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रामगंगा बांध का बढ़ रहा जलस्तर, बिजनौर समेत इन 7 जिलों में अलर्ट जारी

Deepa Sahu
27 Aug 2021 11:25 AM GMT
रामगंगा बांध का बढ़ रहा जलस्तर, बिजनौर समेत इन 7 जिलों में अलर्ट जारी
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बिजनौर में कालागढ़ के रामगंगा बांध का जलस्तर तेजी से बढ़ने के कारण यूपी के सात जिलों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है।

बिजनौर में कालागढ़ के रामगंगा बांध का जलस्तर तेजी से बढ़ने के कारण यूपी के सात जिलों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। प्रशासन ने यूपी के चार आयुक्त, पुलिस महानिरीक्षक, सात जिलाधिकारियों एवं पुलिस अधीक्षकों को बाढ़ की चेतावनी जारी की है। बाढ़ के दौरान नदी के तटवर्ती इलाकों में बाढ़ से बचाव एवं सुरक्षा के इंतजाम करने के लिए अधिकारियों ने निर्देश दिए हैं।

उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में हो रही बारिश के चलते रामगंगा बांध का जलस्तर तेजी से बढ़ते हुए 355 मीटर की ओर पहुंच रहा है। बांध के स्टैंडिंग ऑर्डर के अनुसार यदि अगस्त में बांध का जलस्तर 355 मीटर हो जाता है तो ऐसे में बांध से अतिरिक्त पानी की निकासी नदी में किए जाने का प्रावधान है। गुरुवार को रामगंगा बांध का जलस्तर 354.500 रिकॉर्ड किया गया। पहाड़ों से वर्षा का पानी रामगंगा बांध के जलाशय में लगातार आ रहा है। लगातार बढ़ते जलस्तर को लेकर रामगंगा बांध प्रशासन ने विषम स्थिति का सामना करने के लिए सारी प्रक्रिया शुरू कर दी है।
चार कमिश्नरी के सात जिलों को बाढ़ चेतावनी जारी
बांध के बढ़ते जलस्तर को लेकर अधीक्षण अभियंता प्रवीण कुमार ने कानपुर, बरेली, मुरादाबाद एवं मेरठ के आयुक्त, पुलिस उप महानिरीक्षक, बिजनौर, मुरादाबाद, अमरोहा, रामपुर, बरेली, शाहजहांपुर और फर्रुखाबाद जनपदों के जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक को बाढ़ चेतावनी का अलर्ट जारी कर दिया है। जिसमें कहा गया है कि बांध से पानी की निकासी की जा सकती है। जिससे नदी में निम्न बाढ़ की स्थिति बनेगी। हो सकता है उस समय नदी के बहाव क्षेत्र को खाली कराने का समय न मिल सके, इसलिए इस परिस्थिति में प्रभावी कार्रवाई की जाए।
बिजनौर सहित इन जिलों का क्षेत्र होता है प्रभावित
रामगंगा बांध से निकासी किए गए पानी का प्रवाह कालागढ़ के अफजलगढ़ बैराज से होकर हरेवली बैराज होकर भूतपुरी से स्योहारा के सिपाहियोवाला से होते हुए मुरादाबाद होकर आगे बढ़ता है। नदी के तटीय इलाकों में हो रही खेती व अतिक्रमण के चलते नदी के प्रवाह क्षेत्र में बाधाएं आ गई हैं, जिससे नदी का जल किनारों से उफन कर नदी की घाटी में फैल जाता है, इससे बाढ़ की स्थिति पैदा हो जाती है। नदी का पानी मुरादाबाद, रामपुर, बरेली, अमरोहा, शाहजहांपुर, फरुर्खाबाद के तटवर्ती इलाके में बाढ़ की स्थिति ला देता है।
कई बार बाढ़ की त्रासदी के हुए हालात
कालागढ़ के रामगंगा बांध से 1978, 1991, 2010 में पानी की निकासी पहाड़ों पर अधिक वर्षा होने के कारण की गई। 2010 की बाढ़ की स्थिति तटवर्ती इलाके के निवासियों को कभी भी सिहरने को मजबूर कर देती है। हरेवली से भूतपुरी व सिपाहियोवाला तक का क्षेत्र जनपद बिजनौर में जलमग्न हो गया था, जिसमें एनएच-74 की सड़क बह गई थी। रामगंगा नदी के खादर में फसलें व पशु बह गए थे। ग्रामीणों के घरों में पानी भर गया था। यही हाल उत्तर प्रदेश के सातों जनपदों के तटवर्ती इलाकों का था।

क्या है व्यवस्था
रामगंगा बांध के जलाशय का जलस्तर 366 मीटर तक संग्रहण योग्य है। 364 मीटर पर पानी आने से ही खतरा शुरू हो जाता है। बांध की ऊंचाई अधिक होने की वजह से बांध से छोड़े कम पानी का प्रवाह भी बहुत तीव्र होता है। 2010 में बांध से जलस्तर 366 मीटर होने पर ही पानी छोड़ा गया था, जिससे क्षेत्र की जनता ने बाढ़ की त्रासदी झेली थी। वर्तमान में बांध के अधिकारियों ने इस त्रासदी से जनता को बचाने के लिए 355 मीटर जलस्तर होने पर बांध से पानी की निकासी शुरू करने का नियम बना दिया। अगस्त में नदी में 30000 क्यूसेक तक पानी आने की संभावना रहती है। पानी की मात्रा इतनी अधिक नहीं है जिससे कोई नुकसान हो सके।

क्यों आती है बाढ़
रामगंगा नदी के तटवर्ती इलाकों में अतिक्रमण और कृषि के चलते नदी बहाव क्षेत्र में बदलाव आ जाता है, जिसका खामियाजा तटवर्ती क्षेत्र की जनता को भुगतना पड़ता है।
बांध प्रशासन स्थिति संभालने का कर रहा प्रयास
रामगंगा बांध से पानी की निकासी के लिए बांध प्रशासन की तैयारियां पूरी हैं। बांध से पानी की निकासी पहाड़ों पर तेज बारिश होने पर ही की जाएगी। गुरुवार को रामगंगा बांध के जलाशय के जलस्तर में हो रही वृद्धि को लेकर बांध प्रशासन ने मैदानी इलाके में बाढ़ का संभावित अलर्ट जारी कर दिया है। बांध के ईई नीरज कुमार त्यागी ने बताया कि बांध के जलाशय को 356 मीटर तक ले जाए जाने का प्रयास किया जाएगा। इसके लिए मुरादाबाद के मुख्य अभियंता पूर्वी गंगा को पत्र लिखकर अनुमति मांगी गई है। इसलिए बांध के जलाशय से पानी की निकासी पर रोक लग सकती है। अगस्त का अंतिम सप्ताह चल रहा है। सितंबर में बांध का जलस्तर और अधिक ले जाया जा सकता है। बांध के कैचमेंट एरिया में अधिक तेज बारिश होने पर ही पानी की निकासी बांध से की जाएगी। अभी ऐसे हालात नहीं हैं। जनता को परेशान नहीं होना चाहिए।
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