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नई दिल्ली: देश में बीते कुछ समय से मुफ्त रेवड़ियां बांटने की प्रथा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आपत्ति के बाद बहस तेज हो गई है. यहां पर रेवड़ियों से मतलब सरकार की मुफ्त योजनाओं से है, जो कहने को तो जनता की भलाई के लिए दी जाती हैं, लेकिन असल में इनका मकसद केवल वोट बटोरना होता है. फ्री में सामान देने का कुछ ऐसा ही चलन फार्मा इंडस्ट्री में है. इसकी ताजा मिसाल है डोलो-650 (Dolo-650) का मामला जिसने काफी तूल पकड़ा था.
डोलो-650 बनाने वाली कंपनी माइक्रो लैब्स लिमिटेड (Micro Labs Limited) पर कोरोना काल के दौरान अपनी दवा लिखने के लिए डॉक्टर्स को मोटी रकम गिफ्ट्स के रूप में बांटने का आरोप लगा था. इनकम टैक्स की रेड के बाद खुलासा हुआ था कि कंपनी ने कोरोना काल में एक हजार करोड़ के फ्री गिफ्ट्स बांटे थे. इस खुलासे से हडकंप मच गया था और अब ये मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है.
डॉक्टर्स को गिफ्ट देने से जुड़े नियम किए जाएंगे सख्त!
सरकार फार्मा कंपनियों पर फ्री गिफ्ट्स को लेकर लगाम कसने की योजना बना रही है. सरकार की मंशा है कि फार्मा कंपनियों द्वारा डॉक्टरों को गिफ्ट देने की कोशिश पर रोक लगाने के लिए कड़े नियम अपनाए जाएं. इनमें देश-विदेश में घुमाने के नाम पर होने वाली फ्री कॉन्फ्रेंस से लेकर महंगी घड़ियां तक शामिल हैं.
फार्मा कंपनियां इन गिफ्ट्स के बदले डॉक्टर्स से अपनी दवाएं लिखवाने का काम करती हैं. फार्मा कंपनियों कि इस प्रैक्टिस पर रोक लगाने के लिए जो योजना तैयार की जा रही है उसके मुताबिक, स्वास्थ्य मंत्रालय, डिपार्टमेंट ऑफ फार्मास्यूटिकल्स और नेशनल मेडिकल कमीशन को यह जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है.
ये तीनों मिलकर तय करेंगे कि फार्मा कंपनी से किस तरह के तोहफे डॉक्टर्स ले सकते हैं. फिलहाल डॉक्टर्स को फार्मा कंपनियों से मिलने वाले तोहफों को लेकर नियम बने हैं, लेकिन खामियों की वजह से फार्मा कंपनियां अक्सर इन्हें तोड़ देती हैं. इसलिए नियमों को सख्ती से लागू करने के लिए तरीका खोजना जरूरी है.
फ्री गिफ्ट पर बने हुए हैं नियम
डॉक्टर्स को गिफ्ट देने को लेकर पहले से मौजूद कानून के बावजूद फार्मा कंपनियां अपनी बिक्री बढ़ाने के लिए तोहफे बांटने का कोई तरीका नहीं छोड़ती हैं. इंडियन मेडिकल काउंसिल (IMC) की धारा 6.8 के मुताबिक डॉक्टर्स किसी तरह का गिफ्ट या कमीशन नहीं ले सकते हैं. मेडिकल प्रैक्टीशनर्स को फार्मा कंपनी, हेल्थ केयर इंडस्ट्री, सेल्समैन या किसी दूसरे प्रतिनिधि से गिफ्ट लेने की मनाही है. इन सुविधाओं में घूमना, मेडिकल रिसर्च या नकदी लेना समेत सभी तरह की फ्रीबीज पर प्रतिबंध है.
सरकार को पहले भी मिली हैं शिकायतें
2019 में एक RTI के जवाब में डिपार्टमेंट ऑफ फार्मास्यूटिकल्स ने जानकारी दी थी कि उसे 2015-16 में 20 फार्मा कंपनियों के खिलाफ डॉक्टर्स और मेडिकल स्टोर्स को रिश्वत देने की शिकायत मिली थी. RTI में कहा गया था कि 2018 में भी एक फार्मा कंपनी के खिलाफ ऐसी शिकायत मिली थी.
सुप्रीम कोर्ट ने फार्मा कंपनियों को टैक्स छूट लेने से रोका था
इस साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने भी साफ कर दिया था कि फार्मा कंपनियां डॉक्टर्स को गिफ्ट देने में खर्च की गई रकम पर कोई टैक्स छूट लेने की हकदार नहीं हैं. कोर्ट ने कहा था कि डॉक्टर्स को इस तरह से गिफ्ट लेने का अधिकार नहीं है लिहाजा इसपर किसी तरह की टैक्स छूट नहीं दी जा सकती. ये फैसला एपेक्स लैबोरिट्रीज की उस अपील पर सुनाया गया था, जिसमें कंपनी ने 2009-10 में डॉक्टर्स की कॉन्फ्रेंस, गोल्ड के सिक्के, LCD-TV, फ्रिज, लैपटॉप जैसे गिफ्ट्स पर 4.72 करोड़ खर्च किए थे. कंपनी इस पूरी रकम को टैक्स फ्री करने की मांग लेकर सुप्रीम कोर्ट में गई थी. कंपनी ने ये रकम अपने हेल्थ सप्लीमेंट जिंकोविट के प्रचार के लिए खर्च की थी.
डोलो-650 का मामला क्यों है गंभीर?
500 एमजी तक की दवा की कीमत प्राइस कंट्रोल मैकेनिज्म के तहत सरकार तय करती है. लेकिन 500 एमजी से ज्यादा मात्रा की दवा का दाम तय करने का अधिकार कंपनी को है. ऐसे में माइक्रो लैब्स पर आरोप लगा कि उसने एक हजार करोड़ के गिफ्ट्स बांटकर डॉक्टर्स से इस दवा को लिखवाकर इसकी बिक्री बढ़वाई. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या 500 एमजी तक की दवा खाकर ठीक होने वाले लोगों को भी जबरदस्ती डोलो-650 प्रिसक्राइब की गई? अगर ऐसा हुआ है तो फिर ये मरीजों की सेहत के साथ बड़ा खिलवाड़ किया गया है.
इन फ्री गिफ्ट्स की वजह से ही अब सख्ती करने पर सरकार विचार कर रही है, जिससे नियमों को ताक पर रखकर चल रही फार्मा कंपनियों की मनमानी को रोका जा सके. माइक्रो लैब्स लिमिटेड के 36 ठिकानों पर जुलाई में छापेमारी के बाद खुलासा हुआ था कि कंपनी किस तरह से डोलो-650 की बिक्री बढ़ाने के लिए फ्री गिफ्ट बांट रही है. कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु स्थित हेडक्वार्टर समेत देश के 9 राज्यों में माइक्रो लैब्स लिमिटेड के ठिकानों पर इनकम टैक्स ने रेड की थी.
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