सिर्फ ₹1 फीस लेते हैं आरके श्रीवास्तव, खुद की मेहनत से सैकड़ों इंजीनियर बना चुके हैं युवा गणितज्ञ
बिहार: कभी पढ़ने के लिए उम्मीदों की दीप जलाने की चाहत लेकर दर-दर की ठोकर खाता रहा। कोई उस बच्चे के लिए आगे आने का नाम नहीं ले रहा था। हम बात कर रहे हैं बिहार के रोहतास जिले के बिक्रमगंज के रहने वाले युवा शिक्षक आर.के.श्रीवास्तव ने अपनी मेहनत और लगन के बूते अपनी माली हालत को सुधारने में कामयाब हुए। इस कामयाबी से इस शख्सियत ने अपने पुराने दिनों को याद कर मात्र 1 रुपए में इंजीनियरिंग की शिक्षा देने लगे, जिसके सफल स्टूडेंट्स की संख्या 540 को भी पार कर चुके हैं। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी ख्याति को प्राप्त कर चुके आर.के.श्रीवास्तव अपने अस्तित्व को स्थापित करने में लगातार लगे रहे। एक दौर ऐसा भी आया जब आर के श्रीवास्तव ने गणित में 52 तरीके से पाइथागोरस थियोरम को सिद्ध कर देश-दुनिया के कई रिकॉर्ड अपने नाम कर चुके हैं। गणितज्ञ आर के श्रीवास्तव के नाम से दुनिया में मशहूर इस शख्सियत के शिष्य गुगल ब्वॉय कौटिल्य भी हैं वही कई स्टूडेंट्स को नाइट क्लास और डाउट क्लास चलाकर लगातार उनको निखारकर सफलता दिलाने में लगे हुए हैं।
गणितज्ञ आर के श्रीवास्तव की ख्याति इतनी बढ़ी की गांव की पगडंडियों से सफर तय करते हुए अखबार की सुर्ख़ियों तक पहुंच चुके है, सिर्फ ₹1 में पढ़कर उनके सैकड़ों स्टूडेंट्स इंजीनियर बन चुके हैं इसके अलावा भी अलग-अलग प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल हुए है। शिक्षक दिवस के अवसर पर हर शिक्षक का सम्मान होना चाहिए। आर के श्रीवास्तव सुबह के नौ बजे बच्चों के साथ जो जुड़ते हैं तो देर रात तक उनके लिए तत्पर रहते हैं। इनके पढ़ाने के तरीके में सबसे प्रभावित करता है शनिवार का नाइट क्लासेज, जहां स्टूडेंट्स को पूरी रात लगातार 12 घंटे गणित का गुर सिखाते हैं और स्टूडेंट्स काफी इंज्वाय करते हैं । पूरी रात बिना थके हुए ही पढ़ाई करते हैं। इस साप्ताहिक नाइट क्लास से बच्चों को काफी प्रसन्नता होती है।
अपनी मां को आदर्श मानने वाले आर के श्रीवास्तव के पिताजी और बड़े भाई के निधन के बाद अपने पूरे परिवार को लेकर चलते हैं तथा सभी के हर जरुरतों को पूरा करने में किसी प्रकार की कोई कोताही नहीं बरतते हैं। बाल्यकाल में ही इनके पिता जी का निधन हो गया। उसके बाद बड़े भाई ने ऑटो चलाकर अपने अनुज को पढ़ाया और पूरे परिवार का लालन पालन करते रहे। मगर वक्त को कुछ और ही मंजूर था अभिभावक तुल्य भाई का भी असमय निधन हो गया। पूरा परिवार बिखरने के कगार पर आ गया। घर में मां और भाभी के साथ-साथ बच्चे-बच्चियों की पूरी जिम्मेदारी आर के श्रीवास्तव के मत्थे आ गई। लेकिन कहते हैं न कि वक्त इंसान को मजबूत बना देता है और राह प्रशस्त कर देता है। यह वही आर.के. श्रीवास्तव हैं जिन्होंने सारे दर्द को अपने अंदर ही समेटकर यह ठान लिया की हर किसी को शिक्षित बनाएंगे। पहले तो आर्थिक रुप से कमजोर बच्चों को निःशुल्क शिक्षा देने लगे। बाद में हर वर्ग के लिए मुफ्त में शिक्षा देने लगे।
आखिर ₹1 में पढ़ाते हैं तो कैसे चलता है उनका परिवार: आपको बताते चलें कि बिहार के चर्चित शिक्षक आरके श्रीवास्तव गेस्ट फैकेल्टी के रूप में देश के प्रतिष्ठित संपन्न संस्थाओं में पढ़ाते हैं ताकि उन्हें कुछ पैसा आ सके जिससे वह आर्थिक रुप से गरीब स्टूडेंट्स को मदद कर सके और शिक्षकों को सैलरी भी दे सकें। शिक्षक दिवस पर ऐसे शिक्षकों को सम्मान है, जो खुद की मजबूरियों से लोगों की समस्या को समझकर लगातार आगे बढ़ते रहे। कोरोना काल में एक साधारण से मोबाईल से बच्चों को शिक्षा दिए और कई स्टूडेंट्स को आईआईटियन बनाने में कामयाब हुए।
कौन है आरके श्रीवास्तव: बिहार के एक शिक्षक के पढ़ाने का तरीका दुनियाभर में मशहूर हो रहा है और लोगों की प्रशंसा बटोर रहा है। सोशल मीडिया पर भी अपने शैक्षणिक कार्यशैली के लिए रोहतास जिले के बिक्रमगंज के आरके श्रीवास्तव खूब सुर्खिया इकठ्ठा कर रहे हैं। इनके द्वारा चलाया जा रहा गणित का नाइट क्लासेज अभियान और कबाड़ की जुगाड़ से गणित पढाना पूरे देश मे चर्चा का विषय बना हुआ है। आर के श्रीवास्तव का नाम वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड मे भी दर्ज है। इन्होने बच्चों को गणित की क्रियात्मक शिक्षा देने की एक अनोखी पहल शुरू की है। पूरी रात भर लगातार 12 घंटे गणित पढ़ाने की कला देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। सिर्फ ₹1 गुरु दक्षिणा में पढ़ाकर अभी तक 545 आर्थिक रुप से गरीब स्टूडेंट्स को इंजीनियर बना चुके हैं और आगे यह कारवां जारी भी है। देश के राष्ट्रपति रह चुके माननीय रामनाथ कोविंद सहित देश के कई चर्चित सेलिब्रिटी आरके श्रीवास्तव के शैक्षणिक कार्यशैली की प्रशंसा कर चुके हैं। आरके श्रीवास्तव हमेशा अपने सफलता का योगदान अपने परिवार को देते हैं और बताते हैं कि मां और भाभी के संघर्षों का मेरे सफलता में योगदान अतुलनीय है उसका शब्दों में वर्णन नहीं किया जा सकता है।
बिहार में एक ऐसे मैथमेटिक्स गुरु हैं जो गरीब बच्चों को महज 1 रुपए में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करवाते हैं। यही नहीं करीब 545 स्टूडेंट्स को अब तक इंजीनियर भी बना चुके हैं। हम बात कर रहे हैं रोहतास जिले के बिक्रमगंज निवासी आरके श्रीवास्तव की ,वे गूगल बॉय नाम से प्रसिद्ध कौटिल्य को भी पढ़ाते हैं। महज 35 की उम्र में वे देश और दुनिया भर में प्रसिद्ध हो चुके हैं। आरके श्रीवास्तव 2008 से ही इंजीनियरिंग की पढ़ाई करा रहे हैं। उन्होंने अपना नाम ऐसा बनाया कि गूगल पर "मैथमेटिक्स गुरु" सर्च करने पर सबसे ऊपर उनका नाम आता है। इसके अलावा गूगल पर "best teacher of bihar"सर्च करने पर आरके श्रीवास्तव का ही नाम टॉप पर आता है।