नक्सलवाद की समस्या का सामना करने वाले झारखंड ने नक्सलियों के आत्मसमर्पण और पुनर्वास संबंधी जो नीति बनाई है, उसके तहत एक बड़ी सफलता हाथ लगी. सरकार के 'नई दिशा-एक नयी पहल' कार्यक्रम के तहत गुरुवार को सीपीआई (माओवादी) संगठन के तीन नक्सलियों ने हज़ारीबाग ज़िला प्रशासन के सामने आत्मसमर्पण कर दिया, जिनमें से एक महिला नक्सली पर एक लाख का इनाम घोषित था. पुलिस ने तीनों नक्सलियों को बुके देकर उनके इस फैसले का स्वागत किया और समाज की मुख्यधारा में लौटने का रास्ता भी दिखाया.
ज़िले के पुलिस कप्तान कार्तिक एस ने तीनों नक्सलियों के आत्मसमर्पण को पुलिस के लिए बड़ी कामयाबी बताया. वहीं, प्रतिबंधित संगठन के तीन सक्रिय सदस्यों ने आत्मसमर्पण करने के बाद सभी नक्सलियों से सरेंडर कर मुख्यधारा में लौटने की अपील भी की. पुलिस के स्वागत समारोह के दौरान इन नक्सलियों ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वालों को सरकार ने पुनर्वास नीति के तहत सहायता देने का वादा किया है.
आत्मसमर्पण करने वालों में उषा किस्कू का नाम प्रमुख है, जिस पर एक लाख रुपये का इनाम घोषित था. उषा हज़ारीबाग, बोकारो, चतरा के सीमांत क्षेत्रों में लगातार सक्रिय थी. 2009 में संगठन से जुड़ी उषा दर्जनों कांडों में शामिल रही. लंबे समय से पुलिस को इसकी तलाश थी. वहीं, सरेंडर करने वाली सरिता सोरेन 2015 से माओवादी संगठन से जुड़ी थी. सरिता के खिलाफ भी लगभग आधा दर्जन मामले हज़ारीबाग और चतरा ज़िलों में दर्ज हैं. आत्मसमर्पण करने वाला तीसरा नक्सली नागेश्वर गंजू है, जो 2018 से सक्रिय माओवादी सदस्य था. गंजू पर भी हज़ारीबाग, चतरा और बोकारो में कई मामले दर्ज हैं.