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चौंकाने वाला खुलासा हुआ है.
Farmers Suicide cases: महाराष्ट्र में किसानों आत्महत्या एक बड़ा मामला है. इसे लेकर समय-समय पर सियासत गरमाती रहती है. अभी हाल ही में एक RTI से चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. महाराष्ट्र में बीते 11 महीने में 2500 किसानों ने आत्महत्या की थी. ये आंकड़े बेहद गंभीर और चौंकाने वाले हैं. महाराष्ट्र के राजस्व विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक जनवरी 2021 से नवंबर 2021 तक राज्य में 2498 किसानों ने आत्महत्या की है. जबकि वर्ष 2020 में महाराष्ट्र ने 2547 किसानों ने आत्महत्या की थी.
महाराष्ट्र के औरंगाबाद विभाग में सबसे ज्यादा 804 किसानों ने आत्महत्या की है. जबकि नागपुर विभाग में 309 किसानों ने सुसाइड किया. वहीं पश्चिम विदर्भ के अमरावती में 356 किसानों ने आत्महत्या की, जबकि यवतमाल में 299, बुलढाणा में 285, अकोला में 138, वाशीम में 75 किसानों ने आत्महत्या की. मतलब एक साल में अमरावती विभाग के 5 जिलों में 1153 किसानों ने मौत को गले लगाया
औरंगाबाद विभागीय आयुक्त कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक मराठवाड़ा में बीते साल 2021 में परेशान हाल 711 किसानों आत्महत्या की है.औरंगाबाद में 150 किसानों ने आत्महत्या की. जालना में 75, परभणी में 51, हिंगोली में 33, नांदेड़ में 91, बीड में 150, लातूर में 53, उस्मानाबाद में 108 किसानों ने आत्महत्या की.
अकोला के किसान गणेश मुरूमकर ने 12 जनवरी को घर में फांसी लगाकर खुदकुशी की. उनकी याद में बेटी पत्नी और मां फूट-फूट कर रोती है. पिछले 2 साल से बारिश ने सोयाबीन की फसल को नुकसान पहुंचाया. और पिछले 2 साल से बैंक का 95000 कर्ज अदा करने की चिंता में गणेश ने रिश्तेदार से पैसे लेकर बुवाई की. लेकिन जुलाई में अतिवृष्टि ने सोयाबीन की फसल को बर्बाद कर दिया.
नागपुर जिले के किसान शाहाजी राऊत ने भी आत्महत्या कर ली. नागपुर के नरखेड़ तहसील में उनका 10 एकड़ खेत है. उन्होंने साहूकार से कर्ज लिया था. कर्ज न चुकाने पर साहूकार के लोग तंग करने लगे थे. लिहाज 1 अक्टूबर को उन्होंने अपने खेत मे जहर खाकर खुदखुशी कर ली.
महाराष्ट्र में बढ़ते किसान आत्महत्या के मामलों पर किसान नेता विजय जावंधिया का कहना है कि देश में 1997 के बाद से किसान आत्महत्या की चर्चा शुरू हुई. केंद्र और राज्य में कई सरकारें बदलीं, लेकिन किसान की हालत जस की तस बनी हुई है. ज्यादातर किसान बैंक कर्ज नहीं लौटाने से डिफॉल्टर हो जाते हैं. ऐसे में उन्हें साहूकार के पास कर्ज के लिए जाना पड़ता है. साहूकार पठानी ब्याज किसान से लेते हैं. किसान इसे चुका नहीं पाते. किसान नेता किशोर तिवारी की मानें तो महाराष्ट्र में 2021 में 2500 किसानों ने आत्महत्या की है. किसान आत्महत्या के प्रमुख कारण फसल बर्बाद होना, बैंक से लोन नहीं मिलना, क्रॉप पैटर्न में बदलाव, राज्य और केंद्र सरकार की गलत नीति है.
मराठवाड़ा में किसानों की कर्ज माफी सरकार कर रही है लेकिन फिर भी वह आत्महत्या क्यों कर रहे हैं इस पर अन्नदाता शेतकरी संघटना के अध्यक्ष जयाजी राव सूर्यवंशी का कहना है कि पिछले 2 सालों से मराठवाड़ा में मूसलाधार बारिश हो रही है, इसकी वजह से किसानों की फसलें तबाह हो रही हैं. उस पर कर्ज हो गया है जिसकी वजह से किसान आत्महत्या कर रहे है. साथ ही केंद्रीय बैंक किसानों को कर्ज नहीं देती. प्राइवेट फाइनेंस कंपनी किसानों को कर्ज तो देती हैं. लेकिन उनसे 30 से 35 प्रतिशत ब्याज वसूल करती हैं.
राज्य सरकार के आपत्ति और पुनर्वासन मंत्री विजय वडेट्टीवार ने कहा कि हमने किसानों की कर्ज माफी के लिए कोई शर्त ना लगाते हुए 22000 करोड़ की कर्ज माफी दी. बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से हुए नुकसान के लिए 10000 करोड़ का विशेष पैकेज भी दिया. किसान अपनी बुरी हालत पर खुदकुशी करता है. इसके लिए कलेक्टर की एक विशेष कमेटी के तहत उनका कर्ज माफ कर मुआवजा दिया जाता है. बैंक के साथ-साथ साहूकार का भी कर्जा सबसे बड़ा किसानों के लिए अड़ंगा होता है. उसके जाल में उसके चुंगल में वह फंसता जाता है. उसे बाहर निकलने के लिए हम कानून में नए बदलाव करने करने जा रहे हैं.ताकि किसानों को राहत मिले.
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