इससे पहले 13 फरवरी को स्वामी प्रसाद मौर्य ने सपा महासचिव पद छोड़ दिया था और हाईकमान पर भेदभाव का आरोप लगाया था. स्वामी 20 साल बसपा में बड़े पदों पर रहे और मायावती सरकार में कैबिनेट मंत्री की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. उसके बाद 2017 के चुनाव से पहले स्वामी ने पाला बदल लिया था और बीजेपी में शामिल हो गए थे. योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार बनी तो स्वामी को कैबिनेट मंत्री बनाया गया. हालांकि, 5 साल बाद ही उनका बीजेपी से मोहभंग हो गया और 2022 के चुनाव से पहले सपा में शामिल हो गए थे.
सपा ने स्वामी प्रसाद को विधानसभा चुनाव में कुशीनगर जिले की फाजिलनगर सीट से टिकट दिया था. हालांकि वे 26 हजार वोटों से बीजेपी उम्मीदवार से चुनाव हार गए थे. बाद में सपा ने स्वामी को एमएलसी बनाया और पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी दी थी. दो साल बाद स्वामी ने सपा का साथ भी छोड़ दिया और नई पार्टी बना ली. स्वामी की बेटी संघमित्रा मौर्य बंदायू से बीजेपी सांसद हैं.