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जातिगत जनगणना पर रूडी का हमला बीजेपी के कई नेताओं के स्टैंड से अलग
jantaserishta.com
12 Feb 2023 6:43 AM GMT
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नई दिल्ली (आईएएनएस)| जातिगत जनगणना को लेकर कहा जा रहा है कि भाजपा फिलहाल असमंजस की स्थिति में फंसी हुई नजर आ रही है। जातिगत जनगणना को लेकर भाजपा नेताओं की तरफ से आ रहे अलग-अलग बयानों का हवाला देते हुए विरोधी दल भाजपा को इसका विरोधी साबित करने का प्रयास कर रही है, लेकिन क्या वाकई ऐसा है?
आईएएनएस के साथ बातचीत करते हुए भारतीय जनता पार्टी ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं राज्य सभा सांसद डॉ के. लक्ष्मण ने विरोधी दलों के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि 1931 के बाद इस तरह की जनगणना नहीं हुई है इसलिए भाजपा जातिगत जनगणना के खिलाफ नहीं है लेकिन पार्टी का यह मानना है कि इसे लेकर अभी जो कानूनी एवं टेक्निकल समस्या और प्रशासनिक चिंताएं हैं उसे देखते हुए इसकी पहल राज्यों को ही करने दीजिए। कुछ राज्य इसे लेकर आगे बढ़े हैं और अन्य राज्यों को भी आगे आना चाहिए।
डॉ के. लक्ष्मण ने यूपीए सरकार पर देश को लाखों जातियों में बांटने और गलत तरीके से फंड खर्च करने का आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा जातिगत जनगणना के खिलाफ नहीं है लेकिन जिस तरह से यूपीए सरकार में जनगणना के नाम पर प्राइवेट एनजीओ के माध्यम से लगभग छह हजार करोड़ रुपये खर्च कर चिदंबरम ने समाज को जातियों में बांटने का काम किया था उससे किसी को भी फायदा नहीं हुआ बल्कि यूपीए सरकार तक ने उसे पब्लिश नहीं किया था।
उन्होंने कहा कि देश की सरकार ने संसद के जरिए राज्यों को ही यह अधिकार दे रखा है कि किस जाति को उनकी ओबीसी लिस्ट में शामिल करना है और किसे नहीं। इसके साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि ओबीसी की कई जातियों को अभी तक आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाया है और भाजपा का मानना है कि ओबीसी समाज के अंतिम व्यक्ति को भी इसका लाभ मिलना चाहिए।
दरअसल, बिहार में पिछले साल जब नीतीश सरकार की कैबिनेट ने जातिगत जनगणना को मंजूरी दी थी, उस समय भाजपा ने इसका समर्थन किया था। बिहार की तर्ज पर ही अखिलेश यादव भी उत्तर प्रदेश में जातिगत जनगणना की बात कर रहे हैं। लेकिन इस बीच अब जातिगत जनगणना को लेकर भाजपा नेताओं के अलग-अलग बयान सामने आ रहे हैं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं बिहार के सारण से भाजपा लोक सभा सांसद राजीव प्रताप रूडी ने 10 फरवरी को लोक सभा में नीतीश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि बिहार की महागठबंधन सरकार जातीय जनगणना करवाकर एक तरफ जहां बिहार को जातियों में बांटने का प्रयास कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ जातीय उन्माद भी पैदा कर रही है जिसकी वजह से गांव-गांव में झगड़ा हो रहा है।
आईएएनएस के साथ खास बातचीत करते हुए राजीव प्रताप रूडी ने कहा कि भाजपा ने बिहार में जातिगत जनगणना का समर्थन किया था लेकिन इसके लिए भाजपा की कई शर्तें भी थी। उन्होंने कहा कि राज्य में सरकार की गलत नीतियों के कारण जो 4 करोड़ लोग बिहार छोड़ कर चले गए हैं, बिहार से बाहर चले गए हैं उन्हें भी उनकी जाति और पेशे के साथ इसमें शामिल करना चाहिए।
हालांकि रूडी इसके साथ ही यह भी जोड़ते हैं कि बिहार सरकार पूरी तरह से कंगाल हो गई है और सिर्फ अपनी सत्ता को बचाने के लिए राज्य में जातिगत जनगणना करवा रही है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि लोगों को जाति और संख्या की राजनीति से बाहर निकल कर आगे बढ़ना चाहिए।
वहीं बिहार भाजपा के कई अन्य नेता जातिगत जनगणना का खुलकर विरोध तो नहीं कर रहे हैं लेकिन वो इसकी पूरी प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए यह जरूर पूछ रहे हैं कि इसमें जातियों के साथ-साथ उप-जातियों की गणना क्यों नहीं हो रही है।
हाल ही में उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा था कि भाजपा जातिगत जनगणना के खिलाफ नहीं है। हालांकि इसके साथ ही अखिलेश यादव के अभियान को मोदी विरोधी अभियान बताते हुए मौर्य ने यह भी कहा कि वे जब उत्तर प्रदेश में सत्ता में थे और जब केंद्र में उनके समर्थन से कांग्रेस राज कर रही थी, तब चुप थे।
दरअसल, जातिगत जनगणना को लेकर भाजपा की दुविधा समझी जा सकती है क्योंकि अपनी स्थापना के समय से ही भाजपा का स्टैंड बिल्कुल साफ और स्पष्ट रहा है कि उन्हें जाति आधारित राजनीति नहीं करनी है। टिकटों के वितरण के समय भले ही भाजपा स्थानीय स्तर पर जातीय समेत तमाम समीकरणों को ध्यान में रखकर उम्मीदवारों का चयन करती हो लेकिन भाजपा ने आधिकारिक रूप से हमेशा ही हिंदुत्व का झंडा उठाया है।
नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उनके निदेर्शानुसार भाजपा अब सबका साथ-सबका विकास और सबका विश्वास के नारे के साथ मुस्लिम समेत तमाम अल्पसंख्यक समुदाय को भी पार्टी के साथ जोड़ने का पुरजोर प्रयास कर रही है। ऐसे में भाजपा को यह लग रहा है कि सपा, आरजेडी और जेडीयू जैसे दल जातिगत जनगणना के बहाने देश में मंडल-कमंडल की राजनीति के दौर को पुनस्र्थापित कर भाजपा को चुनावी पटखनी देना चाहते हैं।
शायद यही वजह है कि इसके कारण भाजपा अभी इस मसले पर वेट एंड वॉच की रणनीति फॉलो कर रही है। बताया यह भी जा रहा है कि भाजपा ओबीसी के भीतर उप-वर्गीकरण से जुड़े मुद्दों पर गौर कर सिफारिश देने के लिए गठित किए गए रोहिणी आयोग की सिफारिशों का भी इंतजार कर रही है।
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