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RLSP का JDU में विलय: नीतीश कुमार ने दिया गिफ्ट, JDU राष्ट्रीय संसदीय दल के अध्यक्ष बनाए गए उपेंद्र कुशवाहा

jantaserishta.com
14 March 2021 10:09 AM GMT
RLSP का JDU में विलय: नीतीश कुमार ने दिया गिफ्ट, JDU राष्ट्रीय संसदीय दल के अध्यक्ष बनाए गए उपेंद्र कुशवाहा
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बिहार में उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSP) का आज जेडीयू में विलय हो गया. उपेंद्र कुशवाहा और पार्टी के अन्य नेता जेडीयू में शामिल हो गए. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मौजूदगी में उपेंद्र कुशवाहा अपनी पार्टी के तमाम कार्यकर्ताओ समेत जेडीयू में शामिल हो गए. उपेंद्र कुशवाहा ने बताया कि जेडीयू में शामिल होने के लिए उन्होंने कोई शर्त नहीं रखी है.

इससे पहले RLSP के राज्य परिषद ने शनिवार को जेडीयू में विलय सहित सभी फैसलों के लिए राष्ट्रीय परिषद को अधिकृत किया था. रविवार को दिन में 11 बजे राष्ट्रीय परिषद की बैठक के बाद यह फैसला लिया गया.


दरअसल, बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार से पहले से ही उपेंद्र कुशवाहा के नीतीश सरकार में शामिल होने की चर्चा शुरू हो गई थी, मगर शर्त यह थी कि वह अपनी पार्टी का जेडीयू में विलय कर दें. उपेंद्र कुशवाहा पार्टी में हो रही खींचतान को समझ रहे थे. लिहाजा वह सही समय का इंतजार कर रहे थे.
सूत्रों के मुताबिक, जेडीयू में RLSP के विलय की सारी रूपरेखा तैयार कर ली गई थी. उपेंद्र कुशवाहा को सरकार में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलनी भी तय मानी जा रही है. हालांकि पार्टी के महासचिव विनय कुशवाहा ने 40 सदस्यों के साथ आरएलएसपी छोड़ दी है. जेडीयू में विलय करने के पहले ही RLSP के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र कुशवाहा, महासचिव निर्मल कुशवाहा सहित 35 नेता आरजेडी में शामिल हो गए. इन नेताओं ने आरजेडी दफ्तर में तेजस्वी यादव के हाथों पार्टी की सदस्यता ग्रहण की.
बहरहाल, इसके बावजूद पार्टी का एक बड़ा तबका जेडीयू में विलय के लिए तैयार था. उपेंद्र कुशवाहा और नीतीश कुमार का साथ लंबा रहा है. हालांकि इनकी कभी दोस्ती रही तो कभी मुकाबला.
नीतीश कुमार से 2013 में मतभेद होने के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने अलग पार्टी बना ली और एनडीए के साथ चुनाव लड़कर केंद्रीय मंत्री बने. 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले नीतीश कुमार की वजह से ही उपेंद्र कुशवाहा ने एनडीए छोड़ी और महागठबंधन के साथ चुनाव लड़े, मगर हार का सामना करना पड़ा. विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के साथ समझौता करने के बावजूद एक सीट पार्टी को नहीं मिली. अब एक बार फिर उपेंद्र कुशवाहा नीतीश कुमार के साथ आ रहे हैं, तो उनके राजनीतिक जीवन में यह एक नए मोड़ की तरह है.
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