन में 2 भट्टों और स्थापना के तहत 3 भट्टों का दावा किया, जबकि 7 सितंबर 2006 को कंपनी के पास सिर्फ एक भट्ठा संचालित था. कोयला ब्लॉक के आवंटन के बाद कंपनी के निदेशक मुकेश गुप्ता ने अपनी कंपनी की पूरी इक्विटी/शेयर लगभग 20 करोड़ के लाभ पर किसी अन्य व्यक्ति को बेच दी.
यह पाया गया कि 51 निजी कंपनियों ने उक्त कोयला ब्लॉक के लिए आवेदन किया था. हालांकि सबसे उपयुक्त कंपनी का निर्धारण करने के लिए अंतर-प्राथमिकता के मानदंडों का पालन नहीं किया गया था. कंपनी ने अपूर्ण आवेदन भी पेश किया था, जिसे कोयला मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार अस्वीकार किया जा सकता था. मगर, कोयला मंत्रालय से संबंधित अधिकारियों ने आवेदनों की संवीक्षा सुनिश्चित नहीं की.
इसके अलावा, कंपनी के आवेदन को इसके मूल्यांकन के लिए संबंधित प्रशासनिक मंत्रालय, इस्पात मंत्रालय को भी नहीं भेजा गया था. यह भी पाया गया कि कंपनी को इस्पात मंत्रालय, विद्युत मंत्रालय और सरकार की सिफारिशों के बिना महाराष्ट्र में कोयला ब्लॉक के आवंटन की सिफारिश की गई थी.
इसके अलावा, अन्य कंपनी द्वारा लिखित शिकायत के बावजूद अतिरिक्त कोयला आवंटित किया गया था. पूरी जांच के बाद 28 अक्टूबर 2014 को आरोप पत्र दाखिल किया गया. आरोपियों के खिलाफ 7 जून 2016 को आरोप तय किए गए थे. निचली अदालत ने चारों आरोपियों को दोषी पाया और दो व्यक्तियों को बरी कर दिया. अब कोर्ट सजा के बिंदु पर दलीलों पर 4 अगस्त 2022 को सुनवाई करेगा
Next Story