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कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन के कारण पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बदले माहौल में होने जा रहे आगामी विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय लोकदल अपने लिए बड़ा मौका देख रही है. किसानों को साधने के लिए पार्टी ने ऐलान किया है कि दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे पश्चिमी यूपी के किसानों से चर्चा कर घोषणापत्र तैयार करेगी.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क :- UP Elections: कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन के कारण पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बदले माहौल में होने जा रहे आगामी विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय लोकदल अपने लिए बड़ा मौका देख रही है. किसानों को साधने के लिए पार्टी ने ऐलान किया है कि दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे पश्चिमी यूपी के किसानों से चर्चा कर घोषणापत्र तैयार करेगी.
समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन चुनाव लड़ने जा रहे राष्ट्रीय लोकदल के प्रमुख जयंत चौधरी ने बताया कि विधानसभा चुनाव घोषणापत्र तैयार करने के लिए समाज के सभी वर्गों से बात की जाएगी. घोषणापत्र तैयार करने के लिए बनाई गई समिति सबसे पहले 7 अगस्त को दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर जाकर आंदोलन कर रहे किसानों से बात करेगी और उनके सुझावों को आरएलडी अपने घोषणापत्र में शामिल करेगी. एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए उन्होंने कहा कि घोषणा पत्र का फोकस किसानों और युवाओं पर होगा.
जल्द जारी होगा घोषणापत्र
आरएलडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि पार्टी को लोगों के मुद्दों की जानकारी तो है ही लेकिन जनभागीदारी महत्वपूर्ण है. इसलिए लोगों की राय से घोषणापत्र बनेगा. जिसे पार्टी ने लोक संकल्प पत्र का नाम दिया है. इसके लिए हर जिले में लोक संकल्प संवाद किया जाएगा. पूरी रूपरेखा तैयार करने के लिए दिल्ली में हुई घोषणापत्र समिति की बैठक के बाद जयंत चौधरी ने ये बातें कही. सूत्रों की मानें तो पार्टी जल्द अपना घोषणापत्र पत्र जारी भी कर देगी.
गठबंधन में मिलने वाली सीटों की संख्या का सवाल टालते हुए चौधरी ने कहा कि गठबंधन में सारी सीटों पर चुनाव लड़ा जाता है. उन्होंने कहा कि सामूहिक लड़ाई लड़ी जाएगी. एसपी, आरएलडी गठबंधन में कांग्रेस, बीएसपी को भी साथ लेने के सवाल पर जयंत चौधरी ने कहा कि उनका गठबंधन अपने आप में मजबूत है और सरकार में आने का दम रखता है.
इतने उम्मीदवार उतारने की तैयारी
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की मजबूत पार्टी मानी जाने वाली आरएलडी इस इलाके में 40 से 50 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर रही है. जयंत चौधरी का पूरा जोर जाट-मुस्लिम एकता कायम करने पर है. इसके अलावा दलितों को साथ लेने की कवायद भी की जा रही है. जाट-मुस्लिम एकता के लिए पार्टी 'भाईचारा जिंदाबाद' कार्यक्रम चला रही है. इसके तहत छोटे-बड़े सांस्कृतिक कार्यक्रम किए जा रहे हैं ताकि मुजफ्फरनगर दंगों के बाद बनी सामाजिक खाई को भरा जा सके.
इस बार आरएलडी जाट-मुस्लिम-दलित समीकरण तैयार कर रही है. हालांकि इसमें बीएसपी और चंद्रशेखर आजाद की पार्टी बड़ी चुनौती है. हाल ही में जयंत चौधरी की पार्टी ने सोशल मीडिया पर चर्चित युवा दलित पत्रकार प्रशांत कनौजिया को अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ की कमान सौंपी है. कनौजिया ने बताया कि दलित समाज के मुद्दों को आवाज देने और उनके बीच जनाधार बढ़ाने के मकसद से आरएलडी सहारनपुर से आगरा तक 'न्याय यात्रा' निकालने जा रही है जो 2 महीने चलेगी.
हाल में पिता अजित सिंह को खोने वाले जयंत चौधरी के लिए आगामी विधानसभा चुनाव करो या मरो की लड़ाई है. 2013 के मुजफ्फरनगर दंगो के बाद से आरएलडी का जाट वोट बीजेपी की तरफ चला गया. बीते लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और बीएसपी गठबंधन के बावजूद पार्टी को तीन में से एक भी सीट पर जीत नहीं मिली. विधानसभा में एक विधायक था वो भी अब बीजेपी के पाले में है. हालांकि मोदी सरकार द्वारा बनाए गए कृषि कानूनों के खिलाफ राकेश टिकैत के नेतृत्व में जारी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों के आंदोलन से आरएलडी की वापसी की संभावना बन गई है.
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